वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने गुरुवार को भारतीय अर्थव्यवस्था पर एक ‘श्वेत पत्र’ संसद में पेश किया. इसपर लोकसभा में निशिकांत दुबे बहस की शुरुआत करेंगे जो झारखंड के गोड्डा से सांसद हैं. ‘श्वेत पत्र’ के बारे में लोग लगातार गूगल में सर्च कर रहे हैं और इसके बारे में जानना चाहते हैं. तो आइए इसपर चर्चा के पहले हम आपको इसकी खास बातें बताते हैं.
क्या है ‘श्वेत पत्र’ में जानें
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वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने जिस ‘श्वेत पत्र’ को संसद में पेश किया है उसमें कहा गया है कि एनडीए सरकार ने यूपीए सरकार से विरासत में मिली चुनौतियों पर पिछले 10 वर्षों में सफलतापूर्वक काबू पाया है. यही नहीं भारत को उच्च वृद्धि के रास्ते पर लाने के लिए ‘कड़े फैसले’ केंद्र की मोदी सरकार की ओर से लिये गये.
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‘श्वेत पत्र’ कुल 59 पृष्ठ का है जिसमें कहा गया है कि जब 2014 में नरेंद्र मोदी पहली बार केंद्र की सत्ता पर काबिज हुए. उस वक्त अर्थव्यवस्था नाजुक स्थिति में थी, सार्वजनिक वित्त खराब स्थिति में एनडीए सरकार को मिला था.
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‘श्वेत पत्र’ में कहा गया है कि आर्थिक कुप्रबंधन, वित्तीय अनुशासनहीनता और व्यापक भ्रष्टाचार का बोलबाला यूपीए की सरकार में था जो एक चुनौती थी.
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नरेंद्र मोदी ने जब सत्ता संभाली तो देश संकटपूर्ण स्थिति में था. अर्थव्यवस्था को स्टेप-बाई-स्टेप सुधारने और शासन प्रणालियों को व्यवस्थित करने की जिम्मेदारी बहुत बड़ी थी जिसे एनडीए सरकार ने अच्छी तरह से संभालने का काम किया.
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श्वेत पत्र के मुताबिक, यूपीए सरकार आर्थिक गतिविधियों को सुचारू रूप देने में बुरी तरह से असफल साबित हुई. यूपीए सरकार के दौरान कई ऐसी चीजें देखने को मिली जिससे अर्थव्यवस्था पीछे रह गई.
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केंद्र की मोदी सरकार ने अपनी पिछली सरकार के विपरीत एक मजबूत ढांचा बनाने में सफलता पाई. यही नहीं अर्थव्यवस्था की नींव में निवेश किया जिसका परिणाम नजर आ रहा है.
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श्वेत पत्र में मौजूदा दौर को कर्तव्य काल बताया गया है और कहा गया है कि अभी मीलों चलना है और 2047 तक भारत को एक विकसित राष्ट्र बनाना है.