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Explainer: योगी आदित्यनाथ बीजेपी संसदीय बोर्ड से बाहर होने पर भी क्यों हैं खामोश?

योगी आदित्यनाथ के करीबी ने बताया, वह अभी तक अपनी भावनाओं के बारे में खुले नहीं हैं, लेकिन सभी को उम्मीद थी कि उन्हें संसदीय बोर्ड में शामिल किया जाएगा. दरअसल कुछ जानकारों का मानना है कि योगी आदित्यनाथ के बढ़ते कद को कम करना है.

भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) ने पिछले दिनों संसदीय बोर्ड में भारी फेरबदल किया. सूची से कई बड़े चेहरे गायब कर दिये गये. जिसमें केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी, मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को हटा दिया गया. यहां तक की इस सूची में एक और बड़ा चेहरा गायब कर दिया गया, उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ. नये संसदीय बोर्ड की घोषणा के बाद सभी ने ट्वीट कर नये चुने गये सदस्यों को बधाई दी, लेकिन योगी आदित्यनाथ एक मात्र हैं, जिसने इस मुद्दे पर एक शब्द नहीं कहा.

संसदीय बोर्ड पर कुछ नहीं बोले योगी आदित्यनाथ, लेकिन सोशल मीडिया पर काफी सक्रिय

संसदीय बोर्ड में फेरबदल पर यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ भले ही कुछ नहीं बोल रहे, लेकिन इसके इतर योगी सोशल मीडिया पर काफी सक्रिय हैं और लगातार ट्वीट कर केंद्र सरकार को धन्यवाद दे रहे हैं. दिप्रिंट के विश्लेषण के अनुसार, उन्होंने कृषि ऋण योजना के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को धन्यवाद दिया, उन्होंने केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण को उनके जन्मदिन पर शुभकामनाएं दीं. लेकिन उन्होंने संसदीय बोर्ड में फेरबदल पर एक शब्द नहीं लिखा.

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सभी को उम्मीद थी संसदीय बोर्ड में योगी आदित्यनाथ किये जायेंगे शामिल

योगी आदित्यनाथ के करीबी ने बताया, वह अभी तक अपनी भावनाओं के बारे में खुले नहीं हैं, लेकिन सभी को उम्मीद थी कि उन्हें संसदीय बोर्ड में शामिल किया जाएगा. दरअसल कुछ जानकारों का मानना है कि योगी आदित्यनाथ के बढ़ते कद को कम करना है. 11 सदस्यीय बोर्ड में एक भी मुख्यमंत्री को स्थान नहीं दिया गया. भाजपा आलाकमान ने एक मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को भी हटा दिया है, जो पहले शामिल थे. कयास लगाए जा रहे हैं कि ऐसा इसलिए किया गया ताकि योगी को भी बाहर रखा जा सके.

क्या योगी को जानबूझकर किया गया दरकिनार

भाजपा के कुछ अंदरूनी सूत्रों के अनुसार, यह निर्णय दिल्ली और लखनऊ के बीच विश्वास की बढ़ती कमी को दर्शाता है. भाजपा के एक नेता ने कहा, यह दिखाया गया कि योगी केवल अन्य मुख्यमंत्रियों के बराबर हैं. यह पूछे जाने पर कि क्या योगी को जानबूझकर दरकिनार किया गया, भाजपा के वरिष्ठ नेता और यूपी से राज्यसभा सांसद अशोक बाजपेयी ने कहा कि ऐसा नहीं है. उन्होंने कहा, योगी अभी 50 साल के हैं उनकी उम्र उनके साथ है. वह बोर्ड में है या नहीं इससे कोई फर्क नहीं पड़ता. यह भी एक तथ्य है कि कोई मुख्यमंत्री बोर्ड में नहीं है. पार्टी को भौगोलिक प्रतिनिधित्व को ध्यान में रखने के लिए व्यक्तियों से परे सोचना पड़ता है.

2027 में शुरू होगी दिल्ली के लिए योगी की लड़ाई

योगी आदित्यनाथ के करीबी और उनके समर्थकों का मानना है कि भले ही योगी आदित्यनाथ को संसदीय बोर्ड में शामिल नहीं किया गया. उन्हें 2024 के लोकसभा चुनाव से भले ही दूर रखने की कोशिश हो रही है, लेकिन योगी के करीबियों का मानना है कि योगी को अधिम समय तक दिल्ली से दूर नहीं रखा जा सकता. कई लोगों का मानना ​​है कि उनके राष्ट्रीय स्तर के नेता बनने में कुछ ही समय है, जितना नरेंद्र मोदी गुजरात के सीएम से देश के पीएम तक गए. योगी के करीबी का मानना है कि यह एक झटका था. सबने सोचा महाराज जी को बोर्ड में लाया जाएगा. वह भारत के सबसे बड़े राज्य के सीएम हैं. उन्होंने यहां दो बार 2017 और 2022 में बीजेपी की सरकार बनाई है, वह मोदी जी के बाद हिंदू हृदय सम्राट हैं. भाजपा के एक सांसद ने कहा, दिल्ली के लिए उनकी लड़ाई 2027 में शुरू होगी.

बीजेपी संसदीय बोर्ड

बीजेपी का नया संसदीय बोर्ड

जगत प्रकाश नड्डा- अध्यक्ष

नरेंद्र मोदी

राजनाथ सिंह

अमित शाह

बी एस येदियुरप्पा

सर्वानंद सोनोवाल

के लक्ष्मण

इकबाल सिंह लालपुरा

सुधा यादव

सत्यनारायण जटिया

बी एल संतोष- सचिव

चुनाव समिति

नरेंद्र मोदी

अमित शाह

राजनाथ सिंह

बी एस येदुरप्पा

सर्वानंद सोनोवाल

देवेंद्रण फडणवीस

भूपेंद्र यादव

ओम माथुर

वन थ्री श्रीनिवास

सुधा यादव

इकबाल सिंह लालपुरा

सत्यनारायण जटिया

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