देश के चार राज्यों में विधानसभा चुनाव के परिणाम रविवार को आ रहे हैं. तीन राज्यों पर भारतीय जनता पार्टी (BJP) प्रचंड बहुमत की ओर बढ़ रही है. भाजपा छत्तीसगढ़ और राजस्थान में कांग्रेस को सत्ता से बेदखल करने वाली है. जबकि मध्य प्रदेश में अपनी सरकार बचाने में कामयाबी की ओर बढ़ रही है. कांग्रेस को केवल एक राज्य तेलंगाना में सफलता मिलती दिख रही है. राज्य में 66 से अधिक सीटों पर बढ़त बनाते हुए, कांग्रेस तेलंगाना विधानसभा चुनाव 2023 में मुख्यमंत्री के चंद्रशेखर राव की भारत राष्ट्र समिति (बीआरएस) की सरकार को हटाकर ऐतिहासिक जीत की ओर बढ़ रही है. 2014 में राज्य की स्थापना के बाद से यह पहली बार है कि बीआरएस तेलंगाना में चुनाव हारने की राह पर है. के चंद्रशेखर राव 2014 के बाद पहली बार सीएम पद से हटेंगे, कांग्रेस नेता रेवंत रेड्डी के मुख्यमंत्री बनने की उम्मीद है.
कांग्रेस की जीत में कनुगोलू का बड़ा रोल
तेलंगाना में कांग्रेस की इस जीत के पीछे चुनाव रणनीतिकार सुनील कानुगोलू की भूमिका महत्वपूर्ण है. उनकी बदौलत ही कांग्रेस ने इस साल की शुरुआत में कर्नाटक चुनावों में प्रचंड बहुमत हासिल किया है. इंडियन एक्सप्रेस की एक रिपोर्ट के मुताबिक कनुगोलू को कांग्रेस की ओर से अपनी रणनीतियों को लागू करने और संचालन करने के लिए तेलंगाना में खुली छूट दी गई थी. राजस्थान और मध्य प्रदेश में चुनाव रणनीतिकार को यह स्वतंत्रता नहीं दी गई, जहां अशोक गहलोत और कमल नाथ जैसे नेता कथित तौर पर उनके तरीकों से सहमत नहीं थे.
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कौन हैं चुनावी रणनीतिकार सुनील कनुगोलू
कर्नाटक के मूल निवासी सुनील कानुगोलू भारत के सबसे लोकप्रिय चुनाव रणनीतिकारों में से एक हैं. उन्हें मई 2023 में कर्नाटक में कांग्रेस पार्टी की जीत का पूरा श्रेय दिया जाता है. तेलंगाना में कांग्रेस के चुनाव अभियान की योजना बनाने के पीछे कानुगोलू ही थे, जिन्होंने पार्टी को राज्य में प्रचंड बहुमत से जीत दिलाई. दो साल पहले कनुगोलू को केसीआर ने एक बैठक के लिए हैदराबाद में अपने फार्महाउस पर आमंत्रित किया था. तेलंगाना के मुख्यमंत्री ने उन्हें चुनावों के लिए चुनावी रणनीतिकार बनाने की पेशकश की. लेकिन कनुगोलू ने इस प्रस्ताव को ठुकराकर कांग्रेस का साथ दिया.
राहुल गांधी के करीबी हैं कनुगोलू
मीडिया हलकों में ऐसी चर्चा है कि कनुगोलू वरिष्ठ कांग्रेस नेता राहुल गांधी के भी सलाहकार हैं और उन्हें भारत जोड़ो यात्रा के एक बड़े हिस्से की योजना बनाने का काम भी सौंपा गया था. कांग्रेस से पहले, चुनावी रणनीतिकार ने अन्नाद्रमुक, भाजपा और द्रमुक के साथ काम किया था. प्रशांत किशोर ने जब कांग्रेस के चुनावी रणनीतिकार बनने प्रस्ताव को ठुकरा दिया था तब कांग्रेस ने कनुगोलू से संपर्क किया. उन्हें टास्क फोर्स 2024 के सदस्य के रूप में नियुक्त किया गया था.
कभी प्रशांत किशोर की टीम का थे हिस्सा
अपने शुरुआती दिनों में सुनील कनुगोलू 2014 के लोकसभा चुनावों में बीजेपी के लिए चुनावी रणनीति बनाने वाली प्रशांत किशोर की टीम का हिस्सा थे. उस समय नरेंद्र मोदी पहली बार भारत के प्रधानमंत्री बने थे. बाद में प्रशांत किशोर से अलग होकर उन्होंने अपनी एक टीम बनाई और कई पार्टियों के लिए रणनीति बनाने का काम किया. वैसे देखा जाए तो कोई भी रणनीतिकार सभी चुनावों में अपेक्षित रिजल्ट नहीं ला पाते हैं.
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