क्या है मूनलाइटिंग, कर्मचारियों के बीच क्यों बढ़ रहा है इसका चलन, जानें यहां
हाल ही में आईटी कंपनी विप्रो ने नियमित के साथ दूसरी नौकरी करने वाले अपने 300 कर्मचारियों को नौकरी से हटा दिया. तमाम क्षेत्र ने मूनलाइटिंग को लेकर कड़ा रुख अपनाया है. तो आइए जानते हैं क्या है मूनलाइटिंग, कर्मचारियों के बीच क्यों बढ़ रहा है इसका चलन...
नियमित नौकरी के साथ पार्ट टाइम या साइड जॉब का चलन इन दिनों बढ़ गया है. हालांकि पहले भी कर्मचारी ऐसा करते रहे हैं, लेकिन जब नियोक्ताओं को इसकी भनक लगती है, तो वे कर्मचारियों पर सख्ती बरतने लगते हैं. हाल ही में आईटी कंपनी विप्रो ने नियमित के साथ दूसरी नौकरी करने वाले अपने 300 कर्मचारियों को नौकरी से हटा दिया. वहीं इंफोसिस ने भी मूनलाइटिंग को लेकर कड़ा रुख अपनाया है. केवल आइटी क्षेत्र ही नहीं, बल्कि शिक्षण, वीडिया एडिटिंग, डिजाइनिंग, सेल्स-मार्केटिंग समेत तमाम ऐसे क्षेत्र हैं, जहां काम करते हुए पेशेवर दूसरी नौकरी भी करते हैं. क्या है मूनलाइटिंग, कर्मचारियों के बीच क्यों बढ़ रहा है इसका चलन, क्या कहता है कानून, इन बातों के साथ अन्य महत्वपूर्ण तथ्यों के बारे में जानिए इस बार के इन दिनों पेज में…
वर्क फ्रॉम होम का कल्चर बन चुका था नॉर्मल
महामारी के दौर में वर्क फ्रॉम होम का कल्चर कंपनियों और कर्मचारियों के लिए न्यू नॉर्मल बन चुका था. हालांकि कुछ एक कंपनियों, विशेषकर आइटी फर्म, में यह अभी भी जारी है. इस चलन ने जहां कर्मचारियों को कार्यालय से दूर अपने घर, गृहनगर से काम करने की सुविधा दी, वहीं बचे हुए समय में दूसरी कंपनी में काम कर अपनी आर्थिक स्थिति सुधारने का अवसर भी दिया, पर एक नौकरी के साथ दूसरी नौकरी करना कई नियोक्ताओं को रास नहीं आ रहा है. संभवत: इसी कारण अनेक कंपनियां, जिनमें लॉकडाउन खत्म होने के बाद भी वर्क फ्रॉम होम का कल्चर बरकरार था, अपने कर्मचारियों के कार्यालय आने पर जोर देने लगी हैं. इसी के चलते बीते कुछ समय से पेशेवर दुनिया में ‘मूनलाइटिंग’, ‘क्वाइट क्विटिंग’और ‘क्वाइट फायरिंग’ जैसे शब्द कार्यस्थल पर चर्चा का विषय बने हुए हैं.
चर्चा में क्यों है मूनलाइटिंग
हाल ही में प्रमुख भारतीय आइटी कंपनी विप्रो के अध्यक्ष रिशद प्रेमजी ने बताया कि उनकी बेंगलुरु स्थित कंपनी ने अपने 300 कर्मचारियों की सेवा समाप्त कर दी है, क्योंकि पे-रोल पर होने के बावजूद वे दूसरी कंपनी के लिए काम कर रहे थे. वहीं आइटी की एक और दिग्गज कंपनी इंफोसिस ने मूनलाइटिंग को लेकर अपने कर्मचारियों को चेताया है कि अगर वे ऐसा करते पकड़े गये, तो उनका अनुबंध समाप्त कर दिया जायेगा. इस बारे में इंफोसिस ने अपना तर्क भी रखा है.
