नई दिल्ली : कांग्रेस के वरिष्ठ नेता गुलाम नबी आजाद ने पार्टी के सभी पदों से इस्तीफा देने के बाद सोनिया गांधी को लिखी चिट्ठी में राहुल गांधी पर बड़ा आरोप लगाया है. पांच पन्ने वाली चिट्ठी में उन्होंने राहुल गांधी की उस मंडली का भी खुलासा किया है, जो अपनी उंगली पर कांग्रेस के नेताओं को नचाते रहते हैं. गुलाम नबी आजाद में अपनी चिट्ठी में यह आरोप भी लगाया है कि सोनिया गांधी तो कांग्रेस में केवल नाममात्र की अध्यक्ष हैं, पार्टी के सभी महत्वपूर्ण फैसले राहुल गांधी द्वारा लिये गए थे या लिये जाते हैं. बदतर स्थिति तो यह है कि राहुल गांधी के सुरक्षा गार्ड और पीए भी कांग्रेस में फैसला लेते हैं. हालांकि, गुलाम नबी आजाद के आरोप पर अपनी प्रतिक्रिया में कांग्रेस ने प्रत्यारोप लगाया है कि आजाद लंबे से समय से कांग्रेस में रहे हैं और वे खुद संजय गांधी और राजीव गांधी की मंडली में शामिल थे.
सोनिया गांधी को लिखे पत्र में गुलाम नबी आजाद ने राहुल गांधी पर मौजूदा परामर्श तंत्र को खत्म करने का आरोप लगाया. इसमें उन्होंने लिखा है कि सभी वरिष्ठ और अनुभवी नेताओं को दरकिनार कर दिया गया और अनुभवहीन चाटुकारों की नई मंडली ने पार्टी के मामलों को चलाना शुरू कर दिया. गुलाम नबी आजाद ने इन्हीं चाटुकारों की मंडली में एक नाम केबी बायजू के नाम का भी खुलासा किया है. केबी बायजू विशेष सुरक्षा समूह में सिक्योरिटी गार्ड हुआ करते थे, लेकिन उन्हें राहुल गांधी की टीम में शामिल कर लिया गया और बाद में उन्हें पार्टी महासचिव बना दिया गया. उन्होंने लिखा है कि कांग्रेस में केबी बायजू का वैसे तो कोई वजूद नहीं था, लेकिन वे राहुल गांधी की सुरक्षा और प्रबंधन का काम देख रहे थे. इसके साथ ही, इस साल की शुरुआत में गोवा विधानसभा चुनाव के दौरान केबी बायजूद का कद पार्टी में बढ़ गया और उन्हें राहुल गांधी की मंडली में शामिल कर लिया गया.
अंग्रेजी के अखबार हिंदुस्तान टाइम्स की एक रिपोर्ट के अनुसार, कांग्रेस के नेताओं ने कहा कि केबी बायजूद राहुल गांधी की सभी यात्राओं का प्रबंधन करने वालों में प्रमुख हैं और वे राजनीति और सत्ता के गलियारे में दखल रखते हैं. कांग्रेस में केबी बायजू ही यह तय करते हैं कि कौन राहुल गांधी के साथ समय बिताएगा और कौन उनके साथ मंच साझा करेगा. यहां तक कि विधानसभा चुनाव से पहले पंजाब कांग्रेस में अंतर्कलह चल रही थी, तो केबी बायजू ही पूर्व मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह का संदेश राहुल गांधी तक पहुंचाते थे. हालांकि, बाद में कैप्टन अमरिंदर को मुख्यमंत्री का पद छोड़ना पड़ा.
राहुल गांधी की टीम के बेहद खास लोगों में से एक केसी वेणुगोपाल भी है. हालांकि, गुलाम नबी आजाद ने अपने पत्र में उनके नाम का जिक्र नहीं किया है. दरअसल, 2017 में जब राहुल गांधी को कांग्रेस की कमान सौंपी गई, तो केसी वेणुगोपाल को कर्नाटक के प्रभारी के तौर पर पदोन्नत किया गया और 2019 में उन्हें महासचिव नियुक्त कर दिया गया. हालांकि, इससे पहले वे यूपीए सरकार में मंत्री थे. कांग्रेस में उनके बढ़ते कद से गुलाम नबी आजाद जैसे वरिष्ठ नेताओं को दिक्कत होने लगी. यहां तक कि जो लोग जी-23 में शामिल नहीं थे, उन नेताओं ने भी सोनिया गांधी को चिट्ठी लिखकर कांग्रेस में सुधार करने की मांग की. हालांकि, राहुल गांधी की मंडली में रणदीप सुरजेवाला और अजय माकन भी अपनी खास धमक रखते हैं.
इतना ही नहीं, गुलाम नबी आजाद ने राहुल गांधी के निजी कर्मचारियों पर भी निशाना साधा है. सोनिया गांधी को लिखी चिट्ठी में राहुल गांधी के पीए और रिसर्च टीम के प्रमुख का भी नाम शामिल है. राहुल गांधी की रिसर्च टीम को आईसीआईसीआई बैंक के पूर्व कार्यकारी अलंकार सवाई संभालते हैं और पिछले कुछ समय के लिए उन्होंने राहुल गांधी के ट्विटर अकाउंट को संभाला. इस दौरान राहुल गांधी ने कई लोगों को अनफॉलो किया, जिसमें उनकी टीम के कई सदस्य भी शामिल थे.
Also Read: गुलाम नबी आजाद ने सोनिया गांधी को लिखी चिट्ठी में फोड़ा ‘बम’, पढ़ें पांच पन्नों वाले पत्र का प्रमुख अंश
आरोप यह भी है कि राहुल गांधी गैर-राजनीतिक लोगों पर पूरी तरह निर्भर हैं. इनमें एक नाम कौशल विद्यार्थी का भी आता है, जो आधिकारिक तौर पर राहुल गांधी के सचिव भी हैं. वे उनके दैनिक कार्यों को भी संभालते हैं. इन्हीं लोगों में दूसरा नाम सचिन राव का भी आता है, जो उनकी पर्सनल टीम का हिस्सा थे. अब वे ट्रेनिंग और प्रकाशन का काम देख रहे हैं. पार्टी के पुराने और दिग्गज नेताओं का आरोप है कि राहुल गांधी पूरी तरह गैर-राजनीतिक लोगों पर निर्भर हैं. इनमें से कुछ नेताओं का दावा है कि इसी कारण का पार्टी का संबंध टूट गया.