क्या है ऋषि गंगा पावर प्रोजेक्ट? उमा भारती ने क्यों किया था इसका विरोध? किसके शासन में शुरू हुआ? …जानें
Uttarakhand, Rishi Ganga Power Project, Uma Bharti : देहरादून : उत्तराखंड के चमोली जिले के जोशीमठ से करीब 24 किलोमीटर दूर पैंग गांव में ग्लेशियर फिसलने से ऋषि गंगा पर बने पावर प्रोजेक्ट के टूटने से तबाही मच गयी है. वहीं, पूर्व केंद्रीय मंत्री उमा भारती के खुलासे से पूरा प्रोजेक्ट चर्चा में आ गया है. इसके बाद कई तरह के सवाल उठ रहे हैं. क्या है ऋषि गंगा पावर प्रोजेक्ट? उमा भारती ने इस प्रोजेक्ट का विरोध क्यों किया था? किसके शासन में शुरू हुआ?
देहरादून : उत्तराखंड के चमोली जिले के जोशीमठ से करीब 24 किलोमीटर दूर पैंग गांव में ग्लेशियर फिसलने से ऋषि गंगा पर बने पावर प्रोजेक्ट के टूटने से तबाही मच गयी है. वहीं, पूर्व केंद्रीय मंत्री उमा भारती के खुलासे से पूरा प्रोजेक्ट चर्चा में आ गया है. इसके बाद कई तरह के सवाल उठ रहे हैं. क्या है ऋषि गंगा पावर प्रोजेक्ट? उमा भारती ने इस प्रोजेक्ट का विरोध क्यों किया था? किसके शासन में शुरू हुआ?
उमा भारती ने कहा है कि ”जब मै मंत्री थी, तब अपने मंत्रालय के तरफ से हिमालय उत्तराखंड के बांधों के बारे में जो एफिडेविट दिया था, उसमें यही आग्रह किया था कि हिमालय एक बहुत संवेदनशील स्थान है. इसलिए गंगा एवं उसकी मुख्य सहायक नदियों पर पावर प्रोजेक्ट नहीं बनने चाहिए तथा इससे उत्तराखंड की जो 12 फीसदी की क्षति होती है, वह नेशनल ग्रिड से पूरी कर देनी चाहिए.”
ऋषि गंगा पावर प्रोजेक्ट का निर्माण साल 2008 में शुरू हुआ था. इस प्रोजेक्ट से 13.2 मेगावाट बिजली उत्पादन करने की योजना थी. यह प्रोजेक्ट समय से पूर्व तैयार होने के कारण साल 2011 में बिजली का उत्पादन भी शुरू हो गया था. साल 2016 तक बिजली उत्पादन लगातार होता रहा. हालांकि, बाद में कंपनी के दिवालिया होने पर साल 2018 में दूसरी कंपनी को प्रोजेक्ट बेच दिया गया. पिछले साल जून में एक बार फिर बिजली उत्पादन शुरू हुआ, लेकिन हादसा हो गया.
ऋषि गंगा पावर प्रोजेक्ट प्राइवेट सेक्टर की है. यह प्रोजेक्ट शुरू से ही विवादों में रही है. पर्यावरणविद और सामाजिक कार्यकर्ताओं ने प्रोजेक्ट का खुल कर विरोध किया. प्रोजेक्ट को बंद कराने के लिए कोर्ट का दरवाजा तक खटखटाया. लेकिन, प्रोजेक्ट को रोका नहीं जा सका. अभी यहां पानी से बिजली उत्पादन होता है. यह प्रोजेक्ट ऋषि गंगा नदी पर बना है. बताया जाता है कि प्रोजेक्ट के पूरी क्षमता से काम करने पर दिल्ली, हरियाणा समेत दूसरे राज्यों में बिजली सप्लाई की योजना है.
मालूम हो कि अटल बिहारी वाजपेयी के तीसरे कार्यकाल 13 अक्टूबर, 1999 से 22 मई, 2004 के दौरान उमा भारती केंद्रीय मंत्री थी. इस दौरान उन्होंने प्रोजेक्ट को लेकर अपनी बाते रखी थीं. मंत्रालय की ओर से उन्होंने अदालत में उन्होंने एफिडेविट देते हुए पावर प्रोजेक्ट नहीं बनने की सिफारिश की थी. लेकिन, साल 2004 के आम चुनाव में कांग्रेस की सरकार बनी. मनमोहन सिंह प्रधानमंत्री बने. उसके बाद प्रोजेक्ट का निर्माण कार्य साल 2008 में शुरू कर दिया गया.