इंफोसिस क्या कहना है
इंफोसिस का कहना है कि एंप्लॉई हैंडबुक और कोड ऑफ कंडक्ट के अनुसार, कर्मचारियों को दो नौकरी करने की अनुमति नहीं है. इतना ही नहीं, इस टेक कंपनी ने यह भी कहा है कि कर्मचारी इंफोसिस की अनुमति के बिना दूसरी फर्म में काम नहीं कर सकते हैं.
क्या है मूनलाइटिंग
जब कोई व्यक्ति अपने नियमित नौकरी के घंटे के बाद कोई दूसरी नौकरी करता है और इसकी खबर वह अपने नियोक्ता को नहीं देता है, तो इसे मूनलाइटिंग कहा जाता है. यह काम एक से अधिक भी हो सकता है. आइटी क्षेत्र में ही नहीं, बल्कि अन्य क्षेत्रों में भी लोग नौकरी के अलावा अतिरिक्त आमदनी के लिए दूसरा काम करते हैं. इसे फ्रीलांसिंग के नाम से भी जाना जाता है. दूसरी नौकरी या काम को मूनलाइटिंग इसलिए कहा जाता है क्योंकि आम तौर पर ऐसी नौकरी रात के समय या सप्ताहांत में की जाती है. असल में यह शब्द तब चलन में आया जब अमेरिका में लोगों ने अपने 9-5 की नियमित नौकरी के अलावा दूसरी नौकरी ढूंढनी प्रारंभ की, ताकि उन्हें अतिरिक्त आय हो सके.
कर्मचारियों के बीच क्यों बढ़ रही यह संस्कृति
वर्क फ्रॉम होम कल्चर, कोविड-19 का प्रभाव, कम वेतन समेत कई ऐसे कारण हैं, जो मूनलाइटिंग संस्कृति को बढ़ावा दे रहे हैं.
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कोविड-19 महामारी में वर्क फ्रॉम होम का कल्चर सामान्य बात हो गयी थी और कंपनियां यह जान ही नहीं पा रही थीं कि उनके कर्मचारी वास्तव में कितने घंटे काम कर रहे हैं, न ही उनके पास घंटे का हिसाब रखने की कोई तकनीक थी. दूसरे, कर्मचारियों के आने-जाने का समय बच रहा था, सो वे नियमित काम के साथ दूसरा काम भी कर पा रहे थे.
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वर्ष 2020 में जब कोविड का प्रकोप अपने चरम पर था और लॉकडाउन के कारण अर्थव्यवस्था में गिरावट आनी शुरू हो चुकी थी, तब हजारों कर्मचारियों की छंटनी कर दी गयी. इसने लोगों को भयभीत कर दिया और उन्होंने अपनी जॉब सिक्योरिटी को बनाये रखने के लिए नियमित नौकरी के साथ एक या अनेक साइड जॉब खोजनी या करनी शुरू की. इस तरह ऑफिस से दूर रहकर काम करने वाले कम से कम 70 प्रतिशत लोगों ने दूसरा काम शुरू किया. इससे उनकी आर्थिक स्थिति सुधरने लगी.
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कई कंपनियां अपने कर्मचारियों को कम वेतन देती हैं, जिससे उनके खर्चे पूरे नहीं हो पाते. अपने खर्चों को पूरा करने के लिए कर्मचारी बचे हुए समय में दूसरी कंपनियों के लिए काम करते हैं.
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अतिरिक्त कौशल प्राप्त करने या कार्यानुभव के लिहाज से अपने वर्क प्रोफाइल को बेहतर बनाने के लिए भी कई कर्मचारी मूनलाइटिंग का सहारा लेते हैं.
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कई कर्मचारी अपने बचे हुए समय का उपयोग करने के लिए भी दूसरी नौकरी करते हैं, क्योंकि नियमित नौकरी में उनके पास बहुत अधिक काम नहीं होता है. ऐसे में जो पूरे दिन खुद को व्यस्त रखना चाहते हैं, उनके लिए मूनलाइटिंग अच्छा विकल्प होता है.
