Weather Forecast: इस साल पड़ेगी देश में रिकॉर्डतोड़ गर्मी? अभी से सताने लगी तपिश, जानें आगे कैसा रहेगा मौसम का हाल
Weather Forecast: 'ला नीना' प्रशांत महासागर के जल के शीतलन से जुड़ी प्रक्रिया है, जबकि 'अल नीनो' तापमान बढ़ने की प्रक्रिया है. इस घटनाक्रम का भारतीय उपमहाद्वीप के मौसम पर असर पड़ता है.
Weather Forecast : मार्च का महीना जैसे-जैसे बीतता जा रहा है सूरज का पारा वैसे-वैसे चढ़ता जा रहा है. मार्च का पहला हफ्ता बीतते-बीतते एक ओर जहां देश के कुछ इलाकों में पारा 40 तक पहुंच गया है. मार्च में मौसम का ये हाल देख कर इस बात का अंदाजा लागाया जा सकता है कि मई-जून में क्या हाल होने वाला है. IMD ने भी इस बात की आंशका जतायी है कि उत्तर, उत्तर पूर्व और उत्तर पश्चिम भारत में इस साल मार्च, अप्रैल और मई के महीने में तापमान सामान्य से अधिक रहने वाली है.
क्या होगी ‘ला नीना’ की भूमिका
आइएमडी का कहना है कि मध्य एवं पूर्वी भूमध्यरेखीय प्रशांत महासागर के ऊपर भूमध्यरेखीय प्रशांत तथा समुद्री सतह का तापमान (एसएसटी) पर ‘ला नीना’ की स्थिति सामान्य है. नवीनतम पूर्वानुमान से स्पष्ट है कि आगामी गर्मी के मौसम (मार्च से मई) की अवधि में ‘ला नीना’ की स्थिति बरकरार रहने की संभावना है. ‘ला नीना’ प्रशांत महासागर के जल के शीतलन से जुड़ी प्रक्रिया है, जबकि ‘अल नीनो’ तापमान बढ़ने की प्रक्रिया है. इस घटनाक्रम का भारतीय उपमहाद्वीप के मौसम पर असर पड़ता है.
दिल्ली में बीते 15 साल में सबसे गर्म रहा फरवरी
– भारतीय मौसम विज्ञान विभाग के मुताबिक राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में फरवरी की शुरुआत में ही तापमान 30 डिग्री सेल्सियस पहुंच गया था, जो बीते 15 वर्षों में सर्वाधिक रहा. इससे पहले 2006 में फरवरी के शुरुआती हफ्ते में तापमान 30 डिग्री सेल्सियस पहुंचा था. हालांकि, आइएमडी के आंकड़ों के अनुसार, फरवरी में मध्य अधिकतम तापमान 23.9 डिग्री सेल्सियस और मध्य न्यूनतम तापमान 10.4 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया.
उत्तर भारत के मैदानी इलाकों में शीतलहर और ठंड की स्थिति नहीं रहने के कारण तापमान में अचानक बढ़त होने लगी. इस दौरान दिल्ली, देहरादून समेत अनेक पहाड़ी तथा मैदानी इलाकों में तापमान सामान्य से ऊपर दर्ज होने लगा. नयी दिल्ली में 11 फरवरी का तापमान 30.4 डिग्री सेल्सियस दर्ज हुआ, जो सामान्य से 7.7 डिग्री सेल्सियस अधिक रहा. पुरवा हवा की अधिकता और मध्य भारत में अनेक मौसम प्रणालियों की मौजूदगी के कारण उत्तर भारत के सभी इलाकों में शीतलहर का ज्यादा प्रभाव नहीं हो पाया. इसी वजह से तापमान में अचानक बढ़ोतरी होने लगी, कई स्थानों पर तापमान में सामान्य से पांच से सात डिग्री सेल्सियस तक की बढ़ोतरी दर्ज हुई.