कौन हैं अमृतपाल सिंह? जिसके साथी को छुड़ाने के लिए समर्थकों ने लगा दी जान की बाजी
अमृतपाल सिंह पर खालिस्तानी आंदोलन को हवा देने का आरोप है. ऐसे में कई खुफिया एजेंसियां नजर रख रही हैं. हाल में ही अमृतपाल ने इशारों ही इशारों में गृह मंत्री को भी धमकी दे डाली थी. उसने कहा था कि इंदिरा गांधी ने भी हमें दबाने की कोशिश की थी... क्या हश्र हुआ.
कट्टरपंथी उपदेशक अमृतपाल सिंह का साथी लवप्रीत तूफान को पुलिस ने गिरफ्तार क्या किया… मानो पूरे पंजाब में भूचाल आ गया. अमृतपाल सिंह के समर्थक हाथों में बंदूक और तलवार लेकर थाने में ही हमला कर दिया. थाना में हमला करने वाले समर्थक ‘वारिस पंजाब दे’ संगठन के प्रमुख अमृतपाल सिंह के करीबी लवप्रीत तूफान की गिरफ्तारी का विरोध कर रहे थे. गौरतलब है कि अमृतपाल सिंह एक कट्टरपंथी धार्मिक उपदेशक है. अमृतपाल सिंह के बारे में कहा जाता है कि वह खालिस्तान से सहानुभूति रखता है.
कौन हैं अमृतपाल सिंह: दुबई से लौटा अमृतपाल सिंह अभिनेता और कार्यकर्ता दीप सिद्धू द्वारा बनाया गया संगठन ‘वारिस पंजाब दे’ का प्रमुख है. दरअसल, बीते साल फरवरी महीने में ही सिद्धू की एक सड़क दुर्घटना में मौत हो गयी थी, जिसके बाद अमृतपाल ‘वारिस पंजाब दे’ का प्रमुख बन गया. अमृतपाल सिंह पर खालिस्तानी आंदोलन को हवा देने का आरोप है. ऐसे में कई खुफिया एजेंसियां नजर रख रही हैं. हाल में ही अमृतपाल ने इशारों ही इशारों में गृह मंत्री को भी धमकी दे डाली थी. उसने कहा था कि इंदिरा गांधी ने भी हमें दबाने की कोशिश की थी… क्या हश्र हुआ.
अमृतपाल के ज्यादातर रिश्तेदार दुबई में ही रहते हैं. इस कारण साल 2012 में वो भी दुबई चला गया था. दुबई में उसने ट्रांसपोर्ट का कारोबार किया. लेकिन काफी समय गुजारने के बाद वो भारत वापस आ गया. इसी दौरान उसके दोस्त दीप सिद्धू की एक सड़क हादसे में मौत हो गयी. दीप सिद्धू की मौत के बाद वो ‘वारिस पंजाब दे’ का प्रमुख बन गया. प्रमुख बनने के बाद उसने संगठन विस्तार का काम किया. उसने ‘वारिस पंजाब दे’ नाम से वेबसाइट बनाई और लोगों को उसमें जोड़ना शुरू कर दिया. अमृतपाल सिंह ने किसान आंदोलन में भी रुचि दिखाई थी.
गुरुद्वारे की जला दी थी कुर्सियां: मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, अमृतपाल बीते साल उस समय सुर्खियों में आया था जब उसने गुरुद्वारे की कुर्सियां जला दी थी. दरअसल उसके समर्थकों ने जालंधर स्थिति मॉडल टाउन गुरुद्वारे की कुर्सियां जला दी थी. इसके पीछे अमृतपाल का तर्क था कि वो गुरुद्वारे में श्रद्धालुओं के लिए कुर्सी और सोफा रखना सिख धर्म के सिद्धांतों के खिलाफ है. उसके समर्थकों ने गुरुद्वारे में जमकर उत्पात मचाया था. कुर्सियां तोड़ी गई थी उसमें आग लगा दी गई थी. इसके लेकर पंजाब में काफी हो हल्ला हुआ था.