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Chandrayaan-3: कहां पहुंचा चंद्रयान-3… कब होगी चांद पर लैंडिंग ? यहां पाएं हर सवाल से जुड़े जवाब

Chandrayaan-3: बता दें धरती से लेकर चांद की दूरी 3.83 लाख किलोमीटर है और चंद्रयान-3 अपने यात्रा के दौरान फिलहाल पृथ्वी की कक्षा में ही चक्कर काट रहा है. सामने आयी जानकारी के मुताबिक आज इसे धरती के तीसरे ऑर्बिट से फायर किया जाने वाला है.

Chandrayaan-3 Details: भारत ने 14 जुलाई को LVM3-M4 रॉकेट के माध्यम से अपने तीसरे मून मिशन- चंद्रयान-3 की सफल लॉन्चिंग की. अभियान के तहत यह यान 41 दिन की अपनी यात्रा में चांद के दक्षिणी ध्रुव क्षेत्र पर एक बार फिर सॉफ्ट लैंडिंग की कोशिश करेगा. बता दें दक्षिणी ध्रुव पर अभी तक किसी देश ने सॉफ्ट लैंडिंग नहीं की है. चांद की सतह पर अबतक अमेरिका, पूर्व सोवियत संघ और चीन सॉफ्ट लैंडिंग कर चुके हैं. लेकिन, उनकी सॉफ्ट लैंडिंग चांद के दक्षिणी ध्रुव क्षेत्र पर नहीं हो सकी है. वहीं, अगर इंडियन स्पेस रिसर्च ऑर्गनाइजेशन (ISRO) का 600 करोड़ रुपये का चंद्रयान-3 मिशन चार साल में अंतरिक्ष एजेंसी के दूसरे प्रयास में लैंडर को उतारने में सफल हो जाता है, तो अमेरिका, चीन और पूर्व सोवियत संघ के बाद भारत चांद की सतह पर सॉफ्ट-लैंडिंग की तकनीक में सफलता प्राप्त करने वाला चौथा देश बन जाएगा.

कहां पहुंचा चंद्रयान-3

बता दें धरती से लेकर चांद की दूरी 3.83 लाख किलोमीटर है और चंद्रयान-3 अपने यात्रा के दौरान फिलहाल पृथ्वी की कक्षा में ही चक्कर काट रहा है. सामने आयी जानकारी के मुताबिक आज इसे धरती के तीसरे ऑर्बिट से फायर किया जाने वाला है. इंडियन स्पेस रिसर्च ऑर्गनाइजेशन (ISRO) ने इसके लिए आज दोपहर के 2 बजे से लेकर 3 बजे तक का समय चुना है. जानकारी के लिए बता दें पृथ्वी की कक्षा में चंद्रयान-3 के टोटल पांच इंजेक्शन ऑर्बिट हैं. इन पांचों की फायरिंग कंप्लीट होने के बाद चंद्रयान-3 पूरी तरह से पृथ्वी की कक्षा के बाहर चला जाएगा. वैज्ञानिको की अगर माने तो यह प्रक्रिया 31 जुलाई से लेकर 1 अगस्त के बीच आधी रात को पूरी होगी. चंद्रयान-3 धरती से लेकर चांद तक की दूरी को तय करने में करीबन 42 दिनों का समय लेगा. जानकरी के लिए बता दें यह दूरी चार दिनों में भी पूरी की जा सकती है लेकिन, भारत इसे चांद पर उतारने के लिए 40 से लेकर 42 दिनों का समय लेता है.

क्यों लगेगा 42 दिनों का समय

जानकारी के लिए बता दें NASA अपने स्पेसशिप को महज चार दिनों से लेकर हफ्तेभर के बीच ही चंद्रमा पर पहुंचा देता है. लेकिन, भारत को ऐसा करने में 40 से लेकर 42 दिनों का समय लग रहा है. आखिर ऐसा क्यों हो रहा है? यह सवाल अगर आपके भी दिमाग में आ रहा है तो बता दें पृथ्वी के चारों तरह घुमाकर स्पेसशिप को गहरे स्पेस में भेजने का प्रोसेस काफी किफायती होती है. NASA के प्रोजेक्ट से अगर तुलना की जाए तो ISRO के प्रोजेक्ट्स काफी सस्ते होते हैं. केवल यहीं एक कारण यह भी है कि, ISRO के पास फिलहाल NASA जितने बड़े और पावरफुल राकेट मौजूद नहीं हैं जिसे सीधे तौर पर चंद्रमा के ऑर्बिट में भेजा जा सके.

चांद पर कब लैंड करेगा चंद्रयान-3

आने वाले समय में ह्यूमन एक्सप्लोरेशन के लिए एक पोटेंशियल साइट के रूप में उभर रहे मून फील्ड में मानव रहित मिशन के लॉन्चिंग के तुरंत बाद एक प्रेस कांफ्रेंस को संबोधित करते हुए ISRO प्रेसिडेंट एस सोमनाथ ने बताया था कि एजेंसी ने 23 अगस्त के दिन भारतीय समयानुसार शाम के करीबन 5 बजकर 47 मिनट पर चांद की सतह पर तकनीकी रूप से चुनौतीपूर्ण सॉफ्ट-लैंडिंग की योजना बनाई है. आपकी जानकारी के लिए बता दें चंद्रयान-2 तब सॉफ्ट लैंडिंग में असफल हो गया था जब इसका लैंडर विक्रम 7 सितंबर, 2019 को सॉफ्ट लैंडिंग की कोशिश करते समय ब्रेकिंग सिस्टम में विसंगतियों की वजह से चंद्रमा की सतह पर गिर गया था. बता दें चंद्रयान-1 मिशन को साल 2008 में भेजा गया था और पंद्रह वर्षों के दौरान यह इसरो का तीसरा मून मिशन है.

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