13.1 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Advertisement

Climate Change : किसानों के लिए लगातार तीसरे साल भी बेईमान रहेगा मौसम, वैज्ञानिकों ने जतायी आशंका

मौसम वैज्ञानिक इस चक्र के मध्य, पूर्व और दक्षिण भारत के कुछ हिस्सों में लंबे समय तक जारी रहने की भविष्यवाणी कर रहे हैं. उत्तरी मैदानी इलाकों में होने वाली कुछ बारिश तुलनात्मक रूप से कम होगी.

-सीमा जावेद-

जलवायु परिवर्तन की मार से देश के किसान लगातार परेशान हैं. पिछले दो सालों से लगातार मौसम का कहर किसानों पर टूट रहा है. इस साल भी मार्च महीने में ही जिस तरह मौसम का मिजाज गरम हो रहा है उससे झुलसा देने वाली गर्मी, सूखा और बेवक्त की बारिश, ओले गिरने के आसार किसानों के लिए परेशानी का सबब बन सकते हैं. इस संबंध में मौसम वैज्ञानिक लगातार भविष्यवाणी कर रहे हैं. मौसम वैज्ञानिकों का कहना है कि लगातार तीसरे साल किसानों पर मुसीबत आने वाली है.

लगातार बढ़ रहा है हीट स्ट्रेस

भारत इस सप्ताह की शुरुआत में बेमौसम बारिश का दूसरा दौर देखने के लिए तैयार है. इन बारिशों को प्री-मानसून बारिशों का नाम दिया जा सकता है, जो इस साल देश भर में बढ़ती गर्मी के की बदौलत वक्त से पहले शुरू हो गई हैं. जिसकी वजह से देश भर में हीट स्ट्रेस बढ़ रहा है. प्री-मानसून मौसम की सरगर्मियां मार्च के दूसरे पखवाड़े तक नजर आने लगती हैं. वैज्ञानिकों के मुताबिक फरवरी की शुरुआत में ही बढ़े हुए तापमान की वजह से समय से पहले ही लोकल वेदर सिस्टम बन गया है.

मौसम में बेतहाशा बदलाव के मामले सामने आये

वास्तव में, यदि तापमान में बढ़ोतरी जारी रहती है, तो नमी के स्तर में इजाफे की वजह से ये संवहन प्रणालियां लगातार अंतराल पर बनती रहेंगी, जिससे मौसम में बेतहाशा बदलाव के मामले सामने आयेंगे. क्लाइमेट सिस्टम में इन बदलाव को जलवायु परिवर्तन के लिए जिम्मेदार ठहराया जा सकता है.

मौसम वैज्ञानिकों ने जतायी आशंका

मौसम वैज्ञानिक इस चक्र के मध्य, पूर्व और दक्षिण भारत के कुछ हिस्सों में लंबे समय तक जारी रहने की भविष्यवाणी कर रहे हैं. उत्तरी मैदानी इलाकों में होने वाली कुछ बारिश तुलनात्मक रूप से कम होगी. जिसमें बारिश, गरज चमक के साथ बौछार, ओले गिरना और बिजली चमकने के आसार हैं. इससे खासकर महाराष्ट्र, तेलंगाना और मध्य प्रदेश के आंतरिक इलाकों में खेतों में खड़ी फसलों को नुकसान पहुंचने का खतरा है.

राजस्थान, मध्यप्रदेशऔर महाराष्ट्र के किसानों पर आफत

राजस्थान, मध्य प्रदेश और महाराष्ट्र में बेमौसम बारिश और ओलों का गिरना पहले ही फसलों की संभावित तबाही की वजह बन चुके हैं. एक अन्य हालिया अध्ययन के मुताबिक, प्री-मॉनसून सीजन के दौरान महत्वपूर्ण वर्षा-वाहक प्रणालियां मेसोस्केल कन्वेक्टिव सिस्टम, गरज के साथ तूफानी बारिश और ट्रॉपिकल साइक्लोन हैं. बारिश की बेतहाशा घटनाओं की तीव्रता और आवृत्ति में वृद्धि मुख्य रूप से एशिया में वैश्विक जलवायु परिवर्तन से प्रभावित है.

