दुनियाभर में ऐसे लड़ी जा रही है Corona के खिलाफ जंग, चीन का प्रयास है बड़ा सबक

कोरोना की चुनौतियों से पार पाने के लिए दुनिया एकजुट होकर प्रयास कर रही है. कई वैश्विक मंचों पर इसके प्रभावों को कम करने और आगामी समस्याओं का हल निकालने के लिए बड़े स्तर पर कवायद जारी है.

By SumitKumar Verma | March 29, 2020 12:25 PM
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कोरोना की चुनौतियों से पार पाने के लिए दुनिया एकजुट होकर प्रयास कर रही है. कई वैश्विक मंचों पर इसके प्रभावों को कम करने और आगामी समस्याओं का हल निकालने के लिए बड़े स्तर पर कवायद जारी है.

चीन के बाद अब अमेरिका और यूरोप के कई देश, विशेषकर इटली, स्पेन में कोरोना वायरस कहर बरपा रहा है. सभी तैयारियां कमतर सिद्ध हो रही हैं. बीते दिनों इसके रणनीतिक समाधान की कोशिशों के मद्देनजर जी-20 देशों की आभासी (वर्चुअल मीटिंग) बैठक भी हुई, जिसमें कोरोना महामारी से लड़ने के लिए पांच ट्रिलियन डॉलर की साझा राशि के प्रावधान की बात कही गयी.

महामारी के असर को कम करने की जी-20 देशों की मुहिम

दुनिया की प्रमुख अर्थव्यवस्थाओं के समूह जी-20 देशों ने कोविड-19 के पड़नेवाले आर्थिक और सामाजिक असर को कम करने के लिए एक बैठक की.

सऊदी अरब की अध्यक्षता में आयोजित इस आभासी शिखर सम्मेलन के बाद संयुक्त वक्तव्य जारी कर वैश्विक विकास को बरकरार रखने, बाजार में स्थिरता लाने और कामकाज को सुचारू बनाये रखने के लिए संयुक्त प्रयास की बात कही गयी. महामारी के सामाजिक, आर्थिक और वित्तीय प्रभावों को कम करने के लिए वैश्विक अर्थव्यवस्था में पांच ट्रिलियन का निवेश किया जायेगा. साथ ही दावा किया गया कि इससे नौकरियों को सुरक्षित रखने व विकास दर को उबारने में मदद मिलेगी.

अमेरिका ने राजकोषीय प्रोत्साहन के लिए दो ट्रिलियन डॉलर की घोषणा की है, जबकि भारत ने समाज के कमजोर वर्गों की मदद के लिए 1.70 लाख करोड़ रुपये का प्रावधान किया है. इस सम्मेलन में प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि सामूहिक प्रयास के साथ विश्व स्वास्थ्य संगठन की भूमिका अहम है. जी-20 देशों ने कहा कि वैश्विक वित्तीय सुरक्षा को मजबूत करने के लिए विभिन्न स्तरों पर प्रयास की दरकार है. साथ ही निजी क्षेत्रों, उभरती अर्थव्यवस्था वाले देशों के स्वास्थ्य, आर्थिक और सामाजिक संकट को दूर करने के लिए सामूहिक प्रयासों की जरूरत है.

व्यापक अंतरराष्ट्रीय सहयोग की अपील

जी-20 देशों ने वर्तमान चुनौती से निपटने के लिए व्यापक स्तर पर अंतरराष्ट्रीय सहयोग की अपील की. समूह ने कहा कि मानव जीवन की रक्षा, आर्थिक स्थिरता और मजूबत, टिकाऊ, संतुलित व समावेशी विकास के लिए प्रयास जारी रहेगा. मेडिकल सप्लाई को बढ़ाने के लिए मैन्युफैक्चरिंग क्षमता को बढ़ाने पर जोर दिया जायेगा.

आपदा से निपटने के लिए एकजुटता जरूरी : डब्ल्यूएचओ

जी-20 सम्मेलन के दौरान विश्व स्वास्थ्य संगठन के महानिदेशक डॉ टेड्रोस अदनोम गेब्रेयसस ने कहा कि इस संकट का मुकाबला हमें साथ मिलकर करना होगा.

