अमर्त्य सेन को विश्वभारती का नोटिस, कहा- 6 मई को जमीन पर कब्जा लेगा विश्वविद्यालय, जानिए क्या है पूरा मामला
विश्व भारती विश्वविद्यालय ने बेदखली के आदेश में नोबेल पुरस्कार विजेता अमर्त्य सेन से 13 डिसमिल जमीन खाली करने को कहा है, जिस पर कथित रूप से अनधिकृत तरीके से उनका कब्जा है. विश्वभारती ने एक नोटिस जारी कर कहा है कि केंद्रीय विश्वविद्यालय 6 मई को जमीन का कब्जा लेगा.
नोबेल पुरस्कार विजेता अमर्त्य सेन से जमीन विवाद के बीत विश्वभारती ने एक नोटिस जारी कर कहा है कि केंद्रीय विश्वविद्यालय 6 मई को जमीन का कब्जा लेगा. विश्व भारती पश्चिम बंगाल के शांतिनिकेतन में अपने परिसर में उनकी पैतृक संपत्ति से लीज पर ली गई 1.38 एकड़ जमीन में से 13 डिसमिल का कब्जा लेगा. बता दें, अमर्त्य सेन अभी अमेरिका में हैं और आमतौर पर वो सर्दियों में शांतिनिकेतन स्थित अपने पैतृक आवास जाते हैं.
जमीन पर कब्जे का आरोप: गौरतलब है कि विश्वविद्यालय ने दावा किया है कि अमर्त्य सेन ने उसकी 13 डिसमिल जमीन पर गैरकानूनी तरीके से कब्जा किया हुआ है. केन्द्रीय विश्वविद्यालय का कहना है कि वह अवैध तरीके से कब्जाई गयी जमीन को वापस पाने के लिए ही सारा कदम उठा रहा है. विश्व भारती विश्वविद्यालय ने बेदखली के आदेश में अमर्त्य सेन से जमीन खाली करने को कहा है, जिस पर कथित रूप से अनधिकृत तरीके से उनका कब्जा है.
Visva Bharati University in an eviction order has asked Nobel laureate Amartya Sen to vacate the 13 decimals of land which he has been allegedly occupying in an unauthorised manner. pic.twitter.com/hfgMqfJRbd
— ANI (@ANI) April 20, 2023
विश्व भारती ने भेजा था नोटिस: इससे पहले अमर्त्य सेन के शांतिनिकेतन वाले आवास के मुख्य दरवाजे पर विश्व भारती ने एक नोटिस चस्पा किया था. साथ ही सेन को ईमेल से भी एक नोटिस भेजा था जिसमें विश्व भारती ने कहा था कि अंतिम आदेश के जरिए 19 अप्रैल को मामले का निपटारा कर दिया जाएगा.
वहीं, जमीन विवाद मामले में विश्व भारती के कुलपति विद्युत चक्रवर्ती का कहना है कि अमर्त्य सेन के पिता आशुतोष सेन ने 1943 में 99 साल के पट्टे पर केवल 1.25 एकड़ जमीन किराए पर ली थी, इस तरह 13 डिसमिल जमीन वापस किया जाना चाहिए. उन्होंने कहा कि इस साल जनवरी महीने से मामले को लेकर सेन को तीन पत्र भेजे जा चुके हैं.
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जबकि, इस मामले में अमर्त्य सेन ने बीते 17 अप्रैल को विश्व भारती को एक ई-मेल भेजा था, अपने ईमेल में सेन ने कहा था कि पट्टे पर दी गई जमीन के हिस्से पर विश्वविद्यालय के दावे का कोई कानूनी आधार नहीं है. उन्होंने खुद को जमीन का मालिक बताते हुए कहा कि मेरे माता-पिता.. आशुतोष सेन और अमिता सेन की मौत के बाद यह मुझे दिया गया था.