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Jayant Chaudhary: कौन हैं जयंत चौधरी, जिन्होंने केंद्रीय मंत्री पद की शपथ ली

Jayant Chaudhary: लोकसभा में अपने पहले कार्यकाल के दौरान जयंत चौधरी कई संसदीय समितियों के सदस्य के रूप में कार्य कर चुके हैं. इसमें वाणिज्य, कृषि और वित्त पर स्थायी समितियां, वित्त पर परामर्शदात्री समिति, नैतिकता पर समिति और सरकारी आश्वासनों पर समिति शामिल है.

Jayant Chaudhary: पूर्व प्रधानमंत्री चौधरी चरण सिंह के पोते और चौधरी अजित सिंह के पोते जयंत चौधरी ने एनडीए की लगातार तीसरी बार बन रही सरकार में केंद्रीय राज्य मंत्री के तौर शपथ ग्रहण कर ली है. हालांकि, जयंत चौधरी खुद 2024 में लोकसभा चुनाव नहीं लड़े हैं, लेकिन बागपत, कैराना, मुजफ्फरनगर, बिजनौर समेत पश्चिमी उत्तर प्रदेश की कई सीटों पर उनकी पार्टी के नेताओं को जीत मिली है.

जयंत चौधरी का आरंभिक जीवन

पूर्व प्रधानमंत्री चौधरी चरण सिंह के पोते और अजित चौधरी के बेटे जयंत चौधरी का जन्म 27 दिसम्बर 1978 को हुआ. वे राष्ट्रीय लोक दल के राष्ट्रीय अध्यक्ष हैं और 15वीं लोकसभा में उत्तर प्रदेश के मथुरा निर्वाचन क्षेत्र से सांसद रह चुके हैं. उन्होंने लंदन स्कूल ऑफ इकोनोमिक्स से स्नातक की. जयंत ने 2009 में मथुरा लोकसभा चुनाव लड़ा और जीत दर्ज की. इस चुनाव में उन्हें 3.75 लाख से ज्यादा वोट मिले. इससे पहले वे मांट विधानसभा सीट से विधायक रह चुके हैं. 2021 में चौधरी अजित सिंह के निधन के बाद से वे राष्ट्रीय लोक दल के अध्यक्ष हैं.

जयंत चौधरी का परिचय

जयंत चौधरी 15वीं लोकसभा में सांसद रहे. उत्तर प्रदेश के मथुरा से उन्होंने 2009 का आम चुनाव लड़ा था. 27 दिसंबर 1978 को जन्मे जयंत चौधरी ने दिल्ली विश्वविद्यालय के श्री वेंकटेश्वर कॉलेज से स्नातक की पढ़ाई की और 2002 में लंदन स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स एंड पॉलिटिकल साइंस से अकाउंटिंग और फाइनेंस में एमएससी की डिग्री हासिल की. वे 1894 के भूमि अधिग्रहण कानून और उत्तर प्रदेश राज्य में उपजाऊ भूमि के बड़े पैमाने पर अधिग्रहण के मुखर आलोचक रहे हैं. वे राज्य में भूमि के अनुचित अधिग्रहण और विशेष रूप से नोएडा, ग्रेटर नोएडा, मथुरा, हाथरस, आगरा और अलीगढ़ जिलों में हुए आंदोलनों आंदोलनों में अहम भूमिका निभाई.

2010 के किसान आंदोलन में जयंत की भूमिका

26 अगस्त 2010 को हजारों किसान नई दिल्ली के जंतर-मंतर पर विरोध प्रदर्शन करने आए, जहां जयंत चौधरी ने केंद्र सरकार से हस्तक्षेप करने और संसद में एक नया भूमि अधिग्रहण कानून पारित करने के लिए कदम उठाने का जोरदार अपील की. 5 अगस्त 2011 को जयंत ने लोकसभा में भूमि अधिग्रहण पर एक निजी सदस्य विधेयक पेश किया. विधेयक के मुख्य सिद्धांतों में निजी लाभ के लिए सरकार के अधिग्रहण को सीमित करने और भूमि अधिग्रहण में अत्यावश्यकता खंड का उपयोग करने के उपाय शामिल थे. उन्होंने मई 2011 में ब्रुसेल्स में यूरोपीय संसद में जलवायु संसद संगठन द्वारा आयोजित एक सम्मेलन में भाग लिया और सरकार से भारत के लिए 2020 तक कुल बिजली आपूर्ति में सौर, पवन, बायोमास और अन्य अक्षय ऊर्जा प्रौद्योगिकियों का 15 फीसदी हिस्सा हासिल करने का लक्ष्य निर्धारित करने का आह्वान किया.

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जयंत चौधरी ने संभाली है ये जिम्मेदारियां

लोकसभा में अपने पहले कार्यकाल के दौरान, जयंत चौधरी कई संसदीय समितियों के सदस्य के रूप में कार्य कर चुके हैं. इसमें वाणिज्य, कृषि और वित्त पर स्थायी समितियां, वित्त पर परामर्शदात्री समिति, नैतिकता पर समिति और सरकारी आश्वासनों पर समिति शामिल है. वे भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (आईसीएआर) के जनरल बोर्ड के सदस्य रह चुके हैं. जयंत चौधरी फिक्की इंडो-ब्रिटिश फोरम ऑफ पार्लियामेंटेरियन्स के सह-अध्यक्ष और इंडो-वेनेजुएला संसदीय मैत्री समूह के सदस्य भी रह चुके हैं.

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