WHO, booster dose: दुनिया कोरोना के सबसे संक्रामक वैरिएंट ओमिक्रॉन से जूझ रही है. काफी तेजी से फैलने वाला यह वैरिएंट लोगों को आसानी से अपनी चपेट में ले रहा है. ऐसे में वैक्सीनेशन अभियान में भी तेजी आई गई है. हालांकि विशेषज्ञ यह कह चुके हैं कि वैक्सीन कोरोना संक्रमण से नहीं बचाता बल्कि वायरस के खिलाफ प्रतिरोधक क्षमता का विकास करता है. इस बीच बूस्टर डोज का भी इस्तेमाल कई देशों में शुरू हो गया है, ऐसा इसलिए क्योंकि वैक्सीन की दोनों डोज ले चुके लोगों में समय के साथ प्रतिरोधक क्षमता में कमी की बात कही जा रही है. भारत में फिलहाल फ्रंट लाइन वर्कर्स, हेल्थ वर्कर्स और बुजुर्गों को डॉक्टरी सलाह से बूस्टर डोज की अनुमति मिली है. इस बीच बूस्टर डोज किसे लगाना चाहिए यह भी एक बड़ा सवाल बना हुआ है. इसका जवाब WHO ने दिया है.
दरअसल WHO के मुख्य वैज्ञानिकों ने कहा कि है कि कोरोनोवायरस के तेजी से फैल रहे ओमिक्रॉन वैरिएंट के खिलाफ वैक्सीन की प्रतिरक्षा में कुछ कमी आई है या नहीं इसके प्रमाण के लिए अभी और शोध किया जाना है. जिसके बात यह पता लग पाएगा कि बूस्टर डोज की आवश्यकता किसे है. विश्व स्वास्थ्य संगठन की प्रमुख वैज्ञानिक सौम्या स्वामीनाथन ने बुधवार यानी आज कहा कि “इस बात का कोई सबूत नहीं है” कि स्वस्थ बच्चों और किशोरों को कोरोना वायरस के खिलाफ बूस्टर डोज की जरूरत है. स्वामीनाथन ने संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए कहा कि ओमिक्रॉन के खिलाफ वैक्सीन की प्रतिरोधक क्षमता में कुछ कमी है इसे पता लगाने के लिए अभी और अधिक रिसर्च की जरूरत है जिससे यह पता चले कि बूस्टर खुराक की जरूरत किसे है.
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डब्ल्यूएचओ का यह बयान उन तमाम देशों में चलाए जा रहे वैक्सीनेशन अभियान को चुनौती देता है जो कोरोना वायरस के खिलाफ बूस्टर डोज का इस्तेमाल कर रहे हैं. कई देशों में प्राथमिक वैक्सीन के प्रतिरोधक क्षमता में कमी के बाद के बूस्टर डोज के लिए अलग वैक्सीनेशन कार्यक्रम की शुरुआत की गई है. संयुक्त राज्य अमेरिका में 12 से 15 साल तक के बच्चों को बूस्टर डोज की अनुमति मिल गई है. यहां फाइजर और बायोएनटेक के वैक्सीन की तीसरी खुराक के उपयोग को मंजूरी मिली है. इस्राइल ऐसा देश है जहां बूस्टर के बाद वैक्सीन की चौथी डोज भी दी जा रही है.