ग्रीनहाउस गैस का उत्सर्जन बढ़ रहा

वातावरण में मानवजनित ग्रीनहाउस गैसों की बढ़ोतरी, खासकर CO2 की दर का दोगुना बढ़ जाना, वैश्विक तापमान में औसतन 1.5 डिग्री सेल्सियस बढ़ जाने से संबंधित है. ग्रीनहाउस गैसों में वृद्धि से प्री-मानसून सीजन में दिन और रात में बेतहाशा गर्मी और उमस के साथ असुविधाजनक स्थिति का सामना करना पड़ सकता है. प्री मानसून सीजन के दौरान बादल ऊपर की तरफ फैलते हैं तथा ज्यादातर दोपहर बाद और शाम के शुरुआती घंटों के दौरान ऊपर आते हैं. वे हाई टेम्प्रेचर, नमी के निचले स्तर, अस्थिर परिस्थितियों आदि जैसे हालात से उत्पन्न होते हैं, जिसके नतीजे में बेहद ऊंचाई तक बादलों का निर्माण होता है. प्री-मानसून बारिशों के साथ कभी-कभी तेज रफ्तार हवाएं चलती हैं जिसके साथ धूल भरी आंधी आती है और वे प्रकृति में पैचिंग करते हैं.

बेमौसम बारिश और ओलावृष्टि कीआशंका

इस साल प्री-मानसून मौसम की सरगर्मियां काफी पहले शुरू हो गई हैं, मार्च के पहले सप्ताह में ही बारिश और गरज चमक के साथ बौछारें दस्तक देने लगी हैं. इस शुरुआती दौर में 6-8 मार्च के बीच होने वाली गैर मौसम की बारिश और गरज चमक ने राजस्थान, मध्य प्रदेश और महाराष्ट्र के काफी हिस्सों में फसल को नुकसान पहुंचाया. तेज हवाओं और ओलावृष्टि से फसल बर्बाद हो गई, जिसके नुकसान की भरपाई नहीं हो सकी.

खड़ी फसल को होगा नुकसान

अब, देश ओलावृष्टि और बिजली गिरने के साथ-साथ प्री-मानसून बारिश और गरज के साथ बौछारों के एक और लंबे दौर के लिए तैयार है. इसके साथ, हिंदुस्तान के कई हिस्सों में खड़ी फसल पर नुकसान का खतरा बढ़ रहा है.

सक्रिय पश्चिमी विक्षोभ पश्चिमी हिमालय से गुजरेगा

आने वाला समय कई मौसम प्रणालियों के बीच आपसी तालमेल का नतीजा होगा. जलवायु मॉडल के मुताबिक पूर्वी मध्य प्रदेश और तेलंगाना तथा इससे सटे हुए उत्तरी आंध्र प्रदेश में दोहरे चक्रवाती हवाओं के क्षेत्र बनने की संभावना है. इन दोनों प्रणालियों के बीच एक गर्त बनने का अनुमान है. अरब सागर के साथ-साथ दूसरी ओर बंगाल की खाड़ी से आने वाली नमी की वजह से दोनों प्रणालियां और ज्यादा चिह्नित हो जाएंगी. इसके अलावा उसी समय के दौरान एक सक्रिय पश्चिमी विक्षोभ पश्चिमी हिमालय से गुजरेगा.

1901 के बाद फरवरी सबसे ज्यादा गर्म रहा

भारत पहले ही औसत से ज्यादा तापमान का सामना करने का गवाह रहा है, 1901 के बाद से दिसंबर और फरवरी सबसे ज्यादा गर्म रहा है. कई रिसर्च और अध्ययन ग्लोबल वार्मिंग के कारण बढ़ती हुई गर्मी में इजाफे से खबरदार कर रहे हैं. मई 2022 में कटाई के समय भीषण गर्मी की वजह से बड़े पैमाने पर फसल खासकर गेहूं को नुकसान हुआ. एक बार फिर साल 2023 में बेईमान मौसम का खामियाजा अन्नदाता को भुगतना पड़ सकता.

(लेखिका प्रसिद्ध पर्यावरणविद हैं)

Also Read: जलवायु परिवर्तन की मार से बेहाल हो सकते हैं बिहार, उत्तर प्रदेश, असम, राजस्‍थान सहित ये 9 राज्य : रिपोर्ट

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Advertisement

अन्य खबरें

ऐप पर पढें