RVM News : इन दिनों रिमोट वोटिंग मशीन (आरवीएम) की चर्चा जोरों से हो रही है. इस बारे में सब जानना चाहते हैं कि आखिर ये है क्या और ये चर्चा में क्यों आया ? दरअसल विपक्षी दलों ने रिमोट वोटिंग मशीन (आरवीएम) के इस्तेमाल की आवश्यकता पर सवाल खड़ा किया है और निर्वाचन आयोग से चुनाव प्रक्रिया के प्रति शहरी वर्ग की उदासीनता के मुद्दे का समाधान करने का आग्रह किया है. तो आइए जानते हैं कि आखिर ये है क्या
रिमोट वोटिंग मशीन आखिर है क्या ?
रिमोट वोटिंग मशीन यानी आरवीएम के बारे में सबसे पहले जानकारी बीते साल 29 दिसंबर को सुनने को मिली थी. चुनाव आयोग की ओर से इस बाबत जानकारी दी गयी थी और बताया गया था कि आरवीएम के जरिये घरेलू प्रवासी नागरिक यानी अपने गृह राज्य से बाहर रह रहे मतदाता भी अपने मताधिकार का प्रयोग कर सकेंगे. जैसे यदि कोई मतदाता झारखंड की राजधानी रांची में पैदा हुआ है और किसी कारण से दूसरे राज्य या किसी अन्य जगह पर निवास कर रहा है तो ऐसी स्थिति में वो मतदाता वोट करने में सक्षम नहीं हो पाता है. आरवीएम की मदद से ऐसे मतदाताओं को भी वोटिंग का अधिकार प्राप्त हो जाएगा. ईवीएम की तरह ही आरवीएम के लिए किसी तरह के इंटरनेट या कनेक्टिविटी की आवश्यकता नहीं होती है.
निर्वाचन आयोग ने बैठक बुलायी
यहां चर्चा कर दें कि निर्वाचन आयोग ने रिमोट वोटिंग मशीन के प्रदर्शन के लिए आठ राष्ट्रीय दलों और राज्यों के मान्यता प्राप्त 57 दलों के प्रतिनिधियों को आमंत्रित किया था. पीटीआई ने अपने सूत्रों के हवाले से खबर दी है कि बैठक में आठ राष्ट्रीय दलों और राज्यों के मान्यता प्राप्त 40 दलों ने दिनभर इस पर चर्चा की और उन मतदाताओं को चुनावी प्रक्रिया से जोड़ने के लिए हर संभव प्रयास करने पर सहमति जताई, जो मतदान नहीं कर पाते हैं. राजनीतिक दलों के 80 प्रतिनिधियों ने एक-दूसरे के विचारों को ध्यानपूर्वक सुना और इस विषय पर सभी दलों को आमंत्रित करने की चुनाव आयोग की पहल की सराहना की.
विपक्ष ने उठाये सवाल
रिमोट वोटिंग मशीन (आरवीएम) पर विपक्ष ने सवाल खड़े किये हैं. कांग्रेस के वरिष्ठ नेता दिग्विजय सिंह ने आरवीएम की कार्य प्रणाली के प्रदर्शन के लिए निर्वाचन आयोग (ईसी) द्वारा आयोजित राजनीतिक दलों की बैठक में हिस्सा लेने के बाद मीडिया से बात की और कहा कि कोई भी विपक्षी दल रिमोट वोटिंग मशीन के प्रदर्शन को नहीं देखना चाहता. पहले ऐसी मशीन की आवश्यकता का मुद्दा सुलझाया जाना चाहिए. जब तक आम सहमति नहीं बन जाती, तब तक आरवीएम का प्रदर्शन न हो. उन्होंने कहा कि कोई भी राजनीतिक दल प्रदर्शन देखने को तैयार नहीं है. आरवीएम का विचार स्वीकार्य नहीं है.