क्या है महाकुंभ का VIP प्रोटोकॉल, जिसे सीएम योगी ने कर दिया बंद, जानें इसके बारे में

Prayagraj Maha Kumbh 2025: महाकुंभ में मचे भगदड़ के बाद सवाल उठने लगा है कि आखिर प्रोटोकॉल क्या है. आइए आज इसके बारे में बताते हैं

By Ayush Raj Dwivedi | January 30, 2025 10:23 PM
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Prayagraj Maha Kumbh 2025: प्रयागराज महाकुंभ के दौरान मौनी अमावस्या पर हुई भगदड़ ने एक बार फिर कुंभ मेले में सुरक्षा और व्यवस्था पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं. इस घटना के बाद उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने वीआईपी प्रोटोकॉल को खत्म करने के आदेश दिए हैं. लेकिन सवाल उठता है कि आखिर ये वीआईपी प्रोटोकॉल थे क्या और इनका उद्देश्य क्या था?

क्या होता है प्रोटोकॉल?

कुंभ मेले जैसे विशाल आयोजन में, इन प्रोटोकॉल का पालन विशेष रूप से अहम होता है, ताकि किसी भी नेता या अफसर की यात्रा मेले की भीड़-भाड़ में व्यवधान न डाल सके. कुंभ मेले की व्यवस्थाओं के लिए एक अलग प्रशासनिक टीम होती है, जिसमें एडीएम प्रोटोकॉल के तहत प्रमुख अधिकारी होते हैं. यह अधिकारी वीआईपी की यात्रा और उन्हें दी जाने वाली सुविधाओं का समन्वय करते हैं, जैसे गेस्ट हाउस, गाड़ी की व्यवस्था और गंगा स्नान के लिए निर्धारित घाटों तक पहुंचाने का इंतजाम.

हालांकि, कुंभ मेले में मुख्य पर्वों पर हमेशा एक परंपरा रही है कि वीआईपी की यात्रा से मेले की भीड़ और व्यवस्था पर अधिक दबाव न पड़े। इसका उदाहरण गऊघाट पर वीआईपी घाट का प्रचलन है, जहां महत्वपूर्ण व्यक्तियों को गंगा तक पहुंचाने के लिए नाव का इस्तेमाल किया जाता है, जिससे मेले की सामान्य भीड़ को कम प्रभावित किया जा सके.

शाही स्नान के दिन नहीं आते वीवीआईपी

प्रमुख पर्वों पर आमतौर पर किसी मंत्री या बड़े अफसर की उपस्थिति से मेले की भीड़ नियंत्रित करने में परेशानी हो सकती है. यही कारण है कि कुंभ में वीआईपी की मौजूदगी की परंपरा को सीमित रखा जाता है, ताकि मुख्य उद्देश्य श्रद्धालुओं की सुरक्षा और स्नान के आयोजन पर असर न पड़े.

हालांकि, मौनी अमावस्या पर हुई घटना के बाद मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ द्वारा वीआईपी प्रोटोकॉल को खत्म करने का आदेश यह संकेत देता है कि प्रशासन अब इस दिशा में और भी कड़े कदम उठा सकता है, जिससे आम श्रद्धालुओं के लिए सुरक्षा का माहौल और अधिक मजबूत हो सके.

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