भारत बायोटेक के कोवैक्सीन (COVAXIN) को इसी सप्ताह विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) माान्यता दे सकता है. सूत्रों के हवाले से एएनआई ने सोमवार को यह खबर दी है. कोवैक्सीन भारत में विकसित पहला कोरोना वैक्सीन है. विश्व स्वास्थ्य संगठन ने अब तक इस वैक्सीन को मान्यता नहीं दी है.
कोवैक्सीन (COVAXIN) को जनवरी, 2021 में भारत में इमरजेंसी इस्तेमाल की अनुमति दी गयी थी. भारत के पहले स्वदेशी वैक्सीन को हैदराबाद की कंपनी भारत बायोटेक ने विकसित किया है. कंपनी अब तक वैक्सीन की 7.5 करोड़ डोज की सप्लाई कर चुका है. डब्ल्यूएचओ की मान्यता मिलने के बाद भारत बायोटेक अन्य देशों में अपना वैक्सीन एक्सपोर्ट कर पायेगा.
World Health Organisation (WHO) nod for Bharat Biotech's #COVID19 vaccine, Covaxin is expected this week: Sources pic.twitter.com/IYE9qkfHtb
— ANI (@ANI) September 13, 2021
हाल ही में केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री मनसुख मंडाविया ने कहा था कि भारत बायोटेक को अंकलेश्वर में भी कोवैक्सीन (COVAXIN) के उत्पादन की अनुमति दे दी गयी है. भारत सरकार की तरह यदि डब्ल्यूएचओ भी कोवैक्सीन के इमरजेंसी इस्तेमाल की अनुमति दे देता है, तो न केवल भारत बायोटेक को इसका एक्सपोर्ट करने की अनुमति मिल जायेगी बल्कि विदेश यात्रा करने वालों को भी आसानी होगी.
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भारत में अभी तीन वैक्सीन लोगों को लगायी जा रही है, जिसमें कोवैक्सीन (COVAXIN) भी शामिल है. भारत के औषधि नियंत्रक ने आपात स्थिति में जॉनसन एंड जॉनसन एवं मॉडर्ना के वैक्सीन के इस्तेमाल को भी मंजूरी दे दी है. दूसरी तरफ, भारत बायोटेक अपने वैश्विक सहयोगियों के साथ मिलकर बड़े पैमाने पर कोरोना वैक्सीन बनाने पर विचार कर रहा है.
भारत बायोटेक की मैनेजिंग डायरेक्टर कृष्णा एला ने एक बयान जारी कर कहा कि भारत बायोटेक का एकमात्र लक्ष्य भारत समेत दुनिया के अधिक से अधिक लोगों को वैक्सीन की डोज उपलब्ध कराना है, ताकि दुनिया कोरोना महामारी के खतरे से सुरक्षित हो जाये. सुचित्रा एला ने कहा कि कोवैक्सीन (COVAXIN) कोरोना (Coronavirus) के डेल्टा वैरिएंट (Delta Variant) से लड़ने में 65 फीसदी तक कारगर है.
Posted By: Mithilesh Jha
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