Old Pension Scheme: OPS पर सोशल मीडिया में बवाल, पीएम मोदी ने ओल्ड पेंशन स्कीम को बताया था गलत रास्ता
पीएम मोदी के ओपीएस पर दिये गये बयान को लेकर सोशल मीडिया पर बहस हो रही है. कुछ यूजर्स ने पीएम के बयान को सही ठहराया है, तो कुछ लोगों ने विरोध किया है. ट्विटर पर इस समय #सरकारी कर्मचारी ट्रेंड कर रहा है.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पुरानी पेंशन योजना (OPS) को लेकर पिछले दिनों राज्य सभा में चर्चा के दौरान बड़ा बयान दे दिया था. जिसके बाद सोशल मीडिया में चर्चा का बाजार गर्म है. दरअसल पीएम मोदी ने राज्य सभा में ओपीएस को गलत रास्ता बताया था. जिसके बाद हंगागा जारी है. हालांकि प्रधानमंत्री ने अपने संबोधन के दौरान ओपीएस का नाम नहीं लिया.
पुरानी पेंशन योजना पर पीएम मोदी ने जतायी थी चिंता
कांग्रेस व अन्य विपक्ष दलों के शासन वाले कुछ राज्यों द्वारा पुरानी पेंशन योजना (ओपीएस) बहाल किए जाने पर चिंता जताई और आर्थिक तंगहाली का सामना कर रहे पड़ोसी मुल्कों का हवाला देते हुए उन्हें गलत रास्ते पर चलने से आगाह किया. पीएम मोदी ने राज्यों से कहा था कि वे ऐसा कोई पाप ना करें, जो भावी पीढ़ी को उसके अधिकारों से वंचित कर दे.
सोशल मीडिया पर ओपीएस को लेकर बहस
पीएम मोदी के ओपीएस पर दिये गये बयान को लेकर सोशल मीडिया पर बहस हो रही है. कुछ यूजर्स ने पीएम के बयान को सही ठहराया है, तो कुछ लोगों ने विरोध किया है. ट्विटर पर इस समय #सरकारी कर्मचारी ट्रेंड कर रहा है. कांग्रेस से जुड़े एक नेता ने कहा, सरकारी कर्मचारी ध्यान दें, मोदी सरकार आपको किसी भी कीमत पर पुरानी पेंशन नहीं देगी.
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पीएम मोदी ने पाकिस्तान का दिया उदाहरण
पीएम मोदी ने पाकिस्तान का उदाहरण देते हुए कहा था, हमारे पड़ोस के देशों का हाल देख रहे हैं. वहां पर क्या हाल हुआ है. अनाप-शनाप कर्ज लेकर किस प्रकार देशों को बर्बाद किया गया है. आज हमारे देश में तत्काल लाभ के लिए ऐसा किया जाएगा तो आने वाली पीढ़ियों को इसका नुकसान होगा. वे अपने को तो तबाह कर ही देंगे, देश को भी बर्बाद कर देंगे. देश की आर्थिक सेहत के साथ खिलवाड़ नहीं किया जा सकता है. ऐसा कोई पाप मत कीजिए जो आपके बच्चों के अधिकारों को छीन ले. आज आप मौज कर लें और बच्चों के नसीब में बर्बादी छोड़कर चले जाएं.
पांच राज्यों ने पुरानी पेंशन व्यवस्था बहाल की
गौरतलब है कि कांग्रेस शासित छत्तीसगढ़ और राजस्थान में पुरानी पेंशन व्यवस्था बहाल कर दी गई है जबकि उसने हिमाचल प्रदेश में इसे लागू करने का वादा किया है. पंजाब और झारखंड में भी यह व्यवस्था बहाल है। कुछ राज्यों द्वारा ओपीएस लागू किया जाना राज्यों और केंद्र के बीच राजनीतिक विवाद का मुद्दा बन गया है.