हर साल जब परीक्षा के नतीजे घोषित किए जाते हैं तो छात्रों में काफी मानसिक दाबव देखने को मिलता है, खासकर बोर्ड के परिणाम को लेकर छात्रों में डर बना रहता है. इन दिनों बोर्ड के परिणाम घोषित किए जा रहे हैं और देश भर में छात्र काफी दबाव और चिंता में हैं क्योंकि उन्हें लगता है कि इन परीक्षाओं में उनके अंक उनके करियर को नई ऊंचाईयों तक ले जाएंगे. हालाँकि, एक समानांतर दृष्टिकोण भी है जो अकेले अंक एक छात्र के भविष्य का फैसला नहीं करता है. छात्रों के रिजल्ट के बीच ही इन दिनों एक आईएएस ऑफिसर के बारहवीं कक्षा का मार्क शीट काफी वायरल हो रहा है.
आईएएस अधिकारी नितिन सांगवान ने एक महत्वपूर्ण संदेश देने के लिए सोशल मीडिया पर अपनी 12 वीं बोर्ड की परिणाम शीट साझा की. उन्होंने अपनी 12 वीं बोर्ड की मार्कशीट साझा की और कहा कि उन्होंने रसायन विज्ञान में 24 अंक हासिल किए हैं. उन्होंने अपने बोर्ड के नतीजों को अपनी उपलब्धियों के अनुरूप बताया और कहा, “लेकिन यह तय नहीं किया कि मैं अपने जीवन से क्या चाहता था.” सांगवान ने कहा कि “जीवन बोर्ड परिणामों से बहुत अधिक है.”
In my 12th exams, I got 24 marks in Chemistry – just 1 mark above passing marks. But that didn't decide what I wanted from my life
Don't bog down kids with burden of marks
Life is much more than board results
Let results be an opportunity for introspection & not for criticism pic.twitter.com/wPNoh9A616
— Nitin Sangwan (@nitinsangwan) July 13, 2020
उन्हें केमिस्ट्री में 24 तो फिजिक्स में 33 अंक मिले थे. केमिस्ट्री में उन्हें पास मार्क्स से सिर्फ एक अंक ज्यादा मिले थे. लेकिन इससे वे निराश नहीं हुए. उन्होंने अंक की चिंता किये बिना तैयारी शुरू की. हरियाणा के राज्यस्तरीय इंजीनियरिंग प्रवेश परीक्षा में सफल हुए. आइआइटी मद्रास से बिजनेस एडमिनिस्ट्रेशन में विशेष पढ़ाई की. फिर आइएएस भी बने. उसी तरह बिहार के डीजीपी गुप्तेश्वर पांडेय 11 वीं की परीक्षा में फेल हो गये थे. लेकिन रिजल्ट का उनके इरादों पर असर नहीं पड़ा. सकारात्मक सोच और मेहनत के बल पर वे आइपीएस बने. इसलिए 10वीं या 12वीं की परीक्षा में कम मार्क्स मिलने से सब कुछ खत्म नहीं हो जाता. नाकामी को अवसर में बदलिये क्यों कि जिंदगी परीक्षा के नतीजों से कहीं ज्यादा अहम है.
उनके ट्वीट को 13,7000 रीट्वीट और टिप्पणियां और 52,6000 लाइक्स मिले. ट्वीट करके उन्होंने यह भी कहा, “मैं खराब अंकों का महिमामंडन नहीं कर रहा हूं. मार्क्स प्रणाली मूल्यांकन का एक उद्देश्यपूर्ण तरीका है, लेकिन इसे जुनून नहीं बनना चाहिए … मैंने सामान्य अध्ययन के लिए कभी कोई कोचिंग नहीं ली … जीवन कभी भी भाग्य नहीं है. यह कड़ी मेहनत, लगन और दृढ़ता है … मैं नहीं कहता कि अंक महत्वपूर्ण नहीं हैं. वे बेंचमार्किंग के तरीकों में से एक हैं. लेकिन सफलता का मूल्यांकन करने के लिए कई अन्य तरीके भी हैं.