दक्षिण-पश्चिमी मॉनसून ने बीते सोमवार को देश से विदाई ले ली. लेकिन लक्षद्वीप क्षेत्र के ऊपर एक चक्रवाती हवाओं का क्षेत्र बना हुआ है. एक और चक्रवाती हवाओं का क्षेत्र दक्षिण-मध्य बंगाल की खाड़ी के ऊपर बना हुआ है. वहीं, एक ट्रफ रेखा दक्षिण-मध्य बंगाल की खाड़ी के ऊपर बने हुए चक्रवाती हवाओं के क्षेत्र से उत्तर-पश्चिम बंगाल की खाड़ी तक फैली हुई है.
इनके कारण देश के कुछ हिस्सों में भारी बारिश हो सकती है. स्काइमेट वेदर की माने तो पश्चिमोत्तर और मध्य भारत का मौसम फिलहाल शुष्क रहेगा. वहीं, उत्तर पश्चिम और मध्य भारत के कुछ हिस्सों में न्यूनतम तापमान में और गिरावट की संभावना है. इधर तटीय कर्नाटक, दक्षिण आंतरिक कर्नाटक, तमिलनाडु और केरल के कुछ हिस्सों में हल्की से मध्यम बारिश के साथ कुछ स्थानों पर भारी बारिश हो सकती है.
वहीं, निचले क्षोभमंडल स्तरों में उत्तर-पूर्वी हवाओं के बनने से दक्षिण प्रायद्वीपीय भारत में सोमवार से पूर्वोत्तर मॉनसून की बारिश शुरू हो गयी. इसी के साथ देश में ठंड का आगाज हो गया है. पहाड़ों पर हो रही बर्फबारी और बारिश के कारण न्यूनतम तापमान में लगातार गिरावट देखी जा रही है. दोपहर में तेज गर्मी के बाद शाम होते ही तापमान तेजी से गिर रहा है. इस बार दीपावली पर अच्छी खासी ठंड महसूस होने का अंदेशा जताया रहा है.
मॉनसून विभाग ने बताया कि 1975 के बाद मॉनसून की यह सातवीं बार सर्वाधिक विलंब से हुई रवानगी है. इससे पहले, 2010 और 2021 के बीच दक्षिण-पश्चिमी मॉनसून 25 अक्तूबर को या उसके बाद पांच बार 2017, 2010, 2016, 2020 और 2021 में देश से विदा हो गया है. दक्षिण-पश्चिमी मॉनसून की छह अक्तूबर को पश्चिमी राजस्थान और उससे सटे गुजरात से रवानगी शुरू हो गयी थी.
आमतौर पर उत्तर पश्चिमी भारत से दक्षिण-पश्चिमी मॉनसून 17 सितंबर से विदा लेना शुरु करता है. आइएमडी के आंकड़ों के मुताबिक, पिछले साल 28 सितंबर, 2019 में नौ अक्तूबर, 2018 में 29 सितंबर, 2017 में 27 सितंबर और 2016 में 15 सितंबर को मॉनसून की रवानगी शुरू हुई थी.
मौसम विभाग का कहना है कि कि इस बार उत्तर-पूर्व एशिया में कड़ाके की ठड़ पड़ सकती है. जनवरी और फरवरी में देश के कुछ उत्तरी इलाकों में तापमान तीन डिग्री सेल्सियस तक नीचे जा सकता है. मौसम की स्थिति के लिए ला नीना को जिम्मेदार बताया जा रहा है. प्रशांत क्षेत्र में ला नीना उभर रहा है. आमतौर पर इसका अर्थ है कि उत्तरी गोलार्ध में तापमान का सामान्य से कम रहना. जलवायु परिवर्तन के कारण आर्कटिक के कारा सागर में समुद्री बर्फ की कमी हो गयी है. यह पूरे उत्तर-पूर्व एशिया में कड़ाके की ठंड की ओर इशारा करता है जैसा पिछले साल सर्दियों में हुआ था.
खास बातें:-
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1975 के बाद सातवीं बार सर्वाधिक विलंब से हुई माॅनसून की रवानगी
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दो दिन के विलंब से तीन जून को केरल पहुंचा था दक्षिण-पश्चिमी मॉनसून
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दिल्ली, हरियाणा के कुछ हिस्सों और पश्चिमी यूपी से पहले जैसलमेर पहुंचा
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लगातार तीसरे वर्ष देश में सामान्य या सामान्य से अधिक बारिश दर्ज
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अक्तूबर-दिसंबर तक पूर्वोत्तर मॉनसून रह सकती है सामान्य
उत्तराखंड में बर्फबारी के बीच चार धाम यात्रा फिर शुरू हो गयी है. देवस्थानम प्रबंधन बोर्ड ने सोमवार को यह जानकारी दी. गंगोत्री और यमुनोत्री धाम की ऊंची चोटियों पर बर्फबारी शुरू हो गयी है. उत्तरकाशी जिले के दोनों स्थानों समेत निचले इलाकों में भी ठंड बढ़ गई है. यहां की सड़कें और हेलीपैड बर्फ से ढक गये हैं और केदारनाथ मंदिर के पास सफाई कार्य जारी है. केदारनाथ में हेलीकॉप्टर सेवा प्रभावित हुई है और हेलीपैड से बर्फ साफ की जा रही है. बता दें कि पिछले हफ्ते मूसलाधार बारिश के बीच उत्तराखंड सरकार ने चारधाम यात्रा को अस्थायी रूप से स्थगित कर दिया था.
Posted by: Pritish Sahay