गुजरात चुनाव 2022 : ट्रेन में आग लगने की घटना के 20 साल बाद गोधरा का क्या है हाल जानें
Gujarat Election 2022 : गुजरात के पंचमहल जिले के गोधरा शहर से 2002 के बाद किसी दंगे की सूचना नहीं मिली है, जहां आजादी के बाद से सांप्रदायिक दंगों का इतिहास रहा है. ध्रुवीकरण स्पष्ट है. कई लोगों ने सत्तारूढ़ भाजपा से निराशा व्यक्त की लेकिन कहा कि वे फिर से पार्टी को वोट देंगे.
Gujarat Election 2022 : इस वक्त पूरे देश की निगाह गुजरात में होने वाले विधानसभा चुनाव पर टिकी हुई है. लोगों को गोधरा आज भी याद है और ये चर्चा का विषय बना हुआ है. तो आइए आज चुनाव के माहौल में गोधरा का हाल जानते हैं. गोधरा के मुस्लिम बहुल और हिंदू बहुल इलाकों के बीच विभाजन को चिह्नित करते हुए एक सड़क गुजरती है, जो शायद सांप्रदायिक दरार का भी रूपक है. सांप्रदायिक विभाजन की यह रेखा शहर में गहराई से प्रकट होती है और अनायास 2002 के गुजरात दंगों को याद दिलाती है.
गुजरात के गोधरा में एक ट्रेन में आग लगने से 59 कारसेवक के मारे जाने और भारत के विभाजन के बाद के सबसे भीषण दंगों की शरुआत होने के 20 साल बाद चुनावी परिदृश्य दोनों समुदायों के बीच की खाई को प्रदर्शित करता है. अल्पसंख्यक समुदाय के कई निवासी अपने इलाकों में विकास नहीं होने की शिकायत करते हैं, वहीं शहर के अन्य क्षेत्रों के लोग समस्याओं को स्वीकार करते हैं लेकिन कहते हैं कि वे हिंदुत्व और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की लोकप्रियता के मुद्दे पर मतदान करेंगे.
सत्ता विरोधी लहर
इस संवेदनशील निर्वाचन क्षेत्र में भ्रष्टाचार, बढ़ती बेरोजगारी और 27 साल से राज्य में शासन कर रही भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के खिलाफ सत्ता विरोधी लहर जैसे मुख्य मुद्दे हैं. हालांकि, हिंदुत्व और मोदी के नाम पर गोलबंदी चुनाव का निर्धारण करने वाले कारक हैं और उन सभी पर विजय प्राप्त कर सकते हैं. सड़क रानी मस्जिद के पास पटेलवाड़ा और पोलन बाजार क्षेत्र से होकर गुजरती है, जहां पहले अधिकांश हिंदुओं और अन्य समुदायों का घर था तथा बाद में मुसलमान बहुल क्षेत्र हो गया. यहां मतभेद स्पष्ट दिखाई देते हैं.
मुस्लिम बस्ती के दूसरी तरफ की सड़कें चौड़ी
पोलन बाजार और उसके आस-पास के क्षेत्र गड्ढों, जर्जर सड़कों, किनारे में कचरे के ढेर तथा कुछ ही दूरी पर बंद नाले से घिरे हैं. मुस्लिम बस्ती के दूसरी तरफ की सड़कें चौड़ी हैं. गुजरात औद्योगिक विकास निगम (जीआईडीसी) की छोटी औद्योगिक इकाइयां हैं। एक थिएटर, एक पैंटालून शोरूम और कार शोरूम भी है। ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (एआईएमआईएम) के एक समर्थक इशाक बोकड़ा ने कहा, शहर के हमारे हिस्से में कोई बैंक, एटीएम, खेल के मैदान नहीं हैं.” एआईएमआईएम के पार्षद फैसल सुलेजा ने कहा, विकास हमेशा दूसरी तरफ होता रहा है, जिसमें हिंदुओं और अन्य समुदायों का दबदबा रहा है. असदुद्दीन ओवैसी के नेतृत्व वाली पार्टी एआईएमआईएम ने पिछले साल 44 सदस्यीय नगरपालिका में सात सीट जीतकर सभी को चौंका दिया था. गोधरा में करीब 2,79,000 मतदाता हैं. इनमें से 72,000 मुस्लिम बहुल इलाके में हैं.
राउलजी के खिलाफ कांग्रेस ने रश्मिताबेन चौहान को उतारा
यहां चर्चा कर दें कि गुजरात की 182 सदस्यीय विधानसभा के लिए एक और पांच दिसंबर को दो चरणों में होने वाले चुनावों के लिए प्रचार जोर पकड़ रहा है. भाजपा के मौजूदा विधायक सी के राउलजी 2007 से गोधरा का प्रतिनिधित्व कर रहे हैं. वह 2007 से 2016 तक कांग्रेस से और 2017 से भाजपा से इस क्षेत्र की नुमाइंदगी कर रह रहे हैं. राउलजी के खिलाफ कांग्रेस ने रश्मिताबेन चौहान को उतारा है. इसके अलावा आम आदमी पार्टी (आप) के राजेशभाई पटेल और एआईएमआईएम के शब्बीर कच्छबा हैं, जो पिछले साल निकाय चुनावों में पार्टी की बढ़त को मजबूत करना चाहते हैं. इमाम कच्छबा (33) ने राउलजी पर क्षेत्र के मुद्दों को हल नहीं करने का आरोप लगाया. इस क्षेत्र में दूसरे चरण में मतदान होगा.
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बिलकिस बानो मामले की चर्चा
वर्ष 2002 के सामूहिक बलात्कार और हत्या मामले में दोषी ठहराए गए लोगों पर राउलजी की टिप्पणियों का जिक्र करते हुए कच्छबा ने कहा, महत्वपूर्ण बात यह है कि बिलकिस बानो मामले के दोषियों को संस्कारी कहने वाले व्यक्ति को कैसे चुना जा सकता है. राउलजी के अनुसार, उनका मुख्य एजेंडा 2017 से शुरू की गई परियोजनाओं को पूरी तरह से लागू करना होगा, जिसमें 400 बेड का मेडिकल कॉलेज और 104 गांवों के लिए एक सिंचाई परियोजना शामिल है. महामारी, अवसरों की कमी और विकास एक निरंतर चिंता का विषय है.