उन्होंने कहा कि कोई भी देश अकेले इस आपदा का सामना नहीं कर सकता. उन्होंने वैश्विक आंदोलन शुरू करने का आग्रह किया, जिससे यह सुनिश्चित किया जा सके कि इस तरह का संक्रमण दोबारा न हो. उन्होंने जी-20 राष्ट्र प्रमुखों की प्रतिबद्धता का स्वागत करते हुए कहा कि हमें लोगों के जीवन और आजीविका की रक्षा करनी होगी. खास तौर पर आर्थिक रूप से कमजोर लोगों के लिए आवश्यक स्वास्थ्य सेवाओं और पर्याप्त वित्तपोषण को सुनिश्चित करना होगा.

अब चीन के प्रयासों की ट्रंप ने की तारीफ

पिछले कुछ हफ्तों से चीन और अमेरिका कोरोना वायरस को लेकर लगातार एक-दूसरे पर आरोप लगाते रहे हैं. अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप ने कोरोना वायरस को ‘चीनी वायरस’ कहना शुरू कर दिया था और वायरस के लिए चीन को जिम्मेदार ठहराया था. अब ट्रंप ने चीन की कोरोना वायरस से लड़ने की समझ की तारीफ की है. वैश्विक महामारी के दौर में भी ट्रंप एक गैर-जिम्मेदार नेता के रूप में नजर आये. हालांकि, चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने कहा कि ‘कोरोना वायरस की लड़ाई में हम एकजुट हैं.’ इस बयान के बाद वाकयुद्ध अब थमता नजर आ रहा है. उन्होंने अपने बयान में चीन के हमेशा से पारदर्शी होने का भी जिक्र किया है.

चीन दे रहा कई देशों को सहयोग

चीन ने कई कोरोना संक्रमित देशों में अपनी टीमें भेजी हैं. उसने आगे बढ़कर संकट की इस घड़ी में वैश्विक एकता की भावना को बल दिया है. अमेरिका में कोरोना संक्रमित लोगों की संख्या अब चीन से भी आगे निकल गयी है. अमेरिका चीन की अपेक्षा कोरोना वायरस से निपटने के मामले में अभी काफी पीछे है. ट्रंप की इस नाकामयाबी का असर उनके दूसरे कार्यकाल पर भी पड़ सकता है. चीन स्पेन समेत कई प्रभावित देशों को मेडिकल सहायता उपलब्ध करा रहा है. चीन का दावा है कि उसने वायरस के खतरों को नियंत्रित कर लिया है और अब दूसरे देशों की मदद करना चाहता है. चीन सरकार ने घोषणा की है कि वह 82 देशों में किट सप्लाई करेगी.

चीन ने भारत को भी किया आगाह

दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी आबादी वाले देश भारत में कोरोना के संक्रमण को लेकर चिंताएं अधिक हैं और हर गतिविधि पर दुनिया की नजर टिकी हुई है. हालांकि, डब्ल्यूएचओ भारत के प्रयासों की सराहना कर चुका है. वर्तमान में जारी 21 दिन का लॉकडाउन एक एहतियाती कदम है.

लॉकडाउन के बावजूद चीन ने भारत को आगाह किया है. चीन के सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल एंड प्रिवेंशन (सीडीसी) के एक्सपर्ट जेंग गुआंग ने कहा है कि अगर भारत को घरेलू स्तर पर वायरस के प्रसार को रोकना है, तो उसे इंपोर्टेड केस को रोकना होगा, यानी बाहर से आये लोगों को चिह्नित कर उन्हें अलग करना होगा. बीते दिनों चीन के विदेशमंत्री वांग यी ने भारत के विदेशमंत्री एस जयशंकर को फोन कर मदद की पेशकश की थी. इसके अलावा चीन की कई कंपनियों ने भारत समेत एशिया के कई अन्य देशों में मेकशिफ्ट अस्पताल बनाने की पेशकश की है.

