15.1 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Advertisement

इंसास और एके-47 राइफल क्यों है नक्सलियों की पहली पसंद, जानें क्या है इसकी खासियत

AK 47 भले ही बंदुक प्रेमियों, आतंकियों और नक्सलियों के बीच काफी लोकप्रिय है, लेकिन इसे अमेरिका में बुरे आदमी के बंदुक के रूप में जाना जाता है. अमेरिका का अनुभव AK 47 के साथ अच्छा नहीं रहा है.

झारखंड, बिहार और छत्तीसगढ़ में नक्सली वारदात को अंजाम देने के लिए दो आर्म्स का हमेशा इस्तेमाल करते हैं. AK 47 और इंसास रायफल नक्सलियों के बीच हमेशा से लोकप्रिय रहा है. जब भी कोई कुख्यात नक्सली या तो गिरफ्तार होते हैं या फिर सरेंडर करते हैं, उनके पास से यही दो आर्म्स बरामद होते हैं. आपको हम यहां बताने वाले हैं कि आखिर नक्सली इन आर्म्स को सबसे अधिक क्यों पसंद करते हैं.

मौत का दूसरा नाम है AK 47, बंदूक प्रेमी से लेकर आतंकियों की पहली पसंद

बंदूक प्रेमियों, सैनिकों और आतंकियों की पहली पसंद AK 47 का सबसे पहले मिलिट्री ट्रायल रूस ने 1947 में किया था. उसी साल उसे सेना में भी शामिल कर लिया गया था. AK 47 नक्सलियों और आतंकवादियों की पहली पसंद होने के पीछे कारण है कि यह काफी लाइटवेट होता है. साथ ही हर मौसम में अपनी पूरी क्षमता के साथ टारगेट पर काम करता है. AK 47 को मौत का दूसरा नाम कहा जाता है. AK 47 एक साथ 600 राउंड गोली फायर कर सकता है. बताया जाता है कि इसकी रेंज 350 मीटर की होती है और 715 मीटर प्रति मिनट की रफ्तार से अपने टारगेट की ओर बढ़ता है.

Also Read: Naxal in Jharkhand : घोड़े पर सवार होकर AK 47 लेकर चलता था ये नक्सली

अमेरिका में बुरे आदमी के हथियार के नाम से विख्यात है AK 47, जानें कैसे पड़ा इसका नाम

AK 47 भले ही बंदुक प्रेमियों, आतंकियों और नक्सलियों के बीच काफी लोकप्रिय है, लेकिन इसे अमेरिका में बुरे आदमी के बंदुक के रूप में जाना जाता है. अमेरिका का अनुभव AK 47 के साथ अच्छा नहीं रहा है. AK का नाम रूस के सीनियर सार्जेंट मिखाइल कलाविश्नोई के नाम पर रखा गया है. जो सेकंड वर्ल्डवॉर के समय टैंक कमांडर थे. उन्होंने ने ही AK 47 राइफल बनाया था. बताया जाता है कि 106 देशों में AK 47 का प्रयोग किया जाता है. ये भी बताया जाता है कि AK सीरीज के 10 करोड़ से अधिक राइफल पूरी दुनिया में उपयोग किये जाते हैं.

इंसास राइफल की खासियत

नक्सलियों के बीच इंसास राइफल भी काफी लोकप्रिय है. इंसास राइफल एक लाइट मशीनगन है. यह अर्धस्वचालित मोड पर फायर करती है. यह औसत 650 राउंड प्रति मिनट फायर कर सकती है. यह सिंगल राउंड और तीन राउंड विस्फोटक मोड में फायर करता है. हालांकि अब इस राइफल का इस्तेमाल भारतीय सेना में कम ही किया जाता है, क्योंकि इससे अत्याधुनिक राइफल सेना में शामिल किये गये हैं. हालांकि अब भी यह नक्सलियों की पहली पसंद बनी हुई है.

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Advertisement

अन्य खबरें

ऐप पर पढें