क्याें चिंतित हैं नियोक्ता
एक व्यक्ति के नियमित नौकरी के घंटे के बाद दूसरी नौकरी करना कानूनन गलत नहीं है. पर समान प्रकृति वाली दूसरी नौकरी करने वाले व्यक्ति को लेकर नियोक्ता की चिंताएं हैं कि इससे कंपनी की गोपनीयता भंग होती है. दूसरे, कंपनियां मानती हैं कि एक साथ दो नौकरी करने वाले कर्मचारियों को लंबे समय तक काम करना पड़ेगा, ऐसे में वह काफी थक जायेगा. सो वह अपने पहले काम को एकाग्रता से नहीं कर पायेगा और उसकी उत्पादकता कम हो जायेगी. ऐसी स्थिति में वह अपनी जिम्मेदारियों (नौकरी की) को सही तरीके से नहीं निभा पायेगा.
इतना ही नहीं, कंपनियों की यह भी चिंता है कि कर्मचारी अपनी दूसरी नौकरी के लिए पहली कंपनी के संसाधनों का उपयोग कर सकता है, जिससे उनका परिचालन खर्च बढ़ सकता है. लंबे घंटे तक काम करने के चलते कर्मचारी न तो पर्याप्त व पौष्टिक आहार ही ले पाता है, न ही पूरी नींद. समयाभाव के कारण वह व्यायाम, योग, ध्यान आदि भी नहीं कर पाता है, जिस कारण उसका स्वास्थ्य प्रभावित हो सकता है. यह आशंका भी मूनलाइटिंग को लेकर नियोक्ताओं को चिंता में डाल रही है.
क्या कहते हैं विशेषज्ञ
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इंफोसिस के पूर्व निदेशक मोहनदास पई मूनलाइटिंग को धोखा नहीं मानते. एक मीडिया समूह से बातचीत में उन्होंने कहा कि रोजगार नियोक्ता के साथ एक अनुबंध होता है, जो मुझे एक दिन में निर्धारित घंटे के लिए किये गये काम का भुगतान करता है. उस दौरान मैं नियमों से बंधा होता हूं जिसमें कंपनी की गोपनीयता भी शामिल होती है. इसके बाद मैं क्या करता हूं, यह मेरी स्वतंत्रता है. मैं जो चाहूं वो कर सकता हूं.
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टेक महिंद्रा के एमडी, सीपी गुरनानी का कहना है कि उनका ऑर्गनाइजेशन संभवत: एक नीति बनायेगा जिसके तहत कर्मचारियों को एक साथ कई काम करने की अनुमति दी जायेगी. अगर कर्मचारी दूसरा काम करना
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चाहते हैं तो अवश्य करें, पर ऑर्गनाइजेशन को उन्हें यह बात स्पष्ट तौर पर बतानी होगी.
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टीसीएस के सीईओ, एन गणपति सुब्रमण्यम इस मामले को नैतिक मानते हैं. उन्होंने कहा कि जब इस तरह के निर्णय अल्पकालिक लाभ के लिए किये जाते हैं, तो दीर्घावधि में हानि उठानी पड़ती है.
स्विगी को नहीं है आपत्ति
इससे पहले फूड डिलीवरी स्टार्टअप स्विगी ने ‘इंडस्ट्री फर्स्ट’ पॉलिसी की घोषणा की थी, जिसमें कर्मचारियों को मूनलाइटिंग की अनुमति थी. इस स्टार्टअप कंपनी का कहना है कि कार्यालय के काम के घंटे के अतिरिक्त या सप्ताहांत में कर्मचारी अपनी उत्पादकता को प्रभावित किये बिना और कंपनी के हितों के टकराव के बिना कोई भी प्रोजेक्ट या गतिविधियों को कर सकते हैं. कंपनी को इससे कोई आपत्ति नहीं है.
