राष्ट्रपति चुनाव 2022 के परिणाम (President Election 2022 Results) आ गये हैं. राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) की उम्मीदवार द्रौपदी मुर्मू (Draupadi Murmu) ने विपक्षी दलों के संयुक्त उम्मीदवार यशवंत सिन्हा को बड़े आसानी से हरा दिया है. इसके साथ ही यह तय हो गया कि द्रौपदी मुर्मू देश की 15वीं राष्ट्रपति होंगी. द्रौपदी मुर्मू दूसरी महिला, लेकिन पहली आदिवासी महिला राष्ट्रपति बनने जा रही हैं. वह 25 जुलाई को राष्ट्रपति पद की शपथ लेंगी. उसी दिन अपना कार्यभार संभालेंगी.
अब जबकि यह तय हो गया है कि द्रौपदी मुर्मू देश की अगली राष्ट्रपति होंगे, तो लोग जानना चाहते हैं कि देश की प्रथम नागरिक को शपथ कौन दिलायेगा. राष्ट्रपति की शक्तियों के बारे में भी लोग जानना चाहते हैं. आइए, हम आपको बताते हैं कि देश के राष्ट्रपति को कौन शपथ दिलाता है. यह भी बतायेंगे कि राष्ट्रपति के पास कौन-कौन सी शक्तियां होती हैं.
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चुनाव की प्रक्रिया के बारे में अब तक आप जान ही गये होंगे. संविधान के अनुच्छेद 54 में भारत के राष्ट्रपति के चुनाव के बारे में विस्तार से बताया गया है. इसमें बताया गया है कि राष्ट्रपति का चुनाव अप्रत्यक्ष रूप से होता है. यानी गुप्त मतदान के जरिये देश के चुने हुए जनप्रतिनिधि (लोकसभा एवं राज्यसभा के सांसद और राज्यों की विधानसभाओं के विधायक) देश के राष्ट्रपति का चुनाव करते हैं.
मतदान करने के योग्य सांसदों और विधायकों को इलेक्टोरल कॉलेज कहा जाता है. भारत में विशेष तरीके की वोटिंग प्रक्रिया अपनायी जाती है. इसे सिंगल ट्रांसफरेबल वोट सिस्टम कहते हैं. सिंगल वोट यानी एक वोटर सिर्फ एक वोट देता है. हालांकि, वह कई उम्मीदवारों को भी वोट दे सकता है, लेकिन इसके लिए उसे प्रत्याशियों की प्राथमिकता बतानी होती है. यानी वोटिंग के लिए मिले बैलेट पेपर पर उसे बताना होता है कि जिस प्रत्याशी को वह वोट दे रहा है, उसमें उसकी पहली पसंद कौन है, दूसरी पसंद कौन है.
बहरहाल, अब आपको बताते हैं कि भारत के राष्ट्रपति को शपथ कौन दिलाता है. इसका जवाब है. चीफ जस्टिस. भारत के मुख्य न्यायाधीश यानी सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस भारत के प्रथम नागरिक को पद एवं गोपनीयता की शपथ दिलाते हैं. मुख्य न्यायाधीश की अनुपस्थिति में सुप्रीम कोर्ट के सबसे सीनियर जज राष्ट्रपति को शपथ दिलवाते हैं. संविधान के अनुच्छेद 60 में राष्ट्रपति को शपथ दिलाने को लेकर स्पष्ट रूप से उल्लेख किया गया है. राष्ट्रपति का कार्यकाल 5 वर्ष का होता है.
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भारत के राष्ट्रपति सेना, वायु सेना और नौसेना के सुप्रीम कमांडर होते हैं.
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भारत के राष्ट्रपति ही चीफ जस्टिस, सुप्रीम कोर्ट और राज्यों के हाईकोर्ट के जजों, राज्यपालों, चुनाव आयुक्तों और दूसरे देशों में राजदूतों की नियुक्ति करते हैं.
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अनुच्छेद 72 के तहत भारत के राष्ट्रपति को किसी अपराध के लिए दोषी ठहराये गये किसी व्यक्ति की सजा को माफ करने का अधिकार है. वह किसी के मृत्युदंड को भी माफ कर सकते हैं.
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अनुच्छेद 352 के तहत देश में आपातकाल लगाने का अधिकार राष्ट्रपति को है. वह युद्ध या बाहरी आक्रमण या सशस्त्र विद्रोह की स्थिति में ऐसा कर सकते हैं.
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अनुच्छेद 356 के तहत किसी राज्य में संवैधानिक तंत्र के विफल होने की स्थिति में राज्यपाल की रिपोर्ट के आधार पर राष्ट्रपति वहां राष्ट्रपति शासन लगा सकते हैं.
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अनुच्छेद 75 के मुताबिक, प्रधानमंत्री की नियुक्ति राष्ट्रपति ही करते हैं.
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राष्ट्रपति अनुच्छेद 80 के तहत साहित्य, विज्ञान, कला और समाज सेवा में विशेष ज्ञान या व्यावहारिक अनुभव रखने वाले 12 व्यक्तियों को राज्यसभा के लिए मनोनीत कर सकते हैं.
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राष्ट्रपति के पास अनुच्छेद 360 के तहत भारत या उसके राज्य क्षेत्र के किसी भाग में वित्तीय संकट की दशा में वित्तीय आपातकाल घोषणा करने का भी अधिकार है.
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लोकसभा चुनाव में जब किसी भी दल या गठबंधन को स्पष्ट बहुमत नहीं मिलता, तो राष्ट्रपति अपने विवेक से सरकार बनाने के लिए किसी पार्टी को आमंत्रित कर सकते हैं.
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सभी अंतरराष्ट्रीय समझौते और संधियां राष्ट्रपति के नाम पर ही होती हैं.
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संसद की तरफ से पारित कोई भी विधेयक राष्ट्रपति की मंजूरी के बाद ही कानून बनता है. राष्ट्रपति चाहें, तो उस विधेयक को कुछ समय के लिए रोक सकते हैं. विधेयक पर पुनर्विचार के लिए संसद को वापस भी भेज सकते हैं.
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देश के सभी कानून और सरकार के प्रमुख नीतिगत फैसले राष्ट्रपति के नाम पर ही होते हैं.
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राष्ट्रपति अपने अधिकारों का इस्तेमाल मंत्रिपरिषद की सलाह पर ही करते हैं.