Chhattisgarh: टीएस सिंह देव क्यों हैं जरूरी? जानें सरगुजा संभाग का समीकरण, कांग्रेस क्यों है भाजपा पर भारी
Chhattisgarh Election 2023: पिछले विधानसभा की बात करें तो सरगुजा संभाग की 14 की 14 विधानसभा सीट पर कांग्रेस ने कब्जा किया था. वर्तमान में कांग्रेस के फैसले से क्या इस संभाग की स्थिति बदलेगी. जानें यहां का क्या है राजनीतिक समीकरण
Chhattisgarh Election 2023: छत्तीसगढ़ में इस साल विधानसभा चुनाव होने वाले हैं. इससे पहले कांग्रेस ने कमर कस ली है. कांग्रेस प्रदेश के पांचों संभाग में जोर लगाती दिख रही है, लेकिन पार्टी का ज्यादा फोकस सरगुजा संभाग में है जहां सरगुजा, सूरजपुर, बलरामपुर, कोरिया, जशपुर पांच जिले आते हैं. सरगुजा संभाग के सबसे बड़े कांग्रेस के चेहरे को लेकर आलाकमान ने बड़ा फैसला भी लिया है और चुनाव से महज कुछ महीने पहले ही टीएस सिंह देव को उपमुख्यमंत्री के पद पर बैठा दिया है. छत्तीसगढ़ में 2018 में कांग्रेस पंद्रह साल के वनवास के बाद सत्ता में आयी थी. इसके बाद से ही कांग्रेस नेता सिंह देव और मुख्यमंत्री भूपेश बघेल सत्ता की लड़ाई में एक दूसरे के आमने-सामने रहे हैं. इस वजह से पार्टी की टेंशन बढ़ी हुई थी.
अब सवाल उठता है कि छत्तीसगढ़ की राजनीति में टीएस सिंहदेव जरूरी क्यों हैं ? तो आपको बता दें कि तीन बार के विधायक सिंह देव को 2013 में विधानसभा चुनाव में हार के बाद पार्टी ने कांग्रेस विधायक दल का नेता चुना था. माना जाता है कि छत्तीसगढ़ में 2018 में पार्टी को सत्ता में वापस लाने में कांग्रेस के घोषणापत्र का महत्वपूर्ण योगदान था, जिसके पीछे सिंह देव ही थे. यही वजह है कि सरगुजा संभाग में कांग्रेस सिंह देव को इग्नोर करके नहीं चल सकती है. 2013 से लेकर साल 2018 तक कांग्रेस नेता सिंह देव ने जमीनी स्तर पर बहुत काम किया और जनता से जुड़े रहे. यही वहज थी की पिछले चुनाव में भाजपा का सुपड़ा साफ हो गया था.
सरगुजा संभाग की बात करें तो छत्तीसगढ़ के उत्तर में यह बसा है जो प्रदेश की राजनीति में अपनी विशेष पहचान रखता है. 6 जिले से बने सरगुजा संभाग में 14 विधानसभा सीटें हैं. राजनीतिक जानकारों की मानें तो छत्तीसगढ़ के सत्ता की चाबी इसी संभाग के पास है और यहां से जिस पार्टी की जीत होती है वो सत्ता पर काबिज होती है. यही वजह है कि कांग्रेस इस संभाग में किसी भी तरह की कोई कमी नहीं रहने देना चाहती है. प्रदेश बनने के बाद सरगुजा हर विधानसभा में सियासी दलों के लिए एक बड़ा वोट बैंक रहा है.
