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Poonch Terror Attack: किसने दी आतंकियों को पनाह? कहां से लाये इतना विस्फोटक, डीजीपी ने दी जानकारी

Poonch Terror Attack: जम्मू कश्मीर के डीजीपी ने कहा कि अब तक 200 से अधिक लोगों से पूछताछ की जा चुकी है और हमले में शामिल आतंकवादियों को मार गिराने के लिए अभियान जारी है. आतंकवादी जंगलों के करीब की जगहों को चुनते हैं, जहां स्थानीय लोगों का समर्थन मिलता है और जंगलों में भागने का रास्ता भी होता है.

Poonch Terror Attack: जम्मू कश्मीर पुलिस ने दावा किया है कि पिछले हफ्ते पुंछ में हमले की आतंकी साजिश का पर्दाफाश हो गया है और छह स्थानीय लोगों को आतंकियों को पनाह देने के आरोप में गिरफ्तार किया गया है. इन आतंकवादियों ने पाकिस्तान से ड्रोन के जरिये आये विस्फोटक और हथियारों का प्रयोग करके हमला किया था. पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) दिलबाग सिंह ने कहा कि 20 अप्रैल का हमला एक सुनियोजित हमला था जिसे तीन से पांच आतंकवादियों द्वारा अंजाम दिया गया था. सिंह ने कहा कि आतंकवादियों ने पहले इलाके का मुआयना किया, इलाके को समझा और फिर हमले की जगह चुनी.

हमले को लेकर जारी है पूछताछ: डीजीपी ने कहा कि अब तक 200 से अधिक लोगों से पूछताछ की जा चुकी है और पुंछ हमला में शामिल आतंकवादियों को मार गिराने के लिए अभियान जारी है. सिंह ने यहां राजौरी जिले के दौरे के दौरान संवाददाताओं से कहा, एक मॉड्यूल के छह लोगों को गिरफ्तार किया गया है. इनमें वे व्यक्ति भी शामिल हैं जिन्होंने हथियार, गोली बारूद, विस्फोटक’ आतंकवादियों को पनाह देने के साथ ही एक जगह से दूसरे जगह जाने के लिए उनका मार्गदर्शन किया. उन्होंने कहा, पूछताछ के दौरान हमें सुराग मिल रहे हैं. हम उस पर काम कर रहे हैं.

स्थानीय लोगों के समर्थन के बिना हमला संभव नहीं: हिमाच्छादित पीर पंजाल पहाड़ों की तलहटी में दारहाल और दूरदराज के बुद्ध खनारी क्षेत्र का दौरा करने वाले सिंह ने यह भी कहा कि स्थानीय समर्थन के बिना ऐसी घटनाएं संभव नहीं हैं. उन्होंने कहा, इसमें एक पूरे मॉड्यूल का खुलासा हुआ है. वे पिछले दो से तीन महीनों से उन्हें मदद दे रहे थे. निसार नाम का एक स्थानीय व्यक्ति और उसका परिवार भोजन से लेकर पनाह तक सभी सहायता प्रदान कर रहा था. विस्फोटक ड्रोन के माध्यम से पाकिस्तान से आयी थी. उन्होंने हथियार उठाये और उन्हें आतंकवादियों को मुहैया कराया. इसमें हथियार, ग्रेनेड और गोला बारूद शामिल थे. उन्होंने कहा कि सुरक्षा बल और अधिक स्थानीय स्तर पर मदद का पता लगा रहे हैं.

स्थानीय लोग दे रहे हैं समर्थन: डीजीपी ने कहा कि वे इस पर मजबूती से काम करेंगे. आतंकवादी जंगलों के करीब की जगहों को चुनते हैं, जहां उन्हें स्थानीय लोगों का समर्थन मिलता है और जंगलों में भागने का रास्ता भी होता है. मॉड्यूल के बारे में और जानकारी देते हुए सिंह ने कहा कि निसार लंबे समय से आतंकवादी रहा है. उन्होंने कहा, ‘‘वह 1990 के दशक में लश्करे तैयबा के पाकिस्तान मूल के कमांडर के मददगार के रूप में काम कर रहा था. वह हमारे रडार पर था. हमने उसे अतीत में दो से तीन बार पूछताछ के लिए हिरासत में लिया था. वह हमारी संदिग्धों की सूची में था और इस बार भी उसे हिरासत में लिया गया था.

घात लगाकर किया हमला: डीजीपी ने कहा, जब पूछताछ की गई, तो हमने पाया कि वह परिवार के अन्य सदस्यों के साथ पूरी तरह से शामिल था. काम करने के बारे में उन्होंने कहा कि आतंकवादियों ने पहले क्षेत्र की टोह ली, इलाके को समझा और हमले की जगह पर तीव्र मोड़ और ढलान वाली जगह को देखते हुए वाहन की गति बेहद धीमी हो जाने जैसे पहलुओं पर विचार किया. उन्होंने कहा, वे करीब आए और वाहन पर घात लगाकर हमला किया. फिर उन्होंने वाहन पर गोलीबारी की, जो क्षतिग्रस्त हो गया. जवान घायल हुए. उन्होंने एक आईईडी लगाई, उसमें आग लगा दी और विस्फोट कर दिया.

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कई महीनों तक टोह लेते हैं आतंकी: डीजीपी ने बताया कि पाकिस्तान से आतंकवादी आते हैं. वे कई महीनों तक यहां रहते हैं. वे टोह लेते हैं और इस तरह की हरकतें करते हैं. हमने उनमें से कई को पहले भी मार गिराया है. एक समय के दौरान ऐसे दो से चार आतंकवादी सक्रिय रहते हैं. सिंह के मुताबिक इलाके में ऐसे 10 से 12 तत्व सक्रिय हैं. चीनी स्टील कोर बुलेट के इस्तेमाल पर उन्होंने कहा कि इसका इस्तेमाल धांगरी मामले में भी किया गया था. उन्होंने कहा, आतंकवादी इस तरह के हमलों के लिए बेहतर तरीके से तैयार होकर आते हैं.

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