वुहान क्वारंटाइन क्रूरतम, लेकिन प्रभावी

कोरोना संक्रमण का केंद्र रहे वुहान को जब चीन ने पूर्ण रूप से बंद करने की घोषणा की, तो दुनिया को बड़ा आश्चर्य हुआ और विशेषज्ञों ने इस पर कई तरह के सवाल खड़े किये. बीजिंग का यह फैसला एक कठिन प्रयोग की तरह रहा, महामारी विज्ञानियों ने चेतावनी दी कि मानवीय और आर्थिक हितों को दांव पर लगाने के बावजूद भी इसका कोई खास असर नहीं होगा.

आधुनिक विश्व में इतने बड़े पैमाने पर क्वारंटाइन करने का कोई दूसरा उदाहरण मौजूद नहीं है. अकेले वुहान की आबादी एक करोड़ दस लाख है. बढ़ते खतरे के मद्देनजर आसपास के शहरों की लाखों की आबादी को लॉकडाउन कर दिया गया. दो महीने के बाद घरेलू स्तर पर इस बीमारी का कोई संक्रमण दर्ज नहीं किया गया. चीन के स्वास्थ्य विभाग द्वारा दावा किया गया कि दर्ज होनेवाले नये मामले बाहर से आये हैं.

वुहान जैसा प्रयोग अन्य देशों में नहीं

इटली से लेकर स्पेन, जर्मनी और अमेरिका तक महामारी के प्रकोप से निपटने के लिए कड़े कदम उठाये जा रहे हैं, लेकिन वुहान जैसी सख्त कार्रवाई कहीं नहीं हुई है. घोषणा के कुछ घंटों के भीतर वुहान शहर में आवाजाही पूर्ण रूप से बंद कर दी गयी, यहां तक कि व्यक्तिगत और मेडिकल आपात की स्थिति में भी निकलना संभव नहीं था. स्कूलों और विश्वविद्यालयों की अनिश्चितकाल के लिए तालाबंदी कर दी गयी. खाद्य सामाग्री और दवाओं की दुकानों के अलावा सारे व्यावसायिक प्रतिष्ठान बंद कर दिये गये. विशेष अनुमति के बगैर निजी वाहनों का सड़कों पर आवागमन रोक दिया गया. गली-मुहल्लों को एकदम सूना और शांत कर दिया गया.

घर-घर जाकर की गयी स्वास्थ्य जांच

सख्ती बढ़ाकर लोगों के घरों से निकलने पर रोक लगा दी गयी. मेडिकल टीम घर-घर जाकर लोगों के स्वास्थ्य की जांच करने लगी. बीमार व्यक्तियों को जबरन परिवारों से अलग कर दिया गया. कोविड-19 के डर से कोई लॉकडाउन से पहले शहर न छोड़ दिया हो, इसको ध्यान में रखकर अन्य शहरों में सघन कार्रवाई शुरू कर दी गयी. बिल्डिंग के बाहर सिक्योरिटी गार्ड द्वारा लोगों का बुखार चेक होना शुरू हो गया. पूरे देश में मास्क को अनिवार्य कर दिया गया. इसके लिए बकायदा ड्रोन से निगरानी की जा रही थी.

ताइवान और सिंगापुर ने उठाये कड़े कदम

चीन से सीधे जुड़े ताइवान और सिंगापुर में इस बीमारी को नियंत्रित करने में कामयाबी मिली है. यहां पर व्यापक स्तर पर स्क्रीनिंग, टेस्टिंग, लोगों की पड़ताल और संगरोध (सोशल डिस्टेंसिंग) पर विशेष जोर दिया गया. विशेषज्ञों का भी मानना है कि अगर समय रहते सोशल डिस्टेंसिंग, शुरुआती जांच व अलगाव और प्रभावी उपचार पर काम किया जाये, तो इस महामारी को नियंत्रित किया जा सकता है.

