ओडिशा ट्रेन हादसे के बाद ड्राइवर का क्या है हाल? परिवार ने लगाया गंभीर आरोप
Odisha Train Accident: ट्रेन ड्राइवर गुनानिधि मोहंती के पिता बिष्णु चरण मोहंती ने कहा कि, गांव में हर कोई यहीं सोचता है कि इस हादसे के लिए मेरा बेटा ही जिम्मेदार है. लेकिन, वह पिछले 27 सालों से ट्रेन चला रहा है.
Coromandel Train Accident: ओडिशा ट्रेन हादसे को अब काफी समय हो चुका है. हालात पूरी तरह से सामन्य हो चुके हैं. घटनास्थल से ट्रेनों का आना-जाना भी शुरू हो चुका है. हालांकि, आज भी कोरोमंडल एक्सप्रेस के ड्राइवर को उसके परिवार वालों से मिलने की इजाजत नहीं दी जा रही है. यह आरोप ट्रेन ड्राइवर के परिवार वालों ने लगाया है. कटक शहर से लगभग 10 किलोमीटर की दूरी पर स्थित नाहरपाड़ा गांव में अब हर जगह इस बात की चर्चा फ़ैल चुकी है. इलाके में रह रहे लोगों को आप आसानी से कहते हुए सुन सकते हैं कि ट्रेन ड्राइवर गुनानिधि मोहंती काफी तेज गति से ट्रेन चला रहे थे? वहीं, दूसरी तरफ गुनानिधि का परिवार इस बात से चिंतित और क्रोधित हैं कि आखिर उनसे मिलने की इजाजत क्यों नहीं दी जा रही है.
घटना के लिए गुनानिधि जिम्मेदार?
ट्रेन ड्राइवर गुनानिधि मोहंती के पिता बिष्णु चरण मोहंती ने कहा कि, गांव में हर कोई यहीं सोचता है कि इस हादसे के लिए मेरा बेटा ही जिम्मेदार है. लेकिन, वह पिछले 27 सालों से ट्रेन चला रहा है. उसने कभी भी इससे पहले गलती नहीं की है. मुझे कैसे पता चलेगा कि आखिर उस शाम ऐसा क्या हुआ? मैंने अभी तक अपने बेटे से बातचीत भी नहीं की है. मैं सिर्फ उसके घर आने का इंतजार कर रहा हूं.
हादसे में घायल हुए गुनानिधि मोहंती
जानकारी के लिए बता दें 2 जून के दिन गुनानिधि मोहंती कोरोमंडल एक्सप्रेस चला रहे थे. यह ट्रेन खड़गपुर से भुवनेश्वर जा रही थी. इसी दौरान बालासोर के बहानगा बाजार में ट्रेन एक लूप लाइन में चली गयी. इस लाइन पर पहले से ही एक मालगाड़ी खड़ी थी. दोनों ही के बीच जबरदस्त टक्कर हुई जिसके बाद ट्रेन के कई डिब्बे पटरी से उतर गए. इसके थोड़े ही देर बाद यशवंतपुर-हावड़ा एक्सप्रेस भी यहां आ टकराई. इस भीषण हादसे में करीबन 291 लोग मारे गए जबकि, 1100 से अधिक घायल हो गए. हादसे में ट्रेन ड्राइवर गुनानिधि मोहंती भी घायल हो गए. उनकी तीन पसलियां टूटी और सर पर भी चोटें आयी. ड्राइवर को भुवनसेश्वर के AMRI अस्पताल में भर्ती कराया गया था.
भाई को भी मिलने की इजाजत नहीं
इस भीषण हादसे एक बाद जब दो दिन बाद गुनानिधि के भाई रंजीत मोहंती उनसे मिलने अस्पताल पहुंचे. रंजीत ने बताया, आईसीयू में मोबाइल फोन ले जाने की इजाजत नहीं थी. डॉक्टरों ने उनसे कहा कि, हादसे की वजह से उनके सीने के अंदर खून जमा हो गया है. गुनानिधि काफी तकलीफ में हैं और कुछ बोल नहीं पा रहे हैं. रंजीत ने आगे बताया कि, हालांकि, मेरी भाभी भी वहां पहले से मौजूद थी लेकिन, मुझे भरोसा है कि उन्हें भी उनके पास जाने की इजाजत नहीं है. गुनानिधि के बड़े भाई संजय मोहंती ने बताया कि, वे भी अपने भाई से मिलने पहुंचे थे. लेकिन, उस समय वह आईसीयू में एडमिट था. संजय को भी अपने भाई से मिलने की इजाजत नहीं दी गयी.
डॉक्टरों का क्या है कहना
ईस्ट कोस्ट रेलवे के चिकित्सा विभाग में कार्यरत एक डॉक्टर ने चार दिन पहले ही गुनानिधि को अस्पताल से छुट्टी दे दी थी. लेकिन, गुनानिधि के पिता और भाई का कहना है कि उन्हें नहीं पता है कि वह है कहां. छोटे भाई रंजीत ने बताया कि, किसो ने मेरे भाई के बारे में कुछ भी नहीं बताया और मुझे लगता है कि वह अभी भी अस्पताल में हैं. लेकिन, मुझे यकीन नहीं है. वहीं, दूसरी तरफ ईस्ट कोस्ट रेलवे के जनसंपर्क अधिकारी ने गुनानिधि के स्वास्थ्य से जुडी कोई भी जानकारी देने से इनकार कर दिया. AMRI अस्पताल के एक सीनियर अधिकारी ने बताया कि लोको पायलट और उनके सहायक लोको पायलट को चार से पांच दिनों के अंदर ही छुट्टी दे दी गयी थी.