भारत में क्या है अड़चन
भारतीय कानून के अनुसार, एक व्यक्ति कंपनी के नियमों को तोड़े बिना एक साथ दूसरी नौकरी कर सकता है. पर यहां अड़चन समान प्रकृति की नौकरी में गोपनीयता के उल्लंघन को लेकर है. कई कंपनियां कर्मचारियों को काम पर रखते समय रोजगार अनुबंध के माध्यम से इस बात को स्पष्ट कर देती हैं कि इस कंपनी में काम करते हुए कर्मचारियों को दूसरी जगह काम करने की मनाही है. वहीं कुछ कंपनियां शर्तों के साथ अपने कर्मचारियों को दूसरी नौकरी करने की अनुमति देती हैं.
इन शर्तों में हितों का टकराव न होना, कंपनी के काम के घंटों में दूसरे काम को समय न देना और गोपनीयता जैसी बातें शामिल होती हैं. पर जब कोई कर्मचारी अनुबंध के इन शर्तों का उल्लंघन कर नियमित के साथ दूसरी नौकरी करने लगता है, तो यह कंपनी के साथ धोखा माना जाता है. पर यदि रोजगार अनुबंध में इस तरह की कोई बात नहीं लिखी गयी है, या कुछ शर्तों के साथ कर्मचारी को छूट दी गयी है, तो इसे धोखा नहीं माना जा सकता. फैक्ट्री एक्ट, 1948 के तहत भी दोहरी नौकरी की मनाही है. हालांकि, कई राज्यों में आईटी कंपनियों को इस नियम से छूट दी गयी है. अत्यधिक रोजगार (ओवर एंप्लॉयमेंट), जिसे भारत में दोहरा रोजगार (ड्यूअल एंप्लॉयमेंट) कहा जाता है, तकनीकी रूप से कर के दृष्टिकोण से अमेरिका और यूके में स्वीकार्य है.
आइटी इंडस्ट्री के 5 प्रतिशत कर्मचारी करते हैं दूसरी नौकरी
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अनेक रिक्रूटमेंट सर्विसेज कंपनियों का मानना है कि महामारी के दौर में घर से काम करते हुए संभवत: मूनलाइटिंग को बढ़ावा मिला. इस दौरान आईटी सर्विसेज इंडस्ट्री के कम से कम सौ में से एक कर्मचारी के एक से अधिक नौकरी किये जाने की संभावना है.
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सीआईईएल एचआर सर्विसेज के अनुसार, आईटी सर्विसेज इंडस्ट्री के पांच प्रतिशत कर्मचारी दूसरी नौकरी करते हैं. इसका कारण वित्तीय लाभ या रुचि के साथ, नियमित काम से हटकर कुछ अलग करने का जुनून है. ऐसा बहुत कम होता है जब कर्मचारी (1 प्रतिशत से भी कम) सबूत के साथ पकड़े जाते हैं और इस कारण उन्हें नौकरी से निकाला जाता है.
क्वाइट क्विटिंग
क्वाइट क्विटिंग का अर्थ कर्मचारी द्वारा अपनी नौकरी छोड़ना नहीं है, बल्कि इसका अर्थ कुछ और ही है. इस शब्द का प्रयोग कई तरह से किया जा सकता है, जिसमें कर्मचारी द्वारा अपनी उत्पादकता या वह जितना काम करता है उसमें कमी लाना है. जो कर्मचारी ऐसा कर रहे हैं, वे सीधे तौर पर अपना पद छोड़ने की बजाय न्यूनतम काम कर रहे हैं. वे निर्धारित समय से अधिक काम नहीं कर रहे और ओवरटाइम का आग्रह कर रहे हैं, अपने आपको काम से दूर कर रहे है. भले ही क्वाइट क्विटिंग नया टर्म है, पर यह विचार नया नहीं है. विशेषज्ञों की मानें, तो महामारी में घर से काम करने के दौरान ही इस विचार को बल मिला. इस दौरान काफी कठिनाइयों का सामना करना पड़ा जिससे कर्मचारियों की मांग तो बढ़ी ही, साथ ही उसने यह भी सोचने का अवसर दिया कि वैकल्पिक संरचना क्या हो सकती है.
