Waqf Board: कानून में संशोधन की मांग काफी समय से हो रही थी. वक्फ बोर्ड के कई प्रावधानों को गैर कानूनी करार देने वाली याचिका सुप्रीम कोर्ट में लंबित है. वक्फ बोर्ड के कई प्रावधानों को बदलने की मांग काफी समय से हो रही थी. कानून में बदलाव को लेकर सरकार के अंदर भी मंथन चल रहा था. ऐसे में मोदी सरकार ने वक्फ बोर्ड कानून में बदलाव के लिए सहयोगी दलों को साधने की कवायद शुरू की. इस काम में कांग्रेस सरकार के दौरान बनी सच्चर कमेटी की रिपोर्ट मददगार साबित हुई. देश में मुसलमानों की स्थिति का पता लगाने के लिए यूपीए सरकार ने मार्च 2005 में सच्चर कमेटी का गठन किया. सच्चर कमेटी की रिपोर्ट में कहा गया कि वक्फ बोर्ड के पास 4.9 लाख पंजीकृत संपत्ति है, लेकिन इससे बोर्ड को सालाना सिर्फ 163 करोड़ रुपये ही हासिल हो रहा है और इसे किसी भी तौर पर स्वीकार नहीं किया जा सकता है. ऐसे में वक्फ बोर्ड की आमदनी बढ़ाने के लिए इसकी संपत्तियों का पेशेवर तरीके से प्रबंधन होना चाहिए ताकि आमदनी बढ़ सके.
कैसे बढे आमदनी का दिया सुझाव
सच्चर कमेटी का मानना था कि वक्फ की संपत्ति से सालाना 12 हजार करोड़ रुपये जेनरेट होना चाहिए लेकिन आमदनी सिर्फ 163 करोड़ रुपये हो रही है. मौजूदा समय में वक्फ के पास 8.72 लाख पंजीकृत संपत्ति हो गयी है, लेकिन आमदनी में व्यापक इजाफा नहीं हो पाया है. सच्चर कमेटी ने वक्फ की आमदनी बढ़ाने के लिए वक्फ बोर्ड को व्यापक बनाने, दो महिलाओं के सदस्य के तौर पर नियुक्त करने, केंद्रीय वक्फ बोर्ड में सचिव के तौर पर संयुक्त सचिव स्तर के अधिकारी की तैनाती करने संबंधी कई सिफारिश की.
यूपीए सरकार ने सच्चर कमेटी की रिपोर्ट को स्वीकार भी किया. अब सरकार इसी को आधार बनाकर वक्फ बोर्ड संशोधन विधेयक पेश किया है. यही नहीं सरकार ने के रहमान खान की अध्यक्षता में बनी संसदीय समिति की रिपोर्ट का भी हवाला दिया है. रहमान खान की अध्यक्षता में बनी समिति ने वक्फ बोर्ड में इंफ्रास्ट्रक्चर की कमी, मानव संसाधन के नकारापन और फंड की कमी की बात कहते हुए व्यापक सुधार की सिफारिश की थी. समिति ने वक्फ बोर्ड कानून 1995 में सुधार करने की सिफारिश की थी.