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गणतंत्र दिवस समारोह में सफाईकर्मियों व फ्रंटलाइन वर्कर्स बने मुख्य अतिथि, जानें वेस्ट वर्कर्स की स्थिति

यूएनडीपी इंडिया की ओर से पेश रिपोर्ट में कहा गया है कि स्वच्छ समाज के लिए कचरा बीनने वाले वेस्ट वर्कर्स की देश में सामाजिक और आर्थिक स्थिति अधिक बेहतर नहीं है.

By Prabhat Khabar Digital Desk | January 26, 2022 11:53 AM

नई दिल्ली : दिल्ली के राजपथ पर बुधवार को आयोजित 73वें गणतंत्र दिवस समारोह के अवसर पर कोरोना प्रोटोकॉल की वजह से किसी विदेशी शासक को आमंत्रित नहीं किया गया, बल्कि देश के सफाई कर्मचारियों, फ्रंटलाइन हेल्थ वर्कर्स और ऑटो चालकों को मुख्य अतिथि के रूप में आमंत्रित किया गया. कोरोना महामारी के दौरान सफाई कर्मचारियों और फ्रंटलाइन हेल्थ वर्कर्स की भूमिका अहम रही है. आइए, जानते हैं कि देश में वेस्ट वर्कर्स की स्थिति क्या है.

10 में 6 वेस्ट वर्कर्स के पास नहीं है बैंक खाता : यूएनडीपी

गणतंत्र दिवस की पूर्व संध्या पर यूनाइटेड नेशन डेवलपमेंट प्रोग्राम इंडिया (यूएनडीपी इंडिया) की ओर से मंगलवार को सफाई कर्मचारियों पर एक रिपोर्ट पेश की गई है. इस रिपोर्ट में यह बताया गया है कि स्वच्छ समाज के लिए कचरा बीनने वाले वेस्ट वर्कर्स की देश में सामाजिक और आर्थिक स्थिति अधिक बेहतर नहीं है. दस में से छह सफाई साथियों के अपने बैंक खाते नहीं हैं. वहीं, अधिकांश वेस्ट वर्कर्स अस्वास्थ्यकर अस्थाई जगहों या टीन शेड्स में रहते हैं.

यूएनडीपी इंडिया ने जारी किया विस्तृत विश्लेषण

यूएनडीपी इंडिया ने इस विषय को लेकर एक विस्तृत विश्लेषण जारी किया है. 14 शहरों के 9300 वेस्ट वर्कर्स से मिली जानकारी के आधार पर जारी किए गए विश्लेषण को अब तक का सबसे बड़ा आकलन माना जा रहा है. कचरा बीनने वाले वेस्ट वर्कर्स की स्थिति के विश्लेषण को नीति आयोग के सीईओ अमिताभ कांत द्वारा मंगलवार को औपचारिक रूप से जारी किया गया.

वेस्ट वर्कर्स असली पर्यावरणविद : अमिताभ कांत

अमिताभ कांत ने कहा कि कचरा बीनने वाले या वेस्ट वर्कर्स सही मायने में अदृश्य पर्यावरणविद हैं, जो कचरे के निस्तारण में अहम भूमिका निभाते हैं. सफाई कर्मचारियेां का ठोस प्लास्टिक कचरा प्रबंधन में भी अहम योगदान होता है. नीति आयोग, आवास एवं विकास मंत्रालाय तथा यूएनडीपी के साथ मिलकर समाज के इस अहम वर्ग के उत्थान में अपना योगदान देने को लेकर काफी खुश है.

यूएनडीपी ने शुरू की बेसलाइन परियोजना

यूएनडीपी के प्लास्टिक अपशिष्ट प्रबंधन कार्यक्रम के तहत बेसलाइन परियोजना उत्थान- राइज विद रिसाइलेंस के एक हिस्से के रूप मे शुरू की गई थी. उत्थान यूएनडीपी इंडिया, कोविड19 के समय में वेस्ट वर्कर्स तक सरकारी योजनाओं को पहुंचाने, योजनाओं को अधिक बेहतर, सुलभ और सफाई समुदायों के अनुसार बनाने की पैरवी करता है. बेसलाइन या जमीनी आकलन में महिला और पुरुष दोनों ही सामाजिक व आर्थिक स्थिति का पता लगाया गया, जो लगभग दोनों ही वर्ग में एक समान देखी गई.

आय और व्यवसाय नहीं बदलने को मजबूर वेस्ट वर्कर्स

यूएनडीपी इंडिया के आकलन में पाया गया कि वेस्ट वर्कर्स अपनी आय और व्यवसाय न बदल पाने को लेकर मजबूर हैं. इसके लिए यूएनडीपी ने कई तरह की कल्याणकारी योजनाएं चला रखी है. इससे पहले यूनएनडीपी ने वर्ष 2021 में सबसे पहले जापान दूतावास के सहयोग ने गोवा राज्य में वेस्ट वर्कर्स के सामाजिक कल्याण योजना की शुरूआत की थी. केंद्र सामाजिक सुरक्षा योजनाओं का संचालर करने वाले सरकारी विभाग और सफाई कर्मचारियों के बीच महत्वपूर्ण सेतु का काम करता है.

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क्या है वेस्ट वर्कर्स की स्थिति

10 में से छह वेस्ट वर्कर्स के पास नहीं है अपना बैंक खाता

केवल 21 फीसदी वेस्ट वर्कर्स को जनधन योजना का लाभ मिला

अधिकतर वेस्ट वर्कर्स डिजिटल पेमेंट की पहुंच से बाहर

आधार और मतदाता पहचान पत्र के अतिरिक्त 60 से 90 फीसदी सफाई कर्मचारी के पास अन्य किसी तरह का औपचारिक प्रमाणपत्र जैसे जन्म प्रमाणपत्र, आय प्रमाणपत्र, जाति प्रमामणपत्र, रोजगार कार्ड आदि नहीं

50 फीसदी वेस्ट वर्कर्स के पास अपना राशन कार्ड

पांच फीसदी से भी कम वेस्ट वर्कर्स के पास अपना स्वास्थ्य बीमा

अधिकांश वेस्ट वर्कर्स अस्थाई और अस्वच्छकर निवास जैसे टीनशेड्स या सड़क किनारे सोने को मजबूर

अधिकांश वेस्ट वर्कर्स लकड़ी आधारित ईंधन पर खाना बनाते हैं

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