नयी दिल्ली : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अयोध्या में राममंदिर के भूमि पूजन के बाद जब ‘जब सिया राम का नारा लगाया तो कई लोग आश्चर्यचकित रह गये और कइयों के मन में अनगिनत सवाल थे. कारण यह था कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने राम मंदिर आंदोलन से जन्मे नारे ‘जय श्रीराम’ का उद्घोष नहीं किया था.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भूमि पूजन के बाद जब लोगों को संबोधित करना शुरू किया तो उन्होंने कहा-सबसे पहले याद करें भगवान राम और माता जानकी को. सियावर रामचंद्र की जय. जय सिया राम. अमूमन इस वक्तव्य में अंत के शब्द होते जय श्रीराम. लेकिन प्रधानमंत्री ने अपना नारा बदल दिया, जो लोगों के लिए अप्रत्याशित था. अब सवाल यह है कि पीएम मोदी ने ऐसा क्यों किया.
पीएम मोदी उनलोगों में शामिल नहीं हैं, जो बिना सोचे-समझे कोई नारा दें, इस नारे के पीछे कई राज छुपे हैं. दरअसल पीएम मोदी के जय सियाराम राम नारे का सच यह है कि उन्होंने यह बता दिया कि जय श्रीराम नारे से जिस आंदोलन की शुरुआत हुई थी, वह अब पूरा हो गया है. इसलिए आगे अब लड़ाई की जरूरत नहीं है, इसलिए अयोध्या में अब अभिवादन का आम शब्द ‘ जय सिया राम’ वापस आ गया है.
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हिंदीपट्टी में राम-राम, जय राम जी की और जय सियाराम जैसे शब्द अभिवादन में आम हैं. मथुरा वाले इलाके में राधे-राधे भी खूब चलता है. अभिवादन के ये सौम्य शब्द हैं, लेकिन राम मंदिर आंदोलन के अस्तित्व में आने के बाद ‘जय श्रीराम’ नारे का प्रादुर्भाव हुआ, जो एक तरह से आक्रमक अभिवादन है. इस आक्रामक अभिवादन से जिस आक्रामकता का बोध होता है, वह मंदिर निर्माण के आंदोलन का सूचक था और एक तरह से विजयश्री जयघोष था.
लेकिन कल जब प्रधानमंत्री ने जय सियाराम कहा, तो जयघोष में सौम्यता लौट आयी. कहने का आशय यह है कि प्रधानमंत्री ने अपने जयघोष से यह बता दिया है कि अब आक्रामकता की जरूरत नहीं है, हम अपने लक्ष्य को प्राप्त कर चुके हैं, इसलिए सौम्यता जरूरी है.
Posted By : Rajneesh Anand