13.1 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Advertisement

शपथ ग्रहण करने से पहले चरणजीत सिंह चन्नी ने गुरुद्वारे में मत्था टेका, सोनिया गांधी पहुंची चंडीगढ़

Who is Charanjit Singh Channi? चरणजीत सिंह चन्नी ने प्रदेश कांग्रेस के प्रमुख नवजोत सिंह सिद्धू के खेमे का पक्ष लेते हुए अमरिंदर सिंह के खिलाफ तीन अन्य मंत्रियों के साथ बगावत कर दी थी.

चंडीगढ़ : पंजाब के नए मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह चन्नी ने शपथ ग्रहण करने से पहले सोमवार को रूपनगर गुरुद्वारे में मत्था टेका. वे सोमवार की सुबह 11 बजे शपथ ग्रहण करेंगे. इस बीच, खबर यह है कि कांग्रेस की अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी चंडीगढ़ पहुंच गई हैं. टीवी न्यूज चैनल आज तक के अनुसार, चन्नी के शपथ ग्रहण समारोह में कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी भी शामिल होंगे. इसके साथ ही, पंजाब में दो उपमुख्यमंत्री बनाए जाएंगे. इसमें ब्रह्म मोहिंद्रा और सुखविंदर सिंह रंधावा का नाम लिया जा रहा है.

2012 में थामा कांग्रेस का दामन

चमकौर साहिब विधानसभा क्षेत्र से तीन बार के विधायक चरणजीत सिंह चन्नी को सोमवार की सुबह 11 बजे मुख्यमंत्री पद की शपथ दिलाई जाएगी. पंजाब के रूपनगर जिले के रहने वाले चन्नी वर्ष 2012 में ही कांग्रेस का दामन थामा और कैप्टन अमरिंदर सिंह के नेतृत्ववाली सरकार में तकनीकी शिक्षा, औद्योगिक प्रशिक्षण, रोजगार सृजन और पर्यटन तथा सांस्कृतिक मामलों के विभागों के मंत्री थे. सबसे बड़ी बात यह है कि नगर परिषद का अध्यक्ष चुने जाने के बाद से लेकर पंजाब में दलित समुदाय से पहले मुख्यमंत्री के रूप में चुने जाने तक चरणजीत सिंह चन्नी का पिछले दो दशकों में सियासत में लगातार कद बढ़ता गया.

सिद्धू के लिए अमरिंदर से की बगावत

चन्नी ने प्रदेश कांग्रेस के प्रमुख नवजोत सिंह सिद्धू के खेमे का पक्ष लेते हुए अमरिंदर सिंह के खिलाफ तीन अन्य मंत्रियों के साथ बगावत कर दी थी. राज्य में विधानसभा चुनाव में बमुश्किल पांच महीने बचे हैं इसलिए कांग्रेस द्वारा मुख्यमंत्री के रूप में एक दलित चेहरे की घोषणा महत्वपूर्ण हो जाती है, क्योंकि दलित राज्य की आबादी का लगभग 32 फीसदी हिस्सा हैं.

दलितों को साधने की तैयारी

चन्नी को पंजाब का मुख्यमंत्री बनाने के पीछे कांग्रेस का मकसद यहां के दलित समुदाय के मतदाताओं को साधना है. पंजाब के दोआबा क्षेत्र – जालंधर, होशियारपुर, एसबीएस नगर और कपूरथला जिले में दलितों की आबादी सबसे अधिक है. बहुजन समाज पार्टी (बसपा) से गठबंधन कर चुके शिरोमणि अकाली दल ने पहले ही घोषणा कर दी है कि विधानसभा चुनाव में जीत मिलने पर दलित वर्ग के किसी नेता को उपमुख्यमंत्री का पद दिया जाएगा. राज्य में आम आदमी पार्टी भी जीत की उम्मीदें लगाए हुए है.

