भारत के पहले निजी तौर पर विकसित रॉकेट विक्रम-एस का उप-कक्षीय प्रक्षेपण तीन दिनों के लिए यानी 18 नवंबर तक के लिए स्थगित हो गया है जिसकी जानकारी हैदराबाद स्थित अंतरिक्ष स्टार्टअप स्काईरूट एयरोस्पेस ने दी है. इसकी वजह खराब मौसम को बताया गया है.
इस संबंध में जानकारी देते हुए स्काईरूट एयरोस्पेस के प्रवक्ता ने कहा कि खराब मौसम के पूर्वानुमान की वजह से, हमें श्रीहरिकोटा से हमारे विक्रम-एस रॉकेट प्रक्षेपण के लिए 15-19 नवंबर तक एक नयी विंडो दी गयी है, जिसकी सबसे संभावित तारीख 18 नवंबर को सुबह 11:30 बजे है. आपको बता दें कि प्रक्षेपण के लिए पहले 15 नवंबर की तारीख निर्धारित की गयी थी.
स्काईरूट एयरोस्पेस का ‘प्रारम्भ’ नामक पहला मिशन दो भारतीय और एक विदेशी ग्राहकों के अंतरिक्ष उपकरण (पेलोड) को ले जाएगा और श्रीहरिकोटा में भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के प्रक्षेपण स्थल से प्रक्षेपण को तैयार है. इस मिशन को स्काईरूट के लिए एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर माना जाता है, क्योंकि यह उन 80 प्रतिशत तकनीकों को मान्यता दिलाने में मदद करेगा, जिनका उपयोग विक्रम-1 कक्षीय वाहन में किया जाएगा, जिसे अगले साल प्रक्षेपित करने की योजना है.
स्काईरूट के एक प्रवक्ता ने कहा कि जिस प्रमुख क्षेत्र की हम बारीकी से निगरानी करेंगे, वह हमारे ठोस ईंधन वाले रॉकेट इंजन ‘कलाम -1′ का प्रदर्शन होगा.” चेन्नई स्थित एयरोस्पेस स्टार्टअप ‘स्पेसकिड्ज’ भारत, अमेरिका, सिंगापुर और इंडोनेशिया के छात्रों द्वारा विकसित 2.5 किलोग्राम पेलोड ‘फन-सैट’ प्रक्षेपित करेगा. इस मिशन के साथ स्काईरूट अंतरिक्ष में रॉकेट प्रक्षेपित करने वाली भारत की पहली निजी अंतरिक्ष कंपनी बनने को तैयार है. इससे अंतरिक्ष क्षेत्र में एक नए युग की शुरुआत होगी.
निजी क्षेत्र की भागीदारी को सुविधाजनक बनाने के लिए इसे 2020 में खोला गया था। स्काईरूट के प्रक्षेपण वाहनों को भारतीय अंतरिक्ष कार्यक्रम के संस्थापक और प्रसिद्ध वैज्ञानिक विक्रम साराभाई को श्रद्धांजलि के तौर पर ‘विक्रम’ नाम दिया गया है.