कोरोना के ओमिक्रॉन और डेल्टा वेरिएंट में सबसे अधिक खतरनाक कौन? जानिए क्या कहते हैं दुनिया भर के एक्सपर्ट

मेदांता के चेयरमैन डॉ नरेश त्रेहन ने कहा कि ओमिक्रॉन वेरिएंट में संक्रमण करने की क्षमता अधिक है, जबकि जो बाइडन के मुख्य चिकित्सा सलाहकार डॉ डॉ एंथनी फाउची कहते हैं कि ओमिक्रॉन वेरिएंट कोरोना के डेल्टा वेरिएंट से कम खतरनाक है.

By Prabhat Khabar Digital Desk | December 6, 2021 1:13 PM
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नई दिल्ली : कोरोना के नए वेरिएंट ओमिक्रॉन के बढ़ते मामलों की वजह से दुनियाभर में खलबली मची हुई है. भारत में भी अब तक इसके 21 मामले सामने आ चुके हैं, जिससे लोगों को खौफ़ का माहौल बना है. इस बीच, दुनिया भर के वैज्ञानिकों और चिकित्सा विशेषज्ञों में इस बात को लेकर बहस छिड़ी हुई है कि कोरोना के दो वेरिएंट्स डेल्टा और ओमिक्रोन में सबसे अधिक खतरनाक़ कौन है? बता दें कि कोरोना के डेल्टा वेरिएंट्स की वजह से ही पूरी दुनिया को महामारी की दूसरी लहर का सामना करना पड़ा, जबकि इसके अल्फा और वुहान वेरिएंट्स की वजह से कोरोना महामारी की शुरुआत हुई थी.

डेल्टा के मुकाबले ओमिक्रॉन कम खतरनाक : डॉ फाउची

अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडन के मुख्य चिकित्सा सलाहकार डॉ डॉ एंथनी फाउची ने अपने एक दावे में कहा है कि ओमिक्रॉन वेरिएंट कोरोना के डेल्टा वेरिएंट से कम खतरनाक है. हालांकि, उन्होंने यह भी कहा कि ओमिक्रॉन की गंभीरता का निष्कर्ष निकाले से पहले वैज्ञानिकों को इसके बारे में और सूचना जुटाने की जरूरत है.

अल्फा और डेल्टा के मुकाबले ओमिक्रॉन ज्यादा खतरनाक : डॉ त्रेहन

मेदांता के चेयरमैन डॉ नरेश त्रेहन ने कहा कि ओमिक्रॉन वेरिएंट में संक्रमण करने की क्षमता अधिक है. यह कोरोना के पहले के दो वेरिएंट्स अल्फा और डेल्टा से अधिक खतरनाक है. उन्होंने कहा कि जिन लोगों ने वैक्सीन लग चुकी है, उन पर इसका खतरा कम और वे अस्पताल में भर्ती नहीं हो रहे हैं. उन पर इसका असर कम दिखाई दे रहा है, लेकिन जिन लोगों ने वैक्सीन नहीं लगाई है, वे इसकी गंभीरता के शिकार हो रहे हैं. पहला काम यह है कि लोग जल्द से जल्द वैक्सीन लगवाएं. जो लोग स्वस्थ होंगे, उन पर इसका प्रभाव कम पड़ेगा. वहीं, क्रॉनिक बीमारी की वजह से इम्युनिटी कम है, उन पर इसका खतरा अधिक है. खासकर बढ़ती उम्र में इम्युनिटी कम हो जाती है. पांच से छह साल के उम्र के बच्चों पर इसका असर दिखाई दे रहा है, लेकिन इसके अभी पुष्ट सबूत सामने नहीं आए हैं.

दक्षिण अफ्रीका में ओमिक्रॉन का पहला मामला आया सामने

बता दें कि ओमिक्रोन वेरिएंट का पहला मामला दुनिया में सबसे पहले दक्षिण अफ्रीका में सामने आया था. दक्षिण अफ्रीका की खबरों में कहा गया कि लोगों के अस्पताल में भर्ती होने की दर तेजी से नहीं बढ़ी है. फाउची ने कहा कि बाइडन प्रशासन कई अफ्रीकी देशों से यहां आने वाले अन्य देशों के नागरिकों के प्रवेश पर लगाए गए यात्रा प्रतिबंध हटाने पर विचार कर रहा है. क्षेत्र में ओमिक्रॉन वेरिएंट के मामले सामने आने के बाद ये प्रतिबंध लागू किए गए थे, लेकिन संयुक्त राष्ट्र के महासचिव एंतोनियो गुतारेस ने इस प्रकार के कदमों की निंदा की है.

