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Hanging: फांसी देते समय कैदी के कान में क्या कहता है जल्लाद? 

Hanging: आइए जानते हैं कैदी को फांसी देते समय जल्लाद उसके कान में क्या कहता है?

Hanging: अक्सर गंभीर अपराधों के लिए दोषी को फांसी की सजा दी जाती है, लेकिन इसके पीछे की पूरी प्रक्रिया बहुत ही सख्त और निर्धारित नियमों के अनुसार होती है. जेल नियमावली में इस प्रक्रिया का विस्तृत विवरण दिया गया है. जब भी किसी को फांसी पर चढ़ाने की खबर सामने आती है, तो आमतौर पर कई सवाल उठते हैं. मसलन, क्या सच में दोषी से उसकी आखिरी इच्छा पूछी जाती है, फांसी के दौरान उसके मुंह को काले कपड़े से क्यों ढका जाता है, और किन अधिकारियों की मौजूदगी में यह प्रक्रिया संपन्न होती है.

डेथ वारंट और उसके नियम

कोर्ट द्वारा दोषी को मौत की सजा सुनाने के बाद डेथ वारंट जारी किया जाता है, जिसे ‘ब्लैक वारंट’ भी कहा जाता है. इस वारंट पर चारों ओर काली धारियां बनी होती हैं और इसे दोषी के सामने ही तैयार किया जाता है. इस वारंट को लिखने के लिए इस्तेमाल की गई कलम को बाद में तोड़ दिया जाता है. यह प्रतीकात्मक होता है कि दोषी की जिंदगी समाप्त होने वाली है और साथ ही यह सुनिश्चित करता है कि जज को दोबारा इस वारंट पर हस्ताक्षर न करने पड़ें.

वारंट की एक प्रति दोषी के वकील और परिवार को दी जाती है. यदि आरोपी कोर्ट में उपस्थित नहीं हो सकता, तो उसे वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए सूचित किया जाता है. यदि दोषी को वारंट में कोई त्रुटि नजर आती है, तो वह कानूनी रूप से चुनौती दे सकता है.

14 दिनों का अनिवार्य अंतराल

नियमों के अनुसार, डेथ वारंट जारी होने और फांसी की तारीख के बीच कम से कम 14 दिनों का अंतराल अनिवार्य होता है. इस अवधि में दोषी को अन्य कैदियों से अलग रखा जाता है, हालांकि वह उनसे मिल सकता है लेकिन उनके साथ भोजन नहीं कर सकता. उसे कुछ समय के लिए कैदखाने से बाहर घूमने और खेलने का अवसर भी दिया जाता है.

दोषी की आखिरी इच्छाएं

फिल्मों में अक्सर दिखाया जाता है कि दोषी की आखिरी इच्छा पूछी जाती है, लेकिन वास्तव में यह केवल विशेष परिस्थितियों में ही लागू होती है. दोषी से उसकी आखिरी इच्छा पूछी जाती है, लेकिन यह केवल किसी विशेष व्यक्ति से मिलने या पसंदीदा भोजन तक ही सीमित होती है. अन्य कोई असामान्य मांग यदि नियमों के तहत संभव न हो, तो उसे अस्वीकार कर दिया जाता है.

फांसी का समय और प्रक्रिया

फांसी की प्रक्रिया प्रातःकाल सूर्योदय से पहले पूरी की जाती है. यह इसलिए ताकि जेल प्रशासन का बाकी कार्य बाधित न हो और परिवार को अंतिम संस्कार के लिए पर्याप्त समय मिल सके. अलग-अलग मौसमों के अनुसार फांसी का समय निर्धारित किया जाता है:

सर्दियों में (नवंबर से फरवरी) सुबह 8 बजे

मार्च, अप्रैल, सितंबर और अक्टूबर में सुबह 7 बजे

गर्मियों में (मई से अगस्त) सुबह 6 बजे

इसके अलावा, सार्वजनिक अवकाश के दिन फांसी नहीं दी जाती.

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रस्सी और तख्ते की जांच

फांसी के कुछ दिन पहले दोषी का वजन लिया जाता है ताकि उसके अनुसार फांसी का तख्ता और रस्सी तय की जा सके. दो दिन पहले, एक रेत की बोरी का उपयोग करके परीक्षण किया जाता है जिससे यह सुनिश्चित किया जाता है कि रस्सी दोषी के वजन को सहन कर पाएगी.

जल्लाद की भूमिका

फांसी से दो दिन पहले जल्लाद को जेल बुला लिया जाता है. उसकी जिम्मेदारी होती है कि वह व्यवस्था की समीक्षा करे और प्रक्रिया को सुचारू रूप से पूरा करे.

दोषी की अंतिम तैयारियां

फांसी से पहले दोषी को स्नान कराया जाता है और साफ-सुथरे कपड़े पहनाए जाते हैं. उसकी पसंद का अंतिम भोजन दिया जाता है. इसके बाद, जेल सुपरिंटेंडेंट, मेडिकल अधिकारी, जल्लाद और अन्य अधिकारी दोषी को फांसी स्थल तक ले जाते हैं.

अंतिम क्षण और फांसी की प्रक्रिया

फांसी के दौरान दोषी के हाथ पीछे बांध दिए जाते हैं और उसे तख्ते पर खड़ा किया जाता है. जल्लाद उसके चेहरे को काले कपड़े से ढक देता है. अंतिम क्षणों में जल्लाद दोषी के कान में कहता है, “हिंदुओं को राम राम और मुस्लिमों को सलाम. मैं अपने फर्ज के आगे मजबूर हूं.” इसके बाद जल्लाद लीवर खींचता है और दोषी का जीवन समाप्त हो जाता है.

फांसी के बाद की प्रक्रिया

मेडिकल अधिकारी आधे घंटे बाद शव की जांच करता है और सुनिश्चित करता है कि मृत्यु हो चुकी है. जेल सुपरिंटेंडेंट इस प्रक्रिया की रिपोर्ट इंस्पेक्टर जनरल को सौंपता है और कोर्ट में इसकी पुष्टि करता है. पोस्टमार्टम के बाद, प्रशासन यह निर्णय लेता है कि शव परिवार को सौंपा जाएगा या जेल में ही अंतिम संस्कार किया जाएगा. फांसी की पूरी प्रक्रिया बेहद अनुशासित और विधि-सम्मत होती है. इसके हर चरण को सख्त नियमों के तहत पूरा किया जाता है ताकि यह सुनिश्चित हो कि न्याय की प्रक्रिया निष्पक्ष और विधिसम्मत तरीके से पूरी हो.

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