दक्षिण कोरिया समेत कई देशों ने नियंत्रण में पायी कामयाबी

कोविड-19 पर काबू पाकर दक्षिण कोरिया, सिंगापुर और हांगकांग जैसे कुछ देशों ने दुनिया को एक उम्मीद की राह दिखायी है. शुरुआत में ही ताइवान ने चीन से आनेवाली फ्लाइट को रद कर दिया था, जिससे वहां 242 मामले ही दर्ज हो पाये. ऐसा ही फैसला सिंगापुर ने भी लिया था.

हालांकि, चीन ने यातायात और व्यापार को प्रतिबंधित करने के फैसलों की शिकायत डब्ल्यूएचओ से की थी. सिंगापुर की अर्थव्यवस्था पर इसका काफी असर पड़ा. लेकिन, बाहर से आनेवाले की अनिवार्य स्वास्थ्य जांच, जबरन क्वारंटाइन और व्यापारिक यातायात पर प्रतिबंध जैसे फैसलों से वह इस वायरस के फैलाव को रोकने में सफल रहा. यही वजह है कि सिंगापुर में मात्र 683 मामले दर्ज हुए और केवल दो मौतें हुईं.

जांच प्रक्रिया का बढ़ाया दायरा

कोविड-19 के फैलाव को रोकने के लिए दक्षिण कोरिया ने व्यवस्थित टेस्टिंग व्यवस्था को अपनाया. शुरू में दक्षिण कोरिया में कोरोना संक्रमण के मामले तेजी से बढ़े, लेकिन बाद में गहन जांच कर इसे नियंत्रित कर लिया गया.

यहां रोजाना करीब दस हजार लोगों का मुफ्त परीक्षण हो रहा है. इसी तरह हांगकांग में कोरोना संक्रमित व्यक्ति की पहचान के लिए जांच के सख्त नियम बनाये गये हैं. इससे संक्रमित मरीजों के संपर्क में आये लोगों की निगरानी कर सामुदायिक स्तर पर संक्रमण फैलने से रोकने में मदद मिली. अभी भी यहां विदेश से आनेवाले लोगों को हाथ में एक इलेक्ट्रिक ब्रेसलेट पहनने को कहा जा रहा है, जो उनकी मूवमेंट को ट्रैक करता है.

चीन का प्रयास है बड़ा सबक

दुनियाभर में कई देशों की सरकारें कोरोना के संक्रमण को रोकने के लिए प्रयासरत हैं. लेकिन, कुछ ऐसे देश हैं, जो इस महामारी को काफी हद तक नियंत्रित करने में सफल हुए हैं, उसमें एक बड़ा उदाहरण चीन का है.

कोरोना वायरस के संक्रमण की शुरुआत भी चीन के हुबेई प्रांत से हुई थी. इसके बाद चीन सरकार ने वायरस का केंद्र रहे वुहान शहर को शेष हिस्सों से अलग-थलग कर दिया. कड़े और प्रभावी उपायों का ही परिणाम है कि यहां संक्रमण के नये मामलों में तेजी से कमी आयी है. जबकि, मध्य फरवरी में यहां संक्रमण के नये मामले रोज रिकॉर्ड कायम कर रहे थे. आइये जानते हैं कि बड़ी आबादी वाले देश चीन ने कोरोना संक्रमण पर कैसे रोक लगायी.

वुहान में ट्रेन रोकने पर मनाही

बीते एक महीने से वुहान शहर में ट्रेन रोकने पर पाबंदी लागू है. विश्व स्वास्थ्य संगठन के डॉ ब्रूस अइल्वार्ड ने कहा कि जब वे वुहान में उतरे, तो वहां खाली ट्रेनों को एक से दूसरी जगह जाते देखा. अमेरिकन कॉलेज ऑफ इमरजेंसी फिजिशियंस, के डॉ डारिआ लॉन्ग गिलेस्पी के अनुसार, ट्रेन और बस जैसे सार्वजनिक परिवहन में काफी भीड़ होती है, जिससे संक्रमण का खतरा रहता है.

