Wayanad By Poll: प्रियंका गांधी वाड्रा ने वायनाड लोकसभा उपचुनाव में भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (CPI) के उम्मीदवार सत्यन मोकेरी को 410931 वोट के अंतर से हराया. प्रियंका गांधी को कुल 622338 वोट मिले. जबकि सत्यन मोकेरी को कुल 211407 वोट मिले. बीजेपी की नव्या हरिदास को 109939 वोट मिले. नव्या तीसरे नंबर पर रहीं.
प्रियंका गांधी: 25 साल तक स्टार प्रचारक और संकट मोचक
कभी 17 साल की उम्र में अपने पिता राजीव गांधी के साथ चुनावी प्रचार में शामिल होने और कई मौकों पर संसद में दर्शक दीर्घा से अपने पिता, मां और भाई के भाषणों की साक्षी बनीं प्रियंका गांधी वाड्रा शनिवार को लोकसभा के लिए निर्वाचित हो गईं.
संसद में गांधी-नेहरू परिवार की तीसरी सदस्य होंगीं प्रियंका
केरल के वायनाड से उनके निर्वाचन के बाद यह पहली बार है कि संसद में गांधी-नेहरू परिवार तीन सदस्य होंगे. उनके भाई राहुल गांधी लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष हैं और मां सोनिया गांधी राज्यसभा की सदस्य हैं. अपनी दादी इंदिरा गांधी, मां सोनिया गांधी और भाई राहुल गांधी के बाद वह भी संसद में दक्षिण भारत के किसी क्षेत्र का प्रतिनिधित्व करने जा रही हैं.
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प्रियंका पहली बार जाएंगी लोकसभा
प्रियंका गांधी पहली बार किसी सदन की सदस्य बनी हैं. वह 2019 के लोकसभा चुनाव से पहले सक्रिय राजनीति में उतरी थीं. उसके बाद से वह पार्टी महासचिव की जिम्मेदारी निभा रही हैं. लोकसभा चुनाव के कुछ दिनों बाद, जून में कांग्रेस ने घोषणा की थी कि राहुल गांधी उत्तर प्रदेश में रायबरेली संसदीय क्षेत्र रखेंगे और केरल की वायनाड सीट खाली कर देंगे, जहां से उनकी बहन प्रियंका गांधी चुनावी पारी की शुरुआत करेंगी. राहुल गांधी के वायनाड छोड़ने से सीट खाली हुई थी.
प्रियंका ने बताया, उनके पास राजनीति में 35 साल का अनुभव
वायनाड में नामांकन दाखिल करने के बाद प्रियंका जब चुनाव प्रचार में उतरीं तो उनके विरोधियों ने उन्हें राजनीति में अनुभव की कमी को लेकर घेरा. इसके जवाब में प्रियंका गांधी वाड्रा ने कहा कि उनके पास राजनीति में 35 साल का अनुभव है क्योंकि वह 1989 में अपने पिता राजीव गांधी के साथ 17 साल की उम्र में पहली बार चुनाव प्रचार अभियान में शामिल हुई थीं.
प्रियंका गांधी ने पहली बार 1999 में किया था चुनाव प्रचार
प्रियंका गांधी 1999 में अपनी मां सोनिया गांधी के लिए चुनाव प्रचार करने उतरी थीं. इस दौरान उन्होंने पहली बार राजनीतिक मंच से भाजपा उम्मीदवार अरुण नेहरू के खिलाफ प्रचार था. लेकिन इन 25 सालों में ऐसा कभी नहीं हुआ, जब प्रियंका गांधी ने चुनाव लड़ा हो. कांग्रेस समर्थक प्रियंका गांधी में इंदिरा गांधी का अक्स देखते हैं और वो लंबे समय से उनके चुनावी राजनीति में उतरने की आस लगाए हुए थे. वह अपनी सियासी सूझबूझ और तोलमोल कर फैसले करने के लिए जानी जाती हैं. वर्ष 2017 के उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में कांग्रेस और समाजवादी पार्टी के गठबंधन और सीट बंटवारे में प्रियंका गांधी ने बड़ी भूमिका निभाई, हालांकि इस गठबंधन को सफलता नहीं मिली.
स्टार प्रचार की भूमिका में भी नजर आईं प्रियंका गांधी
प्रियंका गांधी कांग्रेस के लिए स्टार प्रचार की भूमिका निभाती आ रही हैं. अब तक उनका चुनावी ग्राफ मिला-जुला रहा है. वर्ष 2022 में उनके प्रभार में कांग्रेस उत्तर प्रदेश में कुछ खास असर नहीं छोड़ सकी तथा सिर्फ ढाई फीसदी के वोट शेयर और दो सीट पर सिमट गई.