Kanwar Yatra: क्या है कांवड़ यात्रा विवाद, सुप्रीम कोर्ट के फैसले से विपक्ष खुश, बीजेपी ने कह दी ऐसी बात
Kanwar Yatra: कांवड़ यात्रा को लेकर विपक्ष और सत्ता पक्ष के बीच वाक युद्ध जारी है. यात्रा को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को अहम फैसला सुनाया. जिसके बाद विपक्षी पार्टियां खुश हैं, तो बीजेपी ने भी कोर्ट के फैसला का सम्मान किया.
Kanwar Yatra: सुप्रीम कोर्ट ने कांवड़ यात्रा को लेकर उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड सरकार के निर्देश पर अंतरिम रोक लगा दी है और यूपी, एमपी और उत्तराखंड सरकार को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है. कोर्ट अब इस मामले में शुक्रवार को अलगी सुनवाई करेगा.
क्या है कांवड़ यात्रा मार्ग विवाद?
उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड सरकारों ने आदेश जारी कर कांवड़ यात्रा मार्ग पर स्थित भोजनालयों से अपने मालिकों के नाम प्रदर्शित करने को कहा था. इसके अलावा मध्य प्रदेश में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) शासित उज्जैन नगर निगम ने दुकानदारों को अपने प्रतिष्ठानों के बाहर नाम और मोबाइल नंबर प्रदर्शित करने का शनिवार को निर्देश दिया था. उज्जैन के महापौर मुकेश टटवाल ने कहा कि उल्लंघन करने वालों को पहली बार अपराध करने पर 2,000 रुपये का जुर्माना और दूसरी बार उल्लंघन करने पर 5,000 रुपये का जुर्माना देना होगा. महापौर ने कहा था कि इस आदेश का उद्देश्य सुरक्षा और पारदर्शिता सुनिश्चित करना है, मुस्लिम दुकानदारों को निशाना बनाना नहीं है.
कोर्ट ने कांवड़ यात्रा को लेकर क्या कहा?
कांवड़ यात्रा मार्ग को लेकर दायर याचिका पर सुनवाई करते हुए जस्टिस ऋषिकेश रॉय और जस्टिस एस वी एन भट्टी की पीठ ने उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड और मध्य प्रदेश सरकारों को नोटिस जारी किया और उनसे निर्देश को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर जवाब देने को कहा. कोर्ट ने कहा, खाद्य विक्रेताओं को यह प्रदर्शित करने के लिए कहा जा सकता है कि उसके पास कौन से खाद्य पदार्थ हैं लेकिन उन्हें मालिकों, स्टाफ कर्मचारियों के नाम प्रदर्शित करने के लिए मजबूर नहीं किया जाना चाहिए.
महुआ मोइत्रा और अन्य ने सरकार के फैसले के खिलाफ याचिका दायर की
गैर सरकारी संगठन ‘एसोसिएशन ऑफ प्रोटेक्शन ऑफ सिविल राइट्स’, तृणमूल कांग्रेस की सांसद महुआ मोइत्रा और अन्य ने सरकार के निर्देश का विरोध करते हुए याचिका दायर की है. मोइत्रा ने अपनी याचिका में उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड सरकारों द्वारा जारी आदेश पर रोक लगाए जाने का आग्रह करते हुए कहा कि ऐसे निर्देश समुदायों के बीच विवाद को बढ़ावा देते हैं. इसमें आरोप लगाया गया है कि संबंधित आदेश मुस्लिम दुकान मालिकों और कारीगरों के आर्थिक बहिष्कार तथा उनकी आजीविका को नुकसान पहुंचाने के उद्देश्य से जारी किया गया है.
कांग्रेस ने क्या कहा?
सुप्रीम कोर्ट के कांवड़ मार्ग पर स्थित भोजनालयों को मालिक का नाम प्रदर्शित करने के उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड सरकार के निर्देश पर रोक लगाने पर कांग्रेस नेता पवन खेड़ा ने कहा, हम सुप्रीम कोर्ट द्वारा लगाई गई रोक का स्वागत करते हैं. यह असंवैधानिक था और कांग्रेस पार्टी ने पूरे विपक्ष के साथ मिलकर इसका विरोध किया था. कांग्रेस नेता प्रमोद तिवारी ने कहा, ये भारत के संविधान की जीत है. मैंने इस मुद्दे को राज्यसभा में भी उठाया था. मैं सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले का बार-बार स्वागत करता हूं.
सांप्रदायिक राजनीति का दिया फड़फड़ा रहा है: अखिलेश यादव
सुप्रीम कोर्ट के कांवड़ मार्ग पर स्थित भोजनालयों को मालिक का नाम प्रदर्शित करने के उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड सरकार के निर्देश पर रोक लगाने पर सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने कहा, जिस समय मुझे जानकारी मिली थी तभी मैंने कहा था कि सुप्रीम कोर्ट स्वयं इसे संज्ञान में ले और ऐसी कार्रवाई को रोके. जैसे दिया बुझने से पहले फड़फड़ाता है, ये सांप्रदायिक राजनीति का दिया फड़फड़ा रहा है इसलिए ऐसे फैसले ले रहे हैं. सांप्रदायिक राजनीति खत्म होने जा रही है इसका दुख भाजपा को है.