स्पेशल फीवर क्लीनिक

संभावित मरीजों को एक स्पेशल फीवर क्लीनिक में भेज दिया जाता है. यहां बुखार नापने के साथ ही उसकी मेडिकल हिस्ट्री, ट्रैवेल हिस्ट्री पूछी जाती है. जरूरत पड़ने पर रोगी का सिटी स्कैन भी किया जाता है, जो कोविड-19 के शुरुआती स्क्रीनिंग का एक तरीका है. अगर मरीज संदिग्ध लगता है, तो उसका कोरोना वायरस पीसीआर टेस्ट किया जाता है.

दस दिन में तैयार हुआ हॉस्पिटल

संक्रमित रोगियों की बढ़ती संख्या को देखते हुए चीन ने वुहान में मात्र 10 दिनों में 1000 बेड और 30 इंटेंसिव केयर वार्ड वाला एक अस्पताल तैयार कर दिया. इसके अलावा, 1300 बेड वाला एक दूसरा अस्पताल भी 15 दिनों में बनकर तैयार हो गया.

मजबूत और प्रभावी निगरानी तंत्र

वर्ष 2002-03 में सार्स आपदा के दौरान भी चीन ने बड़ा निगरानी तंत्र बनाया था. इस बार भी कॉन्टैक्ट ट्रेसिंग टेक्नोलॉजी के जरिये लोगों की पहचान की जा रही है. डब्ल्यूएचओ के एग्जीक्यूटिव डायरेक्टर डॉ माइकल रयान का कहना है की जब बड़े पैमाने पर सोशल डिस्टेंसिंग यानी सामाजिक दूरी जैसे उपायों को अपनाया जाता है, तो संक्रमण की कड़ियां टूट जाती हैं और फैलाव रुक जाता है.

बड़े पैमाने पर की गयी जांच की व्यवस्था

चीन में गहन जांच कर जानकारी इकट्ठा की गयी. देशभर में आपातकालीन केंद्रों पर विशाल स्क्रीन लगायी गयी, ताकि बीमारी के हर लक्षण को पहचाना जा सके. इंटरनेट पर गलत जानकारी न फैले, इसके लिए वेबो, टेंसेंट और वीचैट समेत अन्य चीनी सोशल मीडिया प्लेटफॉर्मों ने वायरस से जुड़ी सही जानकारी साझा की.

जांच की सहज उपलब्धता

संक्रमण की पुष्टि के बाद मरीज को आइसोलेशन सेंटर या हॉस्पिटल में भेज दिया जाता है. शुरुआती 15 दिनों तक हॉस्पिटल में रखा जाता है, कोविड-19 के स्पष्ट लक्षण दिखने पर 13 दिन आइसोलेशन में रखा जाता है. यहां कोरोना वायरस की जांच निःशुल्क होती है. बिना स्वास्थ्य बीमा वाले रोगियों का खर्च सरकार ही उठाती है.

स्थगित की गयी सामान्य चिकित्सा सेवा

अस्पतालों में मरीजों के बीच संक्रमण को रोकने के लिए चीन ने गैर-जरूरी चिकित्सा सेवाओं को स्थगित कर िदया और डॉक्टरों को ऑनलाइन विजिट करने को कहा. चीन में लगभग 50 प्रतिशत चिकित्सकीय परामर्श ऑनलाइन हो चुका है.

भोजन व जरूरी सामानों के लिए होम डिलीवरी

चीनी सरकार द्वारा लोगों से घर में रहने की अपील की गयी. इस दौरान खाने-पीने और अन्य आवश्यक सामग्री मुहैया कराने के लिए होम डिलीवरी की सेवा बढ़ा दी गयी. लॉकडाउन के दौरान यहां डेढ़ करोड़ लोगों ने खाद्य सामग्री ऑनलाइन ऑर्डर की.

सहयोग की सामूहिक मुहिम

गैर-चिकित्सकीय सेवाओं से जुड़े लोगों को भी मुहिम से जोड़ा गया. प्रभावित क्षेत्रों में 40,000 से भी ज्यादा चिकित्सकीय कर्मचारियों को भेजा गया, जिसमें बड़ी संख्या में स्वयंसेवक भी थे. परिवहन, कृषि और लिपिकीय पदों पर काम करनेवालों को नयी जिम्मेदारी निभाते देखा गया. ये लोग बुखार चेक करते और खाना डिलीवर करने जैसे काम करते दिखे.

