Chandrayaan-3 ने पार किया अपने रास्ते का चौथा पड़ाव, जानें कब पूरा होगा ISRO का मून मिशन
अंतर्राष्ट्रीय मून डे 2023 के अवसर पर भारत ने चंद्रयान-3 को चंद्रमा तक पहुंचाने का चौथा स्टेज पूरा कर लिया है. बता दें कि इसरो की तरफ से इसके लिए 20 जुलाई दोपहर 2 से 3 बजे का समय तय किया गया था.
Chandrayaan-3 Latest Update : भारत का चंद्रयान-3 चंद्रमा की ओर एक कदम और आगे बढ़ा है. ऐसे में अंतर्राष्ट्रीय मून डे 2023 के अवसर पर भारत ने चंद्रयान-3 को चंद्रमा तक पहुंचाने का चौथा स्टेज पूरा कर लिया है. बता दें कि इसरो की तरफ से इसके लिए 20 जुलाई दोपहर 2 से 3 बजे का समय तय किया गया था.
इसरो ने किया ट्वीट
इसरो ने अपने आधिकारिक ट्विटर हैन्डल से ट्वीट करते हुए लिखा है, ‘भारत ने चंद्रयान-3 को चंद्रमा के करीब एक कदम आगे बढ़ाकर #InternationalMoonDay 2023 मनाया. चौथा कक्षा-उत्थान पैंतरेबाज़ी (पृथ्वी-बाउंड पेरिगी फायरिंग) ISTRAC/ISRO, बेंगलुरु से सफलतापूर्वक निष्पादित की गई है. अगली गोलीबारी 25 जुलाई, 2023 को दोपहर 2 से 3 बजे IST के बीच करने की योजना है.’
Chandrayaan-3 Mission:
— ISRO (@isro) July 20, 2023
🇮🇳 India celebrates #InternationalMoonDay 2023 by propelling Chandrayaan-3 🛰️ a step closer to the Moon 🌖
The fourth orbit-raising maneuver (Earth-bound perigee firing) is performed successfully from ISTRAC/ISRO, Bengaluru.
The next firing is planned for… pic.twitter.com/XeuD5c06v1
18 जुलाई को तीसरे ऑर्बिट मैन्यूवर को बदला
साथ ही बता दें कि बीते दिन मंगलवार 18 जुलाई को भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने चंद्रयान -3 अंतरिक्ष यान का तीसरा ऑर्बिट मैन्यूवर किया था. इसरो ने तीसरे ऑर्बिट मैन्यूवर को भी दोपहर दो से तीन बजे के बीच ही बदला गया था. इसरो ने यह भी बताया था कि अंतरिक्ष यान ने योजना के अनुसार 51400 किमी x 228 किमी की कक्षा प्राप्त कर ली है.
दूसरी प्रक्रिया 17 जुलाई को पूरी हुई
बता दें कि 14 जुलाई को लॉन्च किया गया चंद्रयान-3 ने सोमवार 17 जुलाई को ऑर्बिट बदलने की दूसरी प्रक्रिया पूरी की थी. दूसरी प्रक्रिया की सफलता पर भी इसरो ने खुशी जताते हुए यह लिखा था कि अंतरिक्ष यान अब 41603 किलोमीटर X (गुणा) 226 किलोमीटर की कक्षा में है. उस समय भी बताया गया था कि मिशन मून अभी भी ससमय है.
मात्र तीन देश चंद्रमा की सतह पर उतरने में सफल
इसरो के द्वारा आंध्र प्रदेश के श्रीहरिकोटा स्थित सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से अपने चंद्र अन्वेषण कार्यक्रम के तीसरे संस्करण का सफलतापूर्वक लॉन्च किया गया था. साथ ही बता दें कि यह यान अब चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर उतरेगा, जिसका अब तक जांच नहीं किया जा सका है. साथ ही जानकारी यह भी हो कि अबतक केवल तीन देश ही ऐसे है जिन्होंने अपने यान को चंद्रमा की सतह पर उतरने में सफलता हासिल की है. इन देशों की सूची में अमेरिका, चीन और रूस का नाम शामिल है.
मिशन 40 दिन के महत्वपूर्ण चरण से गुजरेगा
विक्रम साराभाई अंतरिक्ष केंद्र के निदेशक एस उन्नीकृष्णन नायर ने जानकारी देते हुए बताया कि ‘चंद्रयान-3’ मिशन 40 दिन के महत्वपूर्ण चरण से गुजरेगा और अंतत: चंद्रमा की सतह पर ‘लैंडिंग’ के लिए इसमें लगे ‘थ्रस्टर्स’ की मदद से इसे पृथ्वी से दूर ले जाया जाएगा. नायर ने 15 जुलाई को तिरुवनंतपुरम में पत्रकारों से बातचीत में कहा कि प्रक्षेपण यान ने बहुत अच्छा प्रदर्शन किया है और अंतरिक्ष यान के लिए आवश्यक प्रारंभिक स्थितियां “बहुत सटीकता” से प्रदान की गई हैं.
Also Read: Chandrayan-3 को लेकर आया बड़ा अपडेट, ISRO ने बताया कहां पहुंचा ‘मिशन मून’23 अगस्त को शाम पांच बजकर 47 मिनट पर लैन्डिंग
खबरों में दिए गए इसरो के बयान की मानें तो चंद्रयान-3 की लैन्डिंग 23 अगस्त को शाम पांच बजकर 47 मिनट पर किए जाने की योजना बनी है. इसका मुख्य उद्देश्य चंद्रमा पर ‘सॉफ्ट लैंडिंग’ का होगा. बता दें कि 14 जुलाई को दोपहर 2.35 बजे उड़ान भरने के 17 मिनट बाद उपग्रह को उसकी लक्षित कक्षा में प्रवेश करा दिया गया था.
चंद्रयान-3 भी बहुत अच्छी स्थिति में
मिली जानकारी के अनुसार इस प्रयोग का पहला चरण सौ प्रतिशत सफल रहा है और अंतरिक्ष यान चंद्रयान-3 भी बहुत अच्छी स्थिति में है और यह अपनी प्रणोदन प्रणाली और उपकरणों का उपयोग करके चंद्रमा पर जाने में सक्षम है. नायर ने यह भी बताया है कि इसरो टेलीमेट्री, ट्रैकिंग और कमांड नेटवर्क (आईएसटीआरएसी), बेंगलुरु से अंतरिक्ष यान पर करीबी नजर और नियंत्रण बनाये हुए है.
चंद्रयान – 3 का मुख्य उद्देश्य सॉफ्ट लैंडिंग
चंद्रयान – 3 का मुख्य उद्देश्य लैंडर को चंद्रमा की जमीन पर सुरक्षित उतारना है. लैंडिंग के बाद रोवर प्रयोग के लिए बाहर निकलेगा. लैंडर के साथ प्रणोदन मॉड्यूल, गति प्राप्त करने के बाद चंद्रमा की कक्षा तक पहुंचने के लिए एक महीने से अधिक लंबी यात्रा पर तब तक आगे बढ़ेगा जब तक कि यह चंद्र सतह से 100 किमी ऊपर नहीं पहुंच जाता. इसरो के वैज्ञानिकों ने कहा कि वांछित ऊंचाई पर पहुंचने के बाद लैंडर मॉड्यूल चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव क्षेत्र पर ‘सॉफ्ट लैंडिंग’ के लिए उतरना शुरू कर देगा.