जानें कौन हैं शेख हसीना? मां-पिता और 3 भाईयों की हत्या के बाद भारत के इस जगह पर ली थीं शरण
हसीना की पार्टी ने 300 सीट वाली संसद में 223 सीट हासिल कीं. एक उम्मीदवार के निधन के कारण 299 सीट पर चुनाव हुये थे. इस सीट पर मतदान बाद में होगा.
शेख हसीना रिकॉर्ड पांचवीं बार बांग्लादेश की प्रधानमंत्री बनी हैं. शेख हसीना ने लगातार चौथी बार आम चुनाव में जीत हासिल की. छिटपुट हिंसा और मुख्य विपक्षी दल बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी (बीएनपी) तथा उसके सहयोगियों के चुनाव के बहिष्कार करने के कारण हसीना की पार्टी अवामी लीग के लिए जीत का रास्ता आसान हो गया.
शेख हसीना ने भारत को अच्छा दोस्त बताया
पांचवीं बार प्रधानमंत्री बनने के बाद शेख हसीना ने कहा, भारत बांग्लादेश का बहुत अच्छा दोस्त है. उन्होंने 1971 और 1975 में हमारा समर्थन किया है. हम भारत को अपना पड़ोसी मानते हैं. मैं वास्तव में सराहना करती हूं कि भारत के साथ हमारे अद्भुत रिश्ते हैं. अगले 5 वर्षों में हमारा ध्यान आर्थिक प्रगति और हमने जो भी काम शुरू किया है उसे पूरा करना होगा. हमने अपना घोषणापत्र पहले ही घोषित कर दिया है और जब भी हम अपना बजट बनाते हैं और अपने वादों को पूरा करने का प्रयास करते हैं तो हम अपने चुनावी घोषणापत्र का पालन करते हैं. जनता और देश का विकास ही हमारा मुख्य उद्देश्य है.
#WATCH | Bangladesh Prime Minister Sheikh Hasina addresses the media at her residence Ganabhaban in Dhaka, Bangladesh.
She was elected as the Prime Minister for the fifth time in the general elections conducted yesterday. pic.twitter.com/RELohNIkAa
— ANI (@ANI) January 8, 2024
2041 तक देश को विकसित करना हमारा लक्ष्य : हसीना
चुनाव जीतने के बाद अपने पहले संबोधन में शेख हसीना ने कहा, जो लोग आतंकवादी संगठनों से संबंध रखते हैं या अवैध गतिविधियों में लगे हुए हैं, चुनाव से डरते हैं और चुनाव लड़ने से बचते हैं, वे लोगों की जीत में योगदान देते हैं, मेरी नहीं. स्वभाव से हमारे लोग बहुत होशियार हैं और जैसा कि मैंने बताया कि हम अपनी युवा पीढ़ी को भविष्य के लिए प्रशिक्षित करना चाहते हैं. 2041 तक देश को विकसित करना हमारा लक्ष्य है. स्मार्ट जनसंख्या, स्मार्ट सरकार, स्मार्ट अर्थव्यवस्था और स्मार्ट समाज हमारा मुख्य उद्देश्य है.
हसीना की पार्टी ने 300 सीट वाली संसद में 223 सीट हासिल कीं
मीडिया की खबरों के अनुसार, हसीना की पार्टी ने 300 सीट वाली संसद में 223 सीट हासिल कीं. एक उम्मीदवार के निधन के कारण 299 सीट पर चुनाव हुये थे. इस सीट पर मतदान बाद में होगा. संसद में मुख्य विपक्षी दल जातीय पार्टी को 11, बांग्लादेश कल्याण पार्टी को एक और स्वतंत्र उम्मीदवारों ने 62 सीट पर जीत दर्ज की. जातीय समाजतांत्रिक दल और ‘वर्कर्स पार्टी ऑफ बांग्लादेश’ ने एक-एक सीट जीतीं.
हसीना ने गोपालगंज-तृतीय सीट पर भारी मतों के अंतर से जीत हासिल की
अवामी लीग पार्टी की प्रमुख हसीना (76) ने गोपालगंज-तृतीय सीट पर भारी मतों के अंतर से जीत हासिल की. संसद सदस्य के रूप में यह उनका आठवां कार्यकाल है. हसीना 2009 से सत्ता पर काबिज हैं और एकतरफा चुनाव में लगातार चौथी बार जीत हासिल की है. अहम बात यह है कि 1991 में लोकतंत्र की बहाली के बाद से ऐसा दूसरी बार है जब सबसे कम मतदान हुआ. फरवरी 1996 के विवादास्पद चुनावों में 26.5 प्रतिशत मतदान हुआ था जो कि बांग्लादेश के इतिहास में सबसे कम है.
कौन हैं शेख हसीना
शेख हसीना का जन्म 28 सितंबर 1947 में हुआ था. उनके पिता बांग्लादेश के संस्थापक शेख मुजीबुर रहमान थे. हसीना अपने मा-पिता की सबसे बड़ी बेटी हैं. उनका जीवन ढाका में गुजरा. उन्होंने छात्र राजनीति से सियासत में कदम रखीं. आगे चलकर उन्होंने अपने पिता की पार्टी आवामी लीग के स्टूडेंट विंग को संभाला.
हसीना के मां-पिता और 3 भाईयों की कर दी गई थी हत्या
शेख हसीना के लिए सबसे खराब दौर उस समय आया था, जब उनके पिता-मां और 3 भाईयों की हत्या कर दी गई थी. दरअसल 1975 में सेना ने बगावत कर दी थी और हसीना के परिवार के खिलाफ मोर्चा खोल दिया था. हथियारबंद लड़ाकों ने हसीना के पिता-मां और 3 भाईयों की हत्या कर दी. हालांकि उस हमले में हसीना उनके पति वाजिद मियां और छोटी बहन की जान बच गई.
भारत ने शेख हसीना को दिया शरण
जब माता-पिता और भाईयों की हत्या कर दी गई, तो शेख हसीना ने कुछ समय जर्मनी में बिताया. उसके बाद भारत की पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने हसीना को भारत में शरण दिया. हसीना अपनी बहन के साथ दिल्ली आ गईं और करीब 6 साल तक भारत में अपना समय गुजारीं.
1981 में बांग्लादेश लौटीं शेख हसीना
शेख हसीना लंबे समय तक निर्वासित जीवन गुजारने के बाद 1981 में बांग्लादेश लौटीं. जब हसीना बांग्लादेश लौटीं तो उनका भव्य स्वागत किया गया. एयरपोर्ट पर उस समय हसीना के स्वागत में हजारों की संख्या में लोग जुट गए थे. बांग्लादेश लौटने के बाद हसीना ने अपनी पिता की पार्टी आवामी लीग को आगे बढ़ाया. 1986 में हसीना ने पहली बार चुनाव लड़ा था. 1996 में हसीना पहली बार देश की प्रधानमंत्री बनीं.