भारत के एहतियाती कदम

कोरोना संक्रमण को रोकने के लिए पूरे देश में लागू लॉकडाउन की वजह से आर्थिक गतिविधियों में ठहराव आ चुका है. आर्थिक चुनौतियों को कम करने के उद्देश्य से केंद्र सरकार और भारतीय रिजर्व बैंक ने कई अहम घोषणाएं की हैं.

आरबीआई ने घोषित किया राहत पैकेज

भारतीय रिजर्व बैंक ने रेपो दर में .75 प्रतिशत की कटौती की है. इस कटौती के बाद अब रेपो दर 4.40 प्रतिशत पर आ गयी है इस कटौती से बैंकों से होम, कार वह अन्य तरह के ऋण लेनेवाले और इएमआइ भरने वाले लाखों लोगों को राहत मिलेगी. आरबीआइ ने रिवर्स रेपो रेट में भी 90 बेसिस प्वाइंट की कटौती की. सभी कॉमर्शियल बैंकों को ब्याज और ऋण चुकाने के लिए तीन महीने की मोहलत दिये जाने की बात कही गयी है.

आर्थिक पैकेज से राहत पहुंचाने की कोशिश

दैनिक जीवन की समस्याओं से जूझ रहे आम भारतीयों के लिए वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण ने 1.7 लाख करोड़ के राहत पैकेज की घोषणा की.

उन्होंने कहा कि किसानों, मनरेगा मजदूरों, विधवा और पेंशन धारियों, जनधन योजना, उज्ज्वला योजना, स्व सहायता महिला समूह, संगठित क्षेत्र व निर्माण क्षेत्र के कर्मचारियों के खाते में सीधे नकदी डाली जायेगी. किसानों के खाते में अप्रैल के पहले सप्ताह में 2000 रुपये डाले जायेंगे. उज्ज्वला योजना के तहत तीन महीने तक निशुल्क गैस सिलेंडर दिये जायेंगे. इससे 8.3 करोड़ गरीब परिवारों को मदद मिलेगी. गरीब परिवारों को तीन महीने तक प्रति परिवार निःशुल्क पांच किलो चावल या पांच किलो गेहूं और एक किलो दाल दिया जायेगा.

फ्रंटलाइन वर्कर्स, जिनमें डॉक्टर, पैरा मेडिकल प्रोफेशनल, आशा वर्कर, सैनिटरी वर्कर आदि शामिल हैं, उन्हें 50 लाख रुपये का बीमा कवर दिया जायेगा. वित्तमंत्री ने कहा कि नेशनल रूरल लाइवलीहुड मिशन स्कीम के तहत कॉलेटरल ऋण को महिलाओं के लिए दोगुना कर 20 लाख कर दिया जायेगा. प्रधानमंत्री गरीब कल्याण योजना के तहत तीन महीने तक सरकार प्रतिमाह 15,000 रुपये से कम वेतन वाले कर्मचारियों का इपीएफ अंशदान भरेगी.

निर्माण कार्यों में लगे मजदूरों के लिए 31,000 करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया है. प्रधानमंत्री मोदी ने स्वास्थ्य से जुड़ी बुनियादी सुविधाओं को मजबूत बनाने के लिए 15000 करोड़ रुपये के पैकेज की घोषणा की है. श्रम मंत्रालय ने कहा है कि वह 52000 करोड़ के फंड का इस्तेमाल निर्माण कार्यों में लगे मजदूरों के लिए करेगा. ये पैसे सीधे इन मजदूरों के खाते में ट्रांसफर किये जायेंगे और इससे 3.5 करोड़ पंजीकृत निर्माण मजदूरों को फायदा मिलेगा.

Disclaimer: हमारी खबरें जनसामान्य के लिए हितकारी हैं. लेकिन दवा या किसी मेडिकल सलाह को डॉक्टर से परामर्श के बाद ही लें.

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