भारत के वांछित आतंकवादी और खालिस्तान कमांडो फोर्स के मुखिया परमजीत सिंह पंजवार की मौत की खबर आ रही है. जानकारी के अनुसार शनिवार की सुबह पाकिस्तान के लाहौर में अज्ञात हमलावरों ने गोली मार कर हत्या कर दी. इस वारदात के बाद पाकिस्तान आतंकवादियों को पनाह देने के मामले में एक बार फिर बेनकाब हो गया है. बताया जा रहा है कि हमलावरों ने उस सोसाइटी में घुस कर उसे गोलियां मारीं, जहां वह रह रहा था. भारत को आतंकवादियों के इस सरगना की काफी समय से तलाश थी.
खालिस्तान कमांडो फोर्स के मुखिया परमजीत सिंह ने भारत से भाग कर पिछले 33 सालों से पाकिस्तान को अपना ठिकाना बना रखा था. उसने अपना नाम मलिक सरदार कर लिया था. वह पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी आइएसआइ के लिए काम करता था और भारत के पंजाब में आतंकवादी गतिविधियों को अंजाम देता था. हालांकि पाकिस्तानी सरकार उसके अपने यहां होने से लगातार इनकार करती रही है.
खालिस्तान कमांडो फोर्स के मुखिया परमजीत सिंह को जुलाई 2020 में गैर कानूनी गतिविधि (रोकथाम) अधिनियम (यूएपीए) के तहत आतंकवादी घोषित किया गया था. गृह मंत्रालय ने 2020 में नौ दुर्दांत आतंकवादियों की सूची जारी की थी, जिसमें उसका भी नाम शामिल किया गया था. परमजीत सिंह भारतीय सेना प्रमुख एएस वैद्य की हत्या और लुधियाना में हुई देश की सबसे बड़ी डकैती में वांछित था. 1999 में चंडीगढ़ पासपोर्ट कार्यालय के पास हुए बम विस्फोट में भी उसका हाथ था.
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परमजीत सिंह के खिलाफ भारत में टाडा सहित कई मामलों में मुकदमे दर्ज हैं. 63 वर्षीय पंजवार मूलत: पंजाब के तरनतारन जिले का रहने वाला था. वह पाकिस्तान से ड्रोन के माध्यम से पंजाब में ड्रग और हथियार भेजता था और उससे मिले पैसे से अपना प्रतिबंधित संगठन चलाता था.
10 अगस्त, 1986 : भारतीय सेना प्रमुख एएस वैद्य की हत्या
12 फरवरी, 1987 : लुधियाना में “5.70 करोड़ की बैंक डकैती
30 जून, 1999 : चंडीगढ़ पासपोर्ट कार्यालय के पास बम विस्फोट
10 अक्तूबर, 2020 : आतंकवाद के खिलाफ आवाज उठाने के लिए शौर्यचक्र के विजेता बलविंदर सिंह संधू की हत्या
भाषा इनपुट के साथ