14 विधानसभा सीट पर कांग्रेस का कब्जापिछले विधानसभा की बात करें तो सरगुजा संभाग की 14 की 14 विधानसभा सीट पर कांग्रेस ने कब्जा किया था. सरगुजा संभाग छत्तीसगढ़ का वो इलाका है जो चार प्रदेशों से घिरा है और यहां की सियासत में भी तमाम मुद्दे नजर आते हैं. 2018 विधानसभा चुनावों में ऐसे तमाम मुद्दे थे जिनकी वजह से कांग्रेस ने यहां की सभी 14 विधानसभा सीटों पर कब्जा जमाया था. राजनीतिक जानकारों की मानें तो 2018 के चुनाव के समय भले ही कांग्रेस की ओर से मुख्यमंत्री का चेहरा तय नहीं था पर संभाग मुख्यालय से विधायक और मंत्री टीएस सिंहदेव के सीएम बनने की चर्चा तेजी से हो रही थी. यही वजह रही कि यहां से कांग्रेस को बहुत लाभ हुआ और सरकार बनने के नारे के साथ कांग्रेस ने सरगुजा की सभी सीटें अपनी झोली में करने में सफल रही.
कांग्रेस का घोषणा पत्रपिछले चुनाव में एक और खास बात कांग्रेस का घोषणा पत्र था. जिसमें जनता से तमाम लोक लुभावने वादे कांग्रेस की ओर से किये गये थे. इस घोषणा पत्र को टी एस सिंहदेव की अध्यक्षता वाली एक कमेटी ने तैयार किया था. यही नहीं पिछले विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने सभी विधानसभा सीटों में अच्छे और विपक्ष में रहते हुए जनता के मुद्दे को उठाने वाले नेताओं पर भरोसा जताया था और उन्हें चुनावी मैदान में उतारा था. वहीं सरगुजा संभाग में भाजपा ने सभी 14 सीटों में पुराने और जनता की निगाहों में घिसे पिटे नेताओं को मैदान में उतारा था.
Also Read: छत्तीसगढ़ चुनाव : मिट गयी दूरी! टीएस सिंह देव के उपमुख्यमंत्री बनने के बाद क्या बोले सीएम भूपेश बघेलछत्तीसगढ़ में सिंह देव को मुख्यमंत्री बघेल का विरोधी माना जाता है. हालांकि उपमुख्यमंत्री का पद मिलने के बाद सिंह देव के बयान से झलक रहा है कि उनकी नाराजगी दूर हो चुकी है. सिंह देव समर्थकों की मानें तो, पार्टी आलाकमान ने वर्ष 2018 में राज्य में कांग्रेस की बड़ी जीत के बाद सिंह देव से ढाई वर्ष के लिए उन्हें मुख्यमंत्री बनाए जाने का वादा किया था.
कांग्रेस का एक और प्लस प्वाइंटसरगुजा संभाग में भाजपा को पहले ही कांग्रेस चोट दे चुकी है. कुछ दिन पहले ही भाजपा के वरिष्ठ आदिवासी नेता एवं पूर्व प्रदेश अध्यक्ष नंद कुमार साय ने कांग्रेस का दामन थामा है. वरिष्ठ आदिवासी नेता नंद कुमार साय ने भाजपा से इस्तीफा देकर पार्टी के साथ अपना चार दशक से अधिक पुराना नाता तोड़ दिया था. इस लिहाज से भी इस संभाग में कांग्रेस की पकड़ मजबूत मानी जा रही है.
वर्तमान में राज्य की क्या है स्थितिसाल 2018 में कांग्रेस ने राज्य की 90 में से 68 सीटें जीती थी और भाजपा के 15 साल लंबे शासन को खत्म किया था. चुनाव में भाजपा को 15 सीटें मिली थी. वहीं चुनाव में जनता कांग्रेस छत्तीसगढ़ (जे) और बहुजन समाज पार्टी (बसपा) गठबंधन को कुल सात सीटें मिली थी. राज्य में सत्ताधारी दल कांग्रेस ने पांच उपचुनाव जीते हैं और उसकी संख्या 71 हो गयी है. राज्य विधानसभा में भाजपा के 13 और जेसीसी (जे) की तीन तथा बहुजन समाज पार्टी (बसपा) के दो विधायक हैं. हाल ही में एक भाजपा विधायक की मृत्यु हुई है.