कौन होगा महाराष्ट्र का अगला सीएम? शरद पवार और सुप्रिया सुले का बयान अलग-अलग
महाराष्ट्र में अभी से हो रही राजनीतिक उलटफेर और तैयारियां नवंबर 2024 में होने वाले चुनावों में बड़ी जीत हासिल करने में मदद कर सकते हैं. आइए जानते है विस्तार से कि आखिर इस महीने आखिर अगले सीएम का मामला क्यों तूल पकड़ चुका है.
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महाराष्ट्र में अगले साल 2024 के अंत में विधानसभा के चुनाव होने वाले है. लेकिन एक साल से अधिक समय से पहले ही राज्य में चुनावी लहर शुरू हो गई है. महाराष्ट्र में एक सवाल अभी लगभग हर तरफ पुछा जा रहा है कि अगला मुख्यमंत्री कौन होगा? इस सवाल का जवाब ना हमारे पास है और ना ही आपके पास… अभी से हो रही राजनीतिक उलटफेर और तैयारियां नवंबर 2024 में होने वाले चुनावों में बड़ी जीत हासिल करने में मदद कर सकते हैं. आइए जानते है विस्तार से कि आखिर इस महीने यह मामला क्यों तूल पकड़ चुका है.
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बीते गुरुवार को, राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) के अध्यक्ष शरद पवार उस समय इस बहस में पड़ गए जब उन्होंने कहा कि उनके भतीजे अजीत पवार की मुख्यमंत्री बनने की महत्वाकांक्षा एक सपना बनकर रह जाएगी. शरद पवार ने कहा, ”यह एक सपना है जो अधूरा रहेगा.” हालांकि उन्होंने विस्तार से नहीं बताया, लेकिन इस टिप्पणी ने विश्लेषण के लिए व्यापक गुंजाइश छोड़ दी है कि शरद पवार जैसे कद के राजनेता एक भतीजे के बारे में अपनी टिप्पणियों में इतने रूखे क्यों थे, जिसे पिछले पांच दशकों से उनके मार्गदर्शन में तैयार किया गया था.
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जबकि एनसीपी में विभाजन के बाद चाचा और भतीजे के बीच मतभेद समझ में आते हैं, अजित पवार के नेतृत्व वाली एनसीपी के भीतर कई लोग यह तर्क देने में तेज थे, “अगर अजित पवार का सीएम बनना तय है, तो ऐसा होने से कोई नहीं रोक सकता.” बता दें कि शरद पवार की टिप्पणी ऐसे समय आई है जब उनकी बेटी और एनसीपी की कार्यकारी अध्यक्ष सुप्रिया सुले ने कहा, “अगर अजित पवार सीएम बनते, तो उनकी बहन होने के नाते मैं उन्हें माला पहनाने वाली पहली व्यक्ति होती.” जब मीडिया ने इस टिप्पणी को शरद पवार के सामने उठाया तो उन्होंने इस पर कुछ खुलकर जवाब नहीं दिया.
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शरद पवार गुट के राजनीतिक प्रबंधक इस बात की ओर तुरंत ध्यान आकर्षित करते हैं कि वरिष्ठ शरद पवार की टिप्पणियाँ उनके विशाल अनुभव से कैसे आती हैं. “अगर उन्होंने कुछ संकेत दिया है, तो कोई वैध कारण होगा. यह उनके भतीजे के खिलाफ गुस्से के कारण नहीं है. उनके शब्द व्यावहारिकता पर आधारित हैं,” पार्टी के एक अंदरूनी सूत्र ने कहा. बता दें कि पिछले कुछ दिनों में तीनों सत्ताधारी पार्टियों के पार्टी कार्यकर्ताओं ने इस मुद्दे पर अलग-अलग बयान दिए हैं. शिवसेना (शिंदे गुट) के कार्यकर्ता मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे के नेतृत्व पर जोर दे रहे हैं. कुछ दिन पहले, पार्टी विधायक संजय शिरसाट ने कहा, “उनकी विशाल क्षमता और अनुभव को देखते हुए, देवेंद्र फड़नवीस को केंद्र में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभानी चाहिए.” उन्होंने कहा कि महाराष्ट्र को शिंदे के नेतृत्व पर छोड़ा जा सकता है.
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शिवसेना इस प्रतिष्ठित पद के लिए दावेदारी करने वाली एकमात्र पार्टी नहीं है. अजित पवार के नेतृत्व वाले राकांपा गुट के धर्मरावबाबा अत्राम ने पिछले सप्ताह घोषणा की, “राजनीति में, कुछ भी संभव है. अजित पवार अगले सीएम बनेंगे.” बीजेपी ने सीएम पद को लेकर सत्तारूढ़ गठबंधन के भीतर बढ़ती दावेदारी को स्वाभाविक बताकर खारिज कर दिया है. प्रदेश भाजपा अध्यक्ष चन्द्रशेखर बावनकुले ने गुरुवार को कहा, ”हर पार्टी सीएम पद के लिए अपना नेतृत्व पेश करने के लिए बाध्य है…” उन्होंने कहा, अंततः अंतिम निर्णय 2024 के विधानसभा चुनावों के बाद संसदीय बोर्ड द्वारा लिया जाएगा.
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वहीं शुक्रवार को राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) के अध्यक्ष शरद पवार ने महाराष्ट्र में महिलाओं की “सुरक्षा” और “संविदा पर नियुक्ति” को लेकर शुक्रवार को राज्य सरकार पर निशाना साधा. शरद पवार ने एक संवाददाता सम्मेलन में दावा किया कि इस साल एक जनवरी से 31 मई के बीच राज्य से 19,533 महिलाओं के “लापता” होने की रिपोर्ट दर्ज करायी गईं.
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शरद पवार ने मुंबई पुलिस में कर्मियों की “संविदा नियुक्ति” को लेकर भी सरकार की आलोचना की. उन्होंने कहा कि राज्य ने सरकारी भर्तियां संविदा पर करने का फैसला लिया है. महाराष्ट्र सरकार ने इस सप्ताह की शुरुआत में अपने स्वयं के सुरक्षा निगम से 3,000 कर्मियों को नियुक्त करने का आदेश जारी किया था, जो मुंबई पुलिस के अंतर्गत काम करेंगे. सरकारी उपक्रम, महाराष्ट्र राज्य सुरक्षा निगम (एमएसएससी) से लिए गए ये कर्मी अनुबंध के तहत काम करेंगे और एक विशिष्ट अवधि के लिए चुनिंदा ड्यूटी में मुंबई पुलिस की मदद करेंगे.