कौन हैं सनातन धर्म पर विवादित टिप्पणी करने वाले उदयनिधि स्टालिन? दादा करुणानिधि भी दे चुके हैं आपत्तिजनक बयान
डीएमके नेता उदयनिधि स्टालिन करुणानिधि के पोते हैं. करुणानिधि के बारे में यह कहा जाता है कि वे नास्तिक थे और उन्होंने किसी धर्म को नहीं माना. वे हमेशा सभी धर्मों का सम्मान करते थे, लेकिन कई बार करुणानिधि ने हिंदुओं पर विवादित टिप्पणी की थी, जिसकी वजह से वे विवादों में रहे थे.
तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एम के स्टालिन के बेटे उदयनिधि स्टालिन ने सनातन धर्म पर विवादित टिप्पणी की है, जिसके बाद से बीजेपी उनपर हमलावर हो गयी है, साथ ही उदयनिधि स्टालिन को लेकर राहुल गांधी पर भी जमकर हमला बोला है. गौरतलब है कि उदयनिधि स्टालिन ने सनातन उन्मूलन सम्मेलन में कहा कि सनातन धर्म समानता और सामाजिक न्याय के खिलाफ है, अत: इसे खत्म कर देना चाहिए. उन्होंने सनातन धर्म पर और कई विवादित टिप्पणियां कीं, जिसके बाद बीजेपी ने उनके बयान पर तीखी प्रतिक्रिया दी और विपक्षी गठबंधन के नेताओं से इसपर अपना रुख स्पष्ट करने को कहा. कांग्रेस ने उदयनिधि के बयान से किनारा कर लिया है. आइए जानते हैं कौन है उदयनिधि स्टालिन–
एमके स्टालिन के बेटे हैं उदयनिधि
उदयनिधि स्टालिन तमिलनाडु के युवा कल्याण मंत्री हैं. वे तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एमके स्टालिन के बेटे भी हैं. इनका जन्म 27 नवंबर 1977 को हुआ है. वे 2022 से एमके स्टालिन के मंत्रिमंडल में शामिल हैं. उन्होंने 2021 में चेपॉक-थिरुवल्लिकेनी विधानसभा क्षेत्र से चुनाव जीता था. उदयनिधि स्टालिन ने अपने प्रोडक्शन स्टूडियो रेड जाइंट मूवीज के साथ एक निर्माता और वितरक के रूप में फिल्म उद्योग में प्रवेश किया था. उन्होंने कुरुवी (2008), आधवन (2009), मनमदन अंबु (2010) और अरिवु (2011) जैसी फिल्में बनाईं. 2012 में उन्होंने ओरु कल ओरु कन्नडी (2012)मूवी में एक अभिनेता के रूप में अपनी शुरुआत की और तब से उन्होंने अपनी फिल्मों का निर्माण और अभिनय जारी रखा है.
करुणानिधि भी कर चुके हैं हिंदू धर्म पर विवादित टिप्पणी
उदयनिधि स्टालिन तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एमके स्टालिन के दो संतानों में से एक हैं. उदयनिधि के अलावा स्टालिन की एक बेटी भी है. उन्होंने डॉन बॉस्को स्कूल चेन्नई सेपढ़ाई की और चेन्नई के लोयोला कॉलेज से वाणिज्य में डिग्री ली है. डीएमके की स्थापना 1949 में पेरियार से मतभेद के बाद हुई थी. इस पार्टी का उद्देश्य हिंदू धर्म में व्याप्त असमानता का विरोध कर एक समानता आधारित समाज का निर्माण करना है. डीएमके नेता उदयनिधि स्टालिन करुणानिधि के पोते हैं. करुणानिधि के बारे में यह कहा जाता है कि वे नास्तिक थे और उन्होंने किसी धर्म को नहीं माना. वे हमेशा सभी धर्मों का सम्मान करते थे, लेकिन कई बार करुणानिधि ने हिंदुओं पर विवादित टिप्पणी की थी, जिसकी वजह से वे विवादों में रहे थे. उन्होंने एक बार यह कहा था कि हिंदू धर्म कुछ नहीं है. उन्होंने भगवान राम के अस्तित्व पर भी सवाल उठाये थे और कहा कि उनके होने का कोई एेतिहासिक प्रमाण नहीं है.
स्टालिन ने किया उदयनिधि का बचाव
अब जबकि उनके पोते उदयनिधि स्टालिन ने हिंदू धर्म के खिलाफ बयान दिया है तो उनके पिता स्टालिन ने उनका बचाव करते हुए पॉडकास्ट श्रंखला ‘स्पीकिंग फॉर इंडिया’ के अपने पहले संबोधन में कहा कि केंद्र सरकार अपनी कठोर गतिविधियों के माध्यम से पूरे देश को तबाह करने का प्रयास कर रही है. उन्होंने अपने भाषण में कहा, सामाजिक न्याय, धर्मनिरपेक्ष राजनीति, समाजवाद, समानता, सामाजिक सद्भाव, राज्यों की स्वायत्तता, संघवाद, विविधता में एकता जैसे पहलू जिस भारत में अपनी पूरी महिमा के साथ पनपते हैं वही असली भारत है. एक अद्वितीय भारत. उन्होंने कहा, मौजूदा केंद्र सरकार, विरोधी दलों वाले राज्य सरकारों के खिलाफ सिर्फ प्रतिशोध की भावना से काम कर रही है. वे सिर्फ और सिर्फ राज्य सरकारों की संप्रभुता को नष्ट करना चाहते हैं, उन राज्य सरकारों को जो जनता के कल्याण के लिए सीधे जिम्मेदार हैं.
रविशंकर ने किया राहुल गांधी पर हमला
वहीं उदयनिधि के सनातन धर्म पर दिये गये बयान के बाद हिंदू संगठन के नेता और बीजेपी के नेता हमलावर हो गये हैं. केंद्रीय मंत्री रविशंकर ने विपक्षी गठबंधन पर प्रहार करते हुए कहा कि राहुल गांधी चुप क्यों हैं? सनातन धर्म के इतने बड़े अपमान पर वे कुछ बोल क्यों नहीं रहे हैं. गृहमंत्री अमित शाह ने भी उदयनिधि के बयान का विरोध किया और कहा कि सनातन धर्म का घोर अपमान किया जा रहा है. रविशंक़र प्रसाद के बयान के बाद कर्नाटक के मंत्री प्रियांक ख़रगे ने कहा कि कोई भी धर्म जो समानता को बढ़ावा नहीं देता है या यह सुनिश्चित नहीं करता है कि आपके पास मानव होने की गरिमा है तो, वो धर्म नहीं है. वहीं महाराष्ट्र के मंत्री मंगल प्रभात ने सोशल मीडिया में लिखा कि उदयनिधि का बयान निंदनीय है और उन्हें माफी मांगनी चाहिए. उन्होंने यह मांग भी की कि जब तक वे माफी नहीं मांगते हैं उनको महाराष्ट्र में प्रवेश नहीं दिया जाए.
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