जहां से चलती है अपराध की काली दुनिया, पढ़ें क्या होता डार्क वेब

उत्तर प्रदेश के सिंचाई विभाग में कार्यरत एक इंजीनियर को गिरफ्तार किया गया है. सीबीआई ने इसे गिरप्तार किया है जिस पर आरोप लगा है कि वह डार्क नेट का इस्तेमाल करके बच्चों को लेकर गलत फिल्में बनाता था.

By Prabhat Khabar Digital Desk | November 18, 2020 5:41 PM
an image

उत्तर प्रदेश के सिंचाई विभाग में कार्यरत एक इंजीनियर को गिरफ्तार किया गया है. सीबीआई ने इसे गिरप्तार किया है जिस पर आरोप लगा है कि वह डार्क नेट का इस्तेमाल करके बच्चों को लेकर गलत फिल्में बनाता था. इंजीनियर पर चित्रकूट, बांदा और हमीरपुर जिलों में 5 से 16 साल के लगभग 50 बच्चों के साथ कुकृत्य करने का आरोप लगा है. इंजीनियर के पास से आठ फोन भी बरामद किया गया है.

इंजीनियर बच्चों की फिल्म बनाकर पैसे कमाता था. यह डार्क वेब का इस्तेमाल करता था. डार्क वेब इंटरनेट की वह काली दुनिया है जहां हर तरह का काला कारोबार चलता है. यहां ड्रग्स, पोर्न और हथियारों का कारोबार चलता है. इस वेब का इस्तेमाल करने वालों को पकड़ना आसान नहीं होता. यही कारण है कि अपराधी इसके इस्तेमाल को सुरक्षित मानते हैं.

Also Read: बड़ा मौका : सरकार ने दी राहत, सस्ता होगा घर, बैंक दे रहा है कम ब्याज पर पैसा

सरफेस वेब

इंटरनेट मुख्य रूप से तीन प्लैटफॉर्म पर काम करता है. पहला जिसे सरफेस वेब कहा जाता है. इस वेब पर सभी लोग सामान्य तरीके से काम करते हैं. इसमें गूगल, याहू समेत दूसरे सर्च इंजन काम करते हैं. कोई भी आसानी से इसका इस्तेमाल कर सकता है. मोबाइल कंप्यूटर पर ज्यादातर लोग इसी वेब का इस्तेमाल करते हैं.

डीप वेब क्या होता है

दूसरा होत है डीप वेब. इस वेब में ज्यादातर कागजी काम होते हैं. इसके लिए खास सॉफ्टवेयर बना होता है इसमें लॉग इन आईडी और पासवर्ड चाहिए होता है.अगर उदाहरण से समझना चाहें तो जीमेल, ब्लॉगिंग वेबसाइट्स इसके उदाहरण है. कई संस्थान अपना काम भी इस वेब के माध्यम से करते हैं. यह भी सहज और सरल है औऱ इस्तेमाल आसानी से होता है.

अब डार्ड वेब समझिये

इंटरनेट में यह तीसरा विकल्प है जो सबसे खतरनाक और आसानी से इस्तेमाल नहीं किये जाने वाला होता है. इस वेब को साधारण तरीके से सर्च इंजन से इस्तेमाल नहीं किया जाता है. इसे इसे टॉर एन्क्रिप्शन टूल की मदद से छिपाया जाता है. डार्क वेब के इस्तेमाल के लिए टॉर (TOR) का प्रयोग करना ही होगा.

Also Read: Sarkari naukri new vacancy : 10वीं पास के लिए सरकारी नौकरी का मौका, डाक विभाग ने निकाली वैकेंसी

इसमें यूजर की पहचान करना आसान नहीं होता है. इसका उपयोग करते समय डाटा का एन्क्रिप्शन एक-एक करके होता है. जिससे इसे यूज करने वाले की गोपनीयता बनी रहती है. टॉर और खास ब्राउजर इस तरह एक-एक करके खुलता है जैसे प्लाज की लेयर होती है इसलिए इसे .Com, .In नहीं होता बल्कि .Onion होता है. इसमें वेबसाइट के मालिक का नाम और वेबसाइट पर जाने वाला दोनों की पहचान करना मुश्किल होता है.

Posted By – Pankaj Kumar Pathak

Exit mobile version