Mask use in the home : देश में कोरोना महामारी की दूसरी लहर में नए संक्रमित मरीजों की संख्या में रोजाना तेजी से बढ़ोतरी हो रहा है. इस बीच, भारत में कोरोना टास्क फोर्स के प्रमुख डॉ वीके पॉल ने संक्रमण की चेन को तोड़ने के लिए घर के अंदर भी मास्क पहनने का सुझाव दिया है. उनकी इस सिफारिश को तब सार्वजनिक किया गया है, जब सोमवार को पिछले 24 घंटों के दौरान नए संक्रमितों की संख्या 3,52,991 तक पहुंच गई, जबकि देश में संक्रमितों की कुल संख्या 28,13,658 पर पहुंच गई है.
दरअसल, कोरोनावायरस मुख्य रूप से सांसों के ड्रॉपलेट्स से एक दूसरे में फैलता है, जो किसी के खांसने, छींकने, आपस में सटकर बातचीत करने, जोर से आवाज लगाने या गाने से हवा में प्रसारित होता है. ये ड्रॉपलेट्स तब आसपास के लोगों के मुंह या नाक के जरिए आसानी से फेफड़ों तक पहुंच सकती हैं, जब वे सांस लेंगे.
इंडियन एक्सप्रेस की एक खबर के अनुसार, हालांकि, एक बड़ी आबादी में इसका लक्षण दिखाई नहीं देता. ए सिम्टोमैटिक व्यक्ति संक्रमण के प्रसार को घरों में भी जारी रख सकते हैं. डॉ पॉल ने जोकर देकर कहा कि जब ए सिम्टोमैटिक व्यक्ति घर में भी बात करते हैं, तब भी वे संक्रमण फैला सकते हैं. इसलिए हम देखते हैं कि इस दूसरी लहर में पूरे का पूरा परिवार संक्रमण का शिकार हो रहा है, जबकि वे अपने-अपने घरों के अंदर ही बैठे रहते हैं.
भारत में बहुत कम आबादी में ही सांस की तकलीफ के साथ कोरोना के गंभीर लक्षण दिखाई दे रहा है और इनमें से कई लोगों को अस्पताल में भर्ती करने की जरूरत भी पड़ रही है. ऑक्सीजनयुक्त बिस्तरों की मांग में बढ़ोतरी से बुनियादी स्वास्थ्य सुविधाएं बुरी तरह से चरमरा गई है. मुख्य रूप से मास्क पहनने वाले कोरोना से दूसरों की रक्षा करते हैं. इसलिए, डॉ वीके पॉल की ओर से घर में भी मास्क पहनने की सिफारिश करने का मकसद केवल संक्रमण की चेन को ही तोड़ना नहीं है, बल्कि अधिक जोखिम वाले लोग भी सुरक्षित करता है.
अब ऐसे में दो तरह के परिणाम देखे जा सकते हैं. पहला, यह कि मास्क पहनने से घर के बुजुर्ग और गंभीर रूप से बीमार लोगों को संक्रमण से सुरक्षित किया जा सकता है, भले ही परिवार का कोई एक सदस्य गंभीर रूप से संक्रमित ही क्यों न हो. दूसरा यह कि इससे स्थानीय स्तर पर घरों में फैलने वाले संक्रमण को भी रोका जा सकता है, जो अक्सरहां इस दूसरी लहर में देखा रहा है.
सरकार ने उत्तरी कैरोलिना के स्वास्थ्य और मानव सेवा विभाग के आंकड़ों का हवाला देते हुए कहा कि जब दो व्यक्तियों के बीच 6 फीट की दूरी होती है और जब वे दोनों मास्क पहन रहे होते हैं, तो संक्रमण के प्रसार का जोखिम न के बराबर होता है. आंकड़ों के अनुसार, जब दो लोग मास्क पहने हुए होते हैं, संक्रमित होने का जोखिम 1.5 फीसदी कम होता है. वहीं, जब केवल संक्रमित व्यक्ति की मास्क पहने हुए है, तो यहां पर संक्रमित होने का खतरा 5 फीसदी रहता है और जब दो में से कोई भी मास्क नहीं पहनता है, तो ऐसे मामलों में संक्रमित होने का खतरा सबसे ऊंचे स्तर 30 फीसदी तक रहता है. इसके साथ ही, जब संक्रमित, बिना संक्रमित और आबादी का अधिकांश व्यक्ति मास्क नहीं पहनता है, तो संक्रमित होने का खतरा 90 फीसदी तक बढ़ जाता है.
अमेरिका में रोग नियंत्रण और संरक्षण केंद्र (सीडीसी) ने भी करीब-करीब ऐसी ही सिफारिश की है. सीडीसी का कहना है कि मास्क अभी भी कम से कम 6 फीट दूर रहने के अलावा पहना जाना चाहिए. खासकर तब जब आपके घर में रहने वाले लोग आसपास में ही हों. सीडीसी इस बात पर जोर देता है कि वृद्ध लोगों को विशेष रूप से मास्क पहनना चाहिए, जब लोग अपने घर में नहीं रहते हैं. इसका प्रभावी रूप से मतलब है कि यदि कोई नया व्यक्ति घर आता है, तो संवेदनशील को संक्रमित होने के जोखिम को कम करने के लिए मास्क पहनने की आवश्यकता होती है.
Posted by : Vishwat Sen