नयी दिल्ली : देश-दुनिया में कोरोना वायरस का संक्रमण तेजी से फैलता जा रहा है. भारत इस समय सबसे अधिक कोरोना की चपेट में आने वाला देश बना चुका है. रोजाना के आंकड़ों में भारत ने अमेरिका और ब्राजिल को भी पीछे छोड़ दिया है. इस बीच कोरोना वैक्सीन को लेकर विश्व स्वास्थ्य संगठन ने चेतावनी जारी कर दी है. WHO ने साफ कर दिया कि कोरोना का टीका कोई जादुई गोली नहीं होगा, जो खाया और तुरंत ठीक हो गये.
डब्ल्यूएचओ के महानिदेशक टेड्रोस एडहोम ने चेतावनी जारी करते हुए कहा कि कोरोना के खिलाफ हमें लंबी लड़ाई लड़नी है, इसके लिए हमें तैयार रहना होगा. गौरतलब है कि कोरोना वायरस की वैक्सीन को लेकर कई बड़ी दवा कंपनियां काम कर रही हैं, जिसमें कंपिनयों को तो बड़ी सफलता भी मिल चुकी है और ऐसा दावा किया जा रहा है कि बहुत जल्द टीका बाजार में उपलब्ध होंगे.
रूस का दावा है कि वह कोविड-19 टीके को स्वीकृति देने वाला पहला देश बनने जा रहा है जहां अक्टूबर की शुरुआत में उन टीकों की मदद से सामूहिक टीकाकरण किया जाएगा जिनका अभी तक क्लिनिकल परीक्षण पूरा नहीं हुआ है. दूसरी ओर दुनिया भर के वैज्ञानिक चिंतित हैं कि कहीं अव्वल आने की यह दौड़ उलटी न साबित हो जाए.
जॉर्जटाउन विश्वविद्यालय में वैश्विक जन स्वास्थ्य कानून विशेषज्ञ, लॉरेंस गोस्टिन ने कहा, मुझे चिंता है कि रूस बहुत जल्दबाजी कर रहा है जिससे कि टीका न सिर्फ अप्रभावी होगा बल्कि असुरक्षित भी. उन्होंने कहा, यह इस तरीके से काम नहीं करता है…सबसे पहले परीक्षण होने चाहिए. वह सबसे जरूरी है.
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इस प्रयास को प्रायोजित करने वाले, रूस के प्रत्यक्ष निवेश कोष के प्रमुख, किरिल डिमित्रीव के मुताबिक, गामालेया अनुसंधान संस्थान द्वारा विकसित टीके को कुछ दिनों में स्वीकृति दे जाएगी और यह वैज्ञानिकों द्वारा तीसरे चरण का अध्ययन पूरा करने से पहले होगा. अंतिम चरण का अध्ययन एकमात्र तरीका है जिससे यह साबित हो सकता है कि कोई प्रायोगिक टीका सुरक्षित और असरदायक है. इस चरण में लाखों लोगों पर परीक्षण किया जाता है.
Posted By – Arbind Kumar Mishra