Watershed: देश के कई हिस्सों में पानी की समस्या है. गर्मी के मौसम में पानी की कमी बड़ा संकट बन जाती है. ऐसे में सरकार पानी के संरक्षण को बढ़ावा देने के लिए योजना चला रही है. इस योजना से आम लोगों को जोड़ने के लिए बुधवार को केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण और ग्रामीण विकास मंत्री शिवराज सिंह चौहान वाटरशेड यात्रा का शुभारंभ करेंगे. इस यात्रा का मकसद लोगों में पानी के संरक्षण को लेकर जागरूकता फैलाना है. प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना के तहत केंद्र सरकार वाटरशेड डेवलपमेंट योजना का संचालन कर रही है. इस यात्रा के जरिये पानी संरक्षण में सामुदायिक भागीदारी को बढ़ाना और जमीनी स्तर पर योजना को लागू करने वाली मशीनरी को उत्साहित करना है.
साथ ही लोगों को यह बताना है कि प्राकृतिक संसाधनों का सतत प्रबंधन कृषि उत्पादन बढ़ाने, आजीविका और पर्यावरण के लिए क्यों जरूरी है. इस अभियान के दौरान नये काम के लिए भूमि पूजन, पूरा हुए कामों का लोकार्पण, पानी संरक्षण उत्सव, पानी संरक्षण को लेकर पंचायत, प्रोजेक्ट के तहत काम करने वाले लोगों को अवार्ड, श्रमदान और अन्य काम किया जायेगा. यह अभियान देश के 26 राज्यों और दो केंद्र शासित प्रदेश के 6673 ग्राम पंचायत के 13587 गांवों में आयोजित किया जायेगा.
अभियान में क्या होगा खास
इस अभियान को शुरू करने से पहले 1509 ग्राम पंचायत में 1640 प्रभात फेरी का आयोजन किया जा चुका है और भूमि पूजन के लिए 2043 जगहों को चिन्हित किया गया, जबकि 1999 काम का लोकार्पण होगा. श्रमदान के लिए 1196 जगह की पहचान की गयी और 557 जगहों पर हॉर्टिकल्चर का काम होगा. इस यात्रा के दौरान वाटरशेड मार्गदर्शक को सम्मानित किया जायेगा और वे अपने अनुभव वाटरशेड की पंचायत में साझा करेंगे. साथ ही इस दौरान विशेषज्ञ भी अपनी बात रखेंगे और प्रोजेक्ट पर काम करने वाले लगभग 8 हजार लोगों को सम्मानित किया जायेगा.
विभाग की ओर से वाटरशेड विकास के क्षेत्र में लर्निंग मैनेजमेंट सिस्टम का विकास किया गया है जो डिपार्टमेंट ऑफ लैंड रिकॉर्ड की वेबसाइट पर उपलब्ध होगा और इसे माई भारत पोर्टल से भी जोड़ा गया है ताकि युवाओं की भागीदारी को सुनिश्चित किया जा सके. समारोह में भाग लेने वाले युवाओं को सर्टिफिकेट दिया जायेगा ताकि वे श्रमदान कार्यक्रम में भागीदार बनने के लिए प्रोत्साहित हो सकें. सरकार की कोशिश इस अभियान से अधिक से अधिक युवाओं को जोड़ने की है ताकि वाटरशेड कार्यक्रम सामुदायिक कार्यक्रम बन सके.