क्वाइट फायरिंग
इसका अर्थ है कि जब बॉस अपने कर्मचारी को ठीक से प्रबंधित करने के बजाय अपने कर्तव्यों से बचते हैं और उम्मीद करते हैं कि कर्मचारी नौकरी छोड़ देंगे. कुछ मामलों में बॉस अपने कर्मचारियों को बिना अहसास दिलाये बाहर का रास्ता भी दिखा देते हैं. कर्मचारियों को नौकरी से बाहर करने की यह सोच लंबे समय से बनी हुई है.
कर्मचारियों की राय
मूनलाइटिंग को लेकर कर्मचारियों की राय अलग-अलग है
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टेक महिंद्रा, यूएसटी और स्टरलाइट टेक्नोलॉजीज जैसी कंपनियों के एग्जिक्यूटिव का मानना है कि जब तक ऑर्गनाइजेशन कुछ उपाय करते हैं, कर्मचारियों के रिमोट या हाइब्रिड वर्किंग पर भरोसा किया जा सकता है.
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स्टरलाइट टेक्नोलॉजीज की चीफ एचआर अधिकारी के अनुसार, साइड जॉब कल्चर के कारणों में नौकरी में पर्याप्त संतुष्टि का अभाव, कंपनी के साथ लेन-देन संबंधी बातें और आय के अतिरिक्त स्रोत शामिल हैं. इन मामलों में सुधार करने से मूनलाइटिंग की संस्कृति को रोका जा सकता है.
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डिजिटल सॉल्यूशन फर्म, यूएसटी की ग्लोबल एचआर हेड की मानें, तो वर्क फ्रॉम होम ने कई लोगों को नया अवसर दिया है, विशेषकर उनके खाली समय में. ऐसा होने का प्रमुख कारण है कर्मचारियों की उम्मीदों के अनुरूप काम न होना. कार्यालय न आने के कारण लोगों को आने-जाने से छुटकारा और काम करने के घंटे को लेकर लचीलापन मिला है, जिससे उनके समय की बचत हुई है.
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एक आईटी फर्म में काम करने वाले सॉफ्टवेयर डेवलपर का कहना है कि मूनलाइटिंग नौकरी नहीं है, क्योंकि इसमें ज्यादा से ज्यादा टीडीएस कटता है. पर पीएफ और ग्रेच्युटी की व्यवस्था नहीं होती है. ये कभी भी खत्म हो सकती है, ऐसे में इसे नौकरी नहीं कहा जा सकता है. कंपनियों को अपने कर्मचारी को दूसरी नौकरी करने से नहीं रोकना चाहिए.
गिग जॉब मूनलाइटिंग के पक्ष में
भले ही दिग्गज आईटी फर्म मूनलाइटिंग को अनैतिक मान इसके विरोध में हों, पर ऐसे भी कुछ क्षेत्र हैं जो एक से अधिक नौकरियों के खिलाफ नहीं हैं, खासकर गिग जॉब (अस्थायी काम, जहां काम के आधार पर भुगतान होता है). यह क्षेत्र दूसरी नौकरी के पक्ष में हैं. टेक महिंद्रा के चीफ पीपल ऑफिसर और मार्केटिंग हेड का कहना है कि उनकी गिग वर्किंग कंपनी, बेगिग में कई लोग हैं जो एक गिग वर्कर के रूप में दो से अधिक काम करते हैं, और वे इसका स्वागत करते हैं. उनकी कंपनी में एक पारदर्शी और खुली कार्य संस्कृति है. जिसने हमेशा अपने लोगों को उनके सपनों का पीछा करने के लिए प्रोत्साहित किया है.