पणजी: गोवा जैसे छोटे राज्य में कभी भी सरकार गिर जाती है. ऐसी पार्टी सत्ता में आ जाती है, जिसके पास बहुमत के लायक सीटें भी नहीं होतीं. इसकी सबसे बड़ी वजह हैं छोटे दल. गोवा में अब तक बड़े पैमाने पर सत्ता भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) और कांग्रेस के हाथ में आती-जाती रही है. हालांकि, चुनाव पर्यवेक्षकों का मानना है कि इस बार छोटे दल गोवा में सरकार गठन में अहम भूमिका निभा सकते हैं.
गोवा की 40 विधानसभा सीटों पर 14 फरवरी को मतदान होना है. इसके लिए 301 उम्मीदवार मैदान में हैं. पर्यवेक्षकों का कहना है कि छोटे दल चुनावी मैदान में ताल ठोंक रहे प्रमुख दलों के वोटों में सेंध लगा सकते हैं. भाजपा और कांग्रेस के अलावा आम आदमी पार्टी, गोवा फॉरवर्ड पार्टी (जीएफपी), तृणमूल कांग्रेस, महाराष्ट्रवादी गोमांतक पार्टी (एमजीपी), राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा), शिवसेना, रेवॉल्यूशनरी गोवा पार्टी, गोयेंचो स्वाभिमान पार्टी, जय महाभारत पार्टी और संभाजी ब्रिगेड भी चुनावी मैदान में है.
इसके अलावा, 68 निर्दलीय उम्मीदवार भी अपनी किस्मत आजमा रहे हैं. गोवा चुनाव को लेकर सामने आये अधिकतर चुनावी सर्वेक्षणों से संकेत मिलता है कि किसी भी एक पार्टी के बहुमत प्राप्त करने की संभावना नहीं है. ‘सेंटर फॉर द स्टडी ऑफ डेवलपिंग सोसाइटीज’ (सीएसडीएस) से जुड़े संजय कुमार ने कहा कि गोवा में साफतौर पर -भाजपा, कांग्रेस, आम आदर्मी पार्टी और तृणमूल कांग्रेस- चौतरफा मुकाबला है.
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संजय कुमार ने कहा, ‘कई दलों के मुकाबले में होने से राज्य में वोटों के बिखराव की संभावना अधिक है, क्योंकि गोवा में विधानसभा सीटों का आकार छोटा है.’ उन्होंने कहा कि ऐसे में ये देखना दिलचस्प होगा कि कौन-सा दल, किस सीट पर, कौन-सी पार्टी के वोट बैंक में सेंध लगाता है.
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वहीं, वरिष्ठ पत्रकार संदेश प्रभुदेसाई का कहना है कि ऐसा पहली बार नहीं है, जब गोवा में चौतरफा मुकाबला देखने को मिल रहा है. उन्होंने कहा, ‘हालांकि, इस बार दोनों प्रमुख दलों- कांग्रेस और भाजपा- के प्रति लोगों में भारी रोष है. दलबदल के कारण लोगों में नाराजगी है.’ सरदेसाई ने कहा कि ऐसे में खंडित जनादेश सामने आने की संभावना है.
Posted By: Mithilesh Jha