Loading election data...

तालिबान पर क्या है भारत की तैयारी! रूसी NSA से मिलेंगे अजीत डोभाल, CIA चीफ से भी हुई बात, जानें…

अमेरिका सेना के अफगानिस्तान से हटने के बाद अब भारत क्षेत्रीय सुरक्षा के लिए इंटेलिजेंस साझा करे. अमेरिका चाहता है भारत कुछ अफगानी नागरिकों को भी अपने यहां पनाह दे

By Prabhat Khabar Digital Desk | September 8, 2021 1:40 PM
an image

नयी दिल्ली : अफगानिस्तान में तालिबान की सरकार बनाने की कवायद तेज है. इस बीच भारत लगातार स्थिति पर नजर रखे हुए है. भारत के सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल ने अपने रूसी समकक्ष निकोलाई पेत्रुशेव से आज मुलाकात करने वाले हैं. साथ ही डोभाल ने अमेरिकी इंटेलिजेंस एजेंसी सीआईए के चीफ विलियम बर्न्स से भी दिल्ली में मुलाकात की. दोनों के बीच तालिबान को लेकर लंबी बातचीत हुई.

न्यूज-18 की खबर के मुताबिक अमेरिका सेना के अफगानिस्तान से हटने के बाद अब भारत क्षेत्रीय सुरक्षा के लिए इंटेलिजेंस साझा करे. अमेरिका चाहता है भारत कुछ अफगानी नागरिकों को भी अपने यहां पनाह दे और ज्यादा से ज्यादा ग्राउंड इंटेलिजेंस साझा करे. हालांकि अभी तक इसकी पुष्टि आधिकारिक तौर पर नहीं हुई है. द हिंदू की रिपोर्ट में कहा गया है कि अमेरिकी सिक्योरिटी और इंटेलिजेंस के अधिकारी इस हफ्ते दिल्ली दौरे पर हैं.

Also Read: तालिबान ने अफगानिस्तान में सरकार गठन कार्यक्रम में 6 देशों को किया आमंत्रित, जानें क्या है उनकी भूमिका
आज रूसी एनएसए के साथ खास मुलाकात

कई मीडिया रिपोर्ट्स में दावा किया जा रहा है कि डोभाल की आज रूसी समकक्ष के साथ बातचीत खास होगी. अफगानिस्तान में रूस अहम रोल निभा सकता है. काबुल पर तालिबान के कब्जे के बाद 24 अगस्त को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन की भी बात हुई थी. दोनों ने एक साथ मिलकर काम करने पर सहमति जतायी है.

इसी बातचीत के बाद भारत पहुंचे रूस की सुरक्षा परिषद के सचिव निकोलाई पेत्रुशेव विदेश मंत्री एस जयशंकर और प्रधानमंत्री मोदी से भी मुलाकात करेंगे. आज ही एनएसए अजीत डोभाल के साथ उनकी बातचीत संभावित है. एएनआई के मुताबिक वे अफगानिस्तान में राजनीतिक, सुरक्षा और मानवीय स्थिति की समीक्षा करेंगे. यह परामर्श अफगानिस्तान में भारत और रूस के बीच राजनीतिक सुरक्षा सहयोग में उल्लेखनीय वृद्धि की इच्छा, महत्व और क्षमता को दर्शायेगा.

Also Read: 36 करोड़ का इनामी आतंकी हक्कानी बना तालिबान का गृह मंत्री, भारतीय दूतावास समेत कई बड़े हमलों का है मास्टरमाइंड

सूत्रों ने एएनआई को बताया कि पेत्रुशेव जैश-ए-मुहम्मद और लश्कर-ए-तैयबा सहित आतंकवादी समूहों की गतिविधियों की भी समीक्षा करेंगे. वे ड्रग्स से खतरे, क्षेत्रीय देशों की भूमिका और वर्तमान और भविष्य के खतरों से निपटने के लिए भारत-रूस सहयोग का विवरण और अफगानिस्तान की सहायता के उपाय पर भी चर्चा करेंगे. चर्चा है कि रूस तालिबान को मान्यता देने पर विचार कर रहा है.

बता दें कि आज ही मीडिया में कई ऐसी रिपोर्ट चल रही है कि तालिबान ने सरकार गठन समारोह में शामिल होने के लिए 6 देश के नेताओं को आमंत्रित किया है. इसमें एक देश रूस भी है. हालांकि तालिबान को मान्यता देने को लेकर रूस ने अभी भी वेट एंड वाच की नीति अपनायी है. इसके साथ चीन और पाकिस्तान को भी यह न्यौता मिला है. तालिबान को लेकर रूस की नीति भारत के लिए अहम होगी.

Posted By: Amlesh Nandan.

Exit mobile version