कोरोना को मात देने वाले दोबारा हो सकते हैं संक्रमित

सिंगापुर के स्वास्थ्य मंत्रालय ने कहा है कि विश्व स्तर पर शुरुआती क्लीनिकल टेस्ट बताते हैं कि कोरो का ओमिक्रॉन स्ट्रेन इसके अन्य वेरिएंट्स डेल्टा और अल्फा के मुकाबले कहीं अधिक संक्रामक हो सकता है और इससे दोबारा संक्रमण का जोखिम भी अधिक हो सकता है. ‘चैनल न्यूज एशिया’ ने मंत्रालय के हवाले से अपनी खबर में कहा, ‘इसका अर्थ यह है कि कोरोना से उबर चुके लोगों के ओमिक्रॉन से दोबारा पीड़ित होने का जोखिम अधिक है.

ओमिक्रॉन पर भी काम करेगा कोरोना रोधी टीका

चैनल ने मंत्रालय के हवाले से कहा कि वायरस के नए वेरिएंट के खिलाफ कोरोना के टीके प्रभावी हैं या नहीं इस बारे में अध्ययन चल रहे हैं, लेकिन दुनियाभर के वैज्ञानिक ऐसा मान रहे हैं कि कोरोना रोधी वर्तमान टीके ओमिक्रॉन पर भी काम करेंगे और लोगों को गंभीर रूप से बीमार होने से बचाएंगे. मंत्रालय ने लोगों से टीकाकरण करवाने या बूस्टर डोज लगवाने का अनुरोध करते हुए कहा कि वैज्ञानिक इस बात पर दृढ़ता से सहमत हैं कि ऐसा करने से वायरस के किसी भी वर्तमान स्वरूप या भविष्य के किसी भी अन्य स्वरूप से रक्षा हो सकेगी.

टीकों को अपडेट करने की है जरूरत?

टीकों को अपडेट किए जाने की जरूरत क्यों पड़ेगी? यह एक सवाल है कि क्या एक वायरस इतना बदल गया है कि मूल टीके द्वारा बनाई गई एंटीबॉडी अब नए वेरिएंट को पहचानने और रोकने में सक्षम नहीं हैं? कोरोना वायरस स्पाइक प्रोटीन का उपयोग मानव कोशिकाओं की सतह पर एसीई-2 रिसेप्टर्स से जुड़ने और उन्हें संक्रमित करने के लिए करते हैं. सभी एमआरएनए कोविड-19 टीके मैसेंजर आरएनए के रूप में निर्देश देकर काम करते हैं, जो कोशिकाओं को स्पाइक प्रोटीन का बिना नुकसान पहुंचाने वाला संस्करण बनाने के लिए निर्देशित करते हैं. यह स्पाइक प्रोटीन तब मानव शरीर को एंटीबॉडी बनाने के लिए प्रेरित करता है.

स्पाइक प्रोटीन को नए तरीके से परिवर्तित करता है ओमिक्रॉन

यदि कोई व्यक्ति कभी भी कोरोना वायरस के संपर्क में आता है, तो ये एंटीबॉडी कोरोना वायरस के स्पाइक प्रोटीन से जुड़ जाते हैं और इस प्रकार उस व्यक्ति की कोशिकाओं को संक्रमित करने की उसकी क्षमता में बाधा डालते हैं. ओमिक्रॉन वेरिएंट में इसके स्पाइक प्रोटीन में परिवर्तन का एक नया पैटर्न होता है. ये परिवर्तन वर्तमान टीकों से मिली एंटीबॉडी के स्पाइक प्रोटीन को बांधने की कुछ एंटीबॉडीज की क्षमता को बाधित कर सकते हैं, लेकिन शायद सभी की नहीं. यदि ऐसा होता है, तो टीके लोगों को ओमिक्रॉन से संक्रमित होने और उसका प्रसार करने से रोकने में कम प्रभावी हो सकते हैं.

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ओमिक्रॉन का लक्षण

ओमिक्रॉन के बारे में कहा जा रहा है कि ये अब तक सभी वेरिएंट में सबसे ज्यादा संक्रामक है. इसके अब तक जितने भी मरीज मिले हैं, उनमें कोरोना के आम लक्षण नहीं पाए गए हैं. किसी भी मरीज में फ्लू जैसी समस्या नहीं देखी गई है, जबकि डेल्टा में सबसे प्रमुख लक्षण यही था. जिस डॉक्टर ने पहली बार ओमिक्रॉन के बारे में पूरी दुनिया को बताया था, उनके अनुसार इस वेरिएंट के मरीजों में कोविड के क्लासिक लक्षण नहीं थे. दक्षिण अफीकी मेडिकल एसोसिएशन की अध्यक्ष डॉ एंजेलिक कोएत्जी के अनुसार ओमिक्रॉन के तीन प्रमुख लक्षण सिर दर्द, बहुत ज्यादा थकान और बदन दर्द हैं. सबसे बड़ी बात तो यह है कि ओमिक्रॉन के संक्रमितों को न तो तेज बुखार हो रहा है और न ही खाने का स्वाद और सुगंध जा रहा है.

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