आपसी कलह को मिटाने के लिए आलाकमान ने किया फैसला

चन्नी (58) का चुना जाना भले ही कांग्रेस का चौंकाने वाला फैसला दिखाई देता हो, लेकिन यह उसका सुनियोजित भी हो सकता है. इसका कारण यह है कि पार्टी को आशा है कि मुख्यमंत्री पद के लिए दलित वर्ग से नेता के चयन का विरोध नहीं होगा और अमरिंदर सिंह की नाराजगी से हुए संभावित नुकसान की भरपाई हो जाएगी. चन्नी ने तीन अन्य मंत्रियों (सुखजिंदर सिंह रंधावा, तृप्त राजिंदर सिंह बाजवा और सुखबिंदर सिंह सरकारिया) के साथ और विधायकों के एक वर्ग ने पिछले महीने अमरिंदर सिंह के खिलाफ विद्रोह का बिगुल बजाते हुए कहा था कि उन्हें अधूरे वादों को पूरा करने की सिंह की क्षमता पर कोई भरोसा नहीं है.

दलितों के मसले पर सरकार के रहे हैं आलोचक

चन्नी वरिष्ठ सरकारी पदों पर अनुसूचित जाति के प्रतिनिधित्व जैसे दलितों से जुड़े मुद्दों पर सरकार के मुखर आलोचक रहे हैं. उनकी राजनीतिक यात्रा 2002 में खरार नगर परिषद के अध्यक्ष के रूप में चुने जाने के साथ शुरू हुई. चन्नी ने पहली बार 2007 में निर्दलीय के रूप में चुनाव लड़ा और चमकौर साहिब विधानसभा क्षेत्र से जीते. वह 2012 में कांग्रेस में शामिल हुए और फिर से उसी सीट से विधायक चुने गए.

चन्नी पर महिला अधिकारी को अश्लील मैसेज भेजने का आरोप

मंत्री के तौर पर अपने कार्यकाल के दौरान चन्नी उस समय विवादों में घिर गए जब भारतीय प्रशासनिक सेवा (आईएएस) की एक महिला अधिकारी ने उन पर 2018 में अश्लील मैसेज भेजने का आरोप लगाया गया था. इसके बाद पंजाब महिला आयोग ने मामले का स्वत: संज्ञान लिया और सरकार का रुख पूछा था. उस समय मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह ने चन्नी को महिला अधिकारी से माफी मांगने के लिए कहा था और यह भी कहा था कि उनका (सिंह) मानना है कि मामला हल हो गया है.

मई 2018 से पंजाब में बढ़ा विवाद

यह मुद्दा साल 2018 के मई महीने में फिर से उठा, जब महिला आयोग की प्रमुख ने चेतावनी दी कि अगर राज्य सरकार एक अनुचित संदेश के मुद्दे पर अपने रुख से एक सप्ताह के भीतर उसे अवगत कराने में विफल रही तो वह भूख हड़ताल पर चली जाएंगी, लेकिन नवजोत सिंह सिद्धू के खेमे ने आरोप लगाया था कि यह अमरिंदर सिंह द्वारा उनके विरोधियों को निशाना बनाने की कोशिश है.

Also Read: कांग्रेस ने चरणजीत सिंह चन्नी को दिया महिला उत्पीड़न का ‘पुरस्कार’, पंजाब के नये सीएम पर हमला तेज
चन्नी का विवादों से रहा है नाता

पंजाब के नए सीएम चन्नी का विवादों से नाता रहा है. वर्ष 2018 में चन्नी फिर से विवादों में फंसे, जब वह एक पॉलिटेक्निक संस्थान में व्याख्याता के पद के लिए दो उम्मीदवारों के बीच फैसला करने के लिए एक सिक्का उछालते हुए कैमरे में कैद हो गए. इससे अमरिंदर सिंह के नेतृत्व वाली सरकार को काफी फजीहत का सामना करना पड़ा. नाभा के एक व्याख्याता और पटियाला के एक व्याख्याता, दोनों पटियाला के एक सरकारी पॉलिटेक्निक संस्थान में तैनात होना चाहते थे. चन्नी ने एक बार अपने सरकारी आवास के बाहर सड़क का निर्माण करवाया था, ताकि उनके घर में पूर्व की ओर से प्रवेश किया जा सके और बाद में चंडीगढ़ प्रशासन ने इसे तोड़ दिया. चन्नी पिछली शिरोमणि अकाली दल-भारतीय जनता पार्टी की सरकार के दौरान पंजाब विधानसभा में विपक्ष के नेता थे.

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Advertisement

अन्य खबरें

ऐप पर पढें