Weather Forecast : अब पड़ेगी हाड़ कंपाने वाली ठंड, इन राज्यों के लोग हो जाएं सावधान

Weather Forecast : इस साल देश में ठंड जोरदार पड़ेगी. इसकी संभावना पहले ही व्यक्त कर दी गई है. जानें विश्‍व मौसम संगठन (WMO) ने क्या दी है जानकारी

By Amitabh Kumar | October 12, 2024 11:21 AM

Weather Forecast : बारिश का मौसम अब करीब समाप्त हो चुका है. कुछ दिनों में ठंड का मौसम आने वाला है. इस बार ज्यादा ठंड की संभावना व्यक्त की गई है. भारत मौसम विभाग (IMD) के पूर्वानुमान के अनुसार, कठोर सर्दियों के लिए तैयार रहने की जरूरत है. विभाग ने ला नीना घटना की शुरुआत की ओर इशारा किया है, जिससे पूरे देश में तापमान में भारी गिरावट देखने को मिलेगी. देश के कुछ राज्यों में हल्की ठंड लगने भी लगी है.

पिछले महीने मौसम विभाग ने जानकारी दी थी कि ला नीना की वजह से इस साल ज्यादा ठंड पड़ सकती है. आमतौर पर, ला नीना अप्रैल और जून के बीच शुरू होता है, अक्टूबर और फरवरी के बीच मजबूत होता है. यह नौ महीने से दो साल तक चल सकता है. यह समुद्र के पानी को पश्चिम की ओर धकेलने वाली तेज पूर्वी हवाओं द्वारा संचालित होता है. इससे समुद्र की सतह ठंडी हो जाती है. यह अल नीनो के विपरीत है, जो गर्म परिस्थितियां लाता है. इस साल संभावना है कि साल के अंत तक ला नीना स्थितियां समय से पहले मजबूत हो जायेंगी.

इन राज्यों में पड़ेगी ज्यादा ठंड

देश के अलग-अलग इलाकों में सर्दी की तीव्रता अलग-अलग रहने की उम्मीद मौसम विभाग ने व्यक्त की है. हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड और जम्मू-कश्मीर जैसे उत्तरी राज्यों में विशेष रूप से ठंड की स्थिति देखने को मिल सकती है, जहां तापमान संभवतः 3 डिग्री सेल्सियस तक गिर सकता है. आईएमडी ने नागरिकों से आने वाली सर्दी के लिए पर्याप्त हीटिंग, जरूरी चीजों का स्टॉक और मौसम रिपोर्ट से अपडेट रहकर तैयारी करने का आग्रह किया है. विभाग ने कहा है कि सरकार से भी यह अपेक्षा है कि वह विशेष रूप से संवेदनशील क्षेत्रों में प्रभाव को कम करने के लिए उपाय लागू करे.

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ठंड की अवधि भी होगी ज्यादा

विश्‍व मौसम संगठन (WMO) ने इस सर्दी को लेकर पूर्वानुमान जारी किया है. विज्ञानियों का कहना है कि इस साल के अंत तक ला नीना (La Nina) का प्रभाव 60 प्रतिशत रह सकता है. इसकी वजह से इस वर्ष उत्तरी भागों में कड़ाके की ठंड तो पड़ेगी ही, साथ ही ठंड की अवधि भी ज्यादा हो सकती है. ला नीना के डेवलप होने पर प्रशांत महासागर की सतह का टेम्‍प्रेचर कम हो जाता है. जब सतह का टेम्‍प्रेचर कम होगा तो ठंड भी ज्यादा होगी.

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