Loading election data...

दिल्ली में घुटने लगा लोगों का दम, वायु गुणवत्ता बेहद गंभीर

दिल्ली में हर रोज शाम चार बजे दर्ज किया जाने वाला पिछले 24 घंटे के दौरान का वायु गुणवत्ता सूचकांक (एक्यूआई) 401 रहा. मंगलवार को यह 397 था.

By Agency | November 15, 2023 9:11 PM
an image

नई दिल्ली : भारत की राजधानी दिल्ली में लोगों को सांस लेना भी मुश्किल है. यहां की वायु गुणवत्ता इतनी गंभीर हो गई है कि अब तो जहरीली धुंध की चादर से लोगों का दम घुटने लगा है. मीडिया की रिपोर्ट के अनुसार, दिल्ली-एनसीआर आसमान में छाई जहरीली धुंध की चादर बुधवार को और घनी हो गई और मौसम की प्रतिकूल परिस्थितियों के बीच हवा की गुणवत्ता एक बार फिर ‘गंभीर’ श्रेणी में पहुंच गई.

दिल्ली का एक्यूआई 401

रिपोर्ट में कहा गया है कि दिल्ली में हर रोज शाम चार बजे दर्ज किया जाने वाला पिछले 24 घंटे के दौरान का वायु गुणवत्ता सूचकांक (एक्यूआई) 401 रहा. मंगलवार को यह 397 था. एक्यूआई सोमवार को 358 और रविवार को 218, शनिवार को 220, शुक्रवार को 279 और बृहस्पतिवार को 437 था. इसके साथ ही, पड़ोसी शहर गाजियाबाद (एक्यूआई 378), गुरुग्राम (297), ग्रेटर नोएडा (338), नोएडा (360) और फरीदाबाद (390) में भी वायु गुणवत्ता बहुत खराब दर्ज की गई. बता दें कि शून्य से 50 के बीच एक्यूआई ‘अच्छा’, 51 से 100 के बीच ‘संतोषजनक’, 101 से 200 के बीच ‘मध्यम’, 201 से 300 के बीच ‘खराब’, 301 से 400 के बीच ‘बहुत खराब’, 401 से 450 के बीच ‘गंभीर’ और 450 से ऊपर ‘अत्यधिक गंभीर’ माना जाता है.

सरकार के उपाय नहीं आ रहे काम

दिल्ली सरकार द्वारा प्रदूषण को नियंत्रित करने के लिए निर्माण कार्य और शहर में डीजल से चलने ट्रकों के प्रवेश पर प्रतिबंध सहित कई कड़े कदम उठाने के बावजूद पिछले कुछ दिनों में दिल्ली की वायु गुणवत्ता में गिरावट आई है. वायु गुणवत्ता की निगरानी में विशेषज्ञता रखने वाली स्विस कंपनी आईक्यूएयर के मुताबिक, मंगलवार को दुनिया के सबसे प्रदूषित शहरों की सूची में दिल्ली पहले स्थान पर, ढाका दूसरे, लाहौर तीसरे और मुंबई चौथे स्थान पर थी.

पराली जलाने से भी हवा हो रही खराब

प्रदूषण के विभिन्न स्रोतों के योगदान की पहचान करने के लिए पुणे स्थित भारतीय ऊष्णकटिबंधीय मौसम विज्ञान संस्थान द्वारा विकसित एक प्रणाली के अनुसार, बुधवार को राष्ट्रीय राजधानी में वायु प्रदूषण में पराली जलाने की घटनाओं की हिस्सेदारी 23 फीसदी थी. गुरुवार को इसके 11 फीसदी और शुक्रवार को चार फीसदी रहने का अनुमान है. आंकड़ों से यह भी पता चला कि दिल्ली में प्रदूषण के एक अन्य प्रमुख कारण परिवहन ने पिछले कुछ दिनों में दिल्ली की खराब हवा में 12 से 15 प्रतिशत का योगदान दिया है. दिल्ली प्रदूषण नियंत्रण समिति (डीपीसीसी) के विश्लेषण के अनुसार दिल्ली में एक से 15 नवंबर तक प्रदूषण चरम पर होता है, जब पंजाब और हरियाणा में पराली जलाने की घटनाओं की संख्या बढ़ जाती है बुधवार को पंजाब में पराली जलाने की 2,544 घटनाएं दर्ज की गईं, जिससे 15 सितंबर के बाद से इस तरह की घटनाओं की संख्या 30,661 हो गई है. दिल्ली की वायु गुणवत्ता दुनिया के राजधानी शहरों में सबसे खराब है.

केंद्र सरकार की जीआरएपी रहेगी जारी

वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग (सीएक्यूएम) के एक अधिकारी ने कहा कि केंद्र सरकार की वायु प्रदूषण नियंत्रण योजना का अंतिम चरण अगले आदेश तक जारी रहेगा. इसे क्रमिक प्रतिक्रिया कार्य योजना (जीआरएपी) कहते हैं. इसके तहत राष्ट्रीय राजधानी में निर्माण कार्य और प्रदूषण फैलाने वाले ट्रकों के प्रवेश पर प्रतिबंध सहित कड़े कदम उठाए गए हैं.

सरकारी वाहनों का परिचालन होगा कम

इस हफ्ते की शुरुआत में दिल्ली के पर्यावरण मंत्री गोपाल राय ने कहा था कि अगर एक्यूआई 400 का आंकड़ा पार करता है, तो दिल्ली सरकार वाहनों के परिचालन को सीमित करने से संबंधित सम-विषम योजना लागू कर सकती है. शुक्रवार को बारिश के कारण दिल्ली की वायु गुणवत्ता में उल्लेखनीय सुधार के बाद सरकार ने पिछले सप्ताह ऑड-इवन योजना के कार्यान्वयन को स्थगित कर दिया था. योजना के तहत कारों को उनके पंजीकरण संख्या के ऑड या इवन अंतिम अंक के आधार पर वैकल्पिक दिनों में संचालित करने की अनुमति दी जाती है.

Also Read: इसरो रोबोटिक्स चैलेंज 2024 : Rover में अब लगेगा टायर वाला चक्का, छात्र तैयार करेंगे डिजाइन

सांस में घुल रहा जहरीला धुंआ

चिकित्सकों का कहना है कि दिल्ली की प्रदूषित हवा में सांस लेना एक दिन में लगभग 10 सिगरेट पीने के हानिकारक प्रभावों के बराबर है. उन्होंने कहा कि लंबे समय तक उच्च स्तर के प्रदूषण के संपर्क में रहने से अस्थमा, ब्रोंकाइटिस और श्वसन संबंधी गंभीर समस्याएं हो सकती हैं या बढ़ सकती हैं और हृदय रोग का खतरा बढ़ सकता है. वाहन उत्सर्जन, धान-पुआल जलाने, पटाखे और अन्य स्थानीय प्रदूषण स्रोतों के साथ प्रतिकूल मौसम संबंधी स्थितियां, सर्दियों के दौरान दिल्ली-एनसीआर (राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र) में खतरनाक वायु गुणवत्ता स्तर में योगदान करती हैं. अगस्त में शिकागो विश्वविद्यालय में ऊर्जा नीति संस्थान (ईपीआईसी) द्वारा संकलित एक रिपोर्ट के अनुसार, वायु प्रदूषण दिल्ली में लोगों की उम्र लगभग 12 साल कम कर रहा है.

Also Read: हाईवे पर ड्राइवर कैसे चलाते हैं स्कूल बस! कहीं आपके नौनिहाल खतरे में तो नहीं? जानें SC की गाइडलाइन्स

Exit mobile version