भारत-चीन विवाद के बीच पीएम मोदी का 2013 वाला ट्वीट क्‍यों हो रहा वायरल ?

भारत और चीन के बीच सीमा विवाद (Indo-China border dispute) लगातार बढ़ता ही जा रहा है. दोनों देशों की ओर से जहां एक ओर बातचीत जारी है, वहीं सीमा पर सैनिकों की तैनाती भी जारी है. दोनों ओर से सैनिक आमने-सामने किसी भी स्थिति से निपटने के लिए तैयार खड़े हैं.

By Prabhat Khabar Digital Desk | June 2, 2020 10:30 PM

नयी दिल्‍ली : भारत और चीन के बीच सीमा विवाद लगातार बढ़ता ही जा रहा है. दोनों देशों की ओर से जहां एक ओर बातचीत जारी है, वहीं सीमा पर सैनिकों की तैनाती भी जारी है. दोनों ओर से सैनिक आमने-सामने किसी भी स्थिति से निपटने के लिए तैयार खड़े हैं.

हालांकि चीन ने सोमवार को कहा था कि भारत से लगती सीमा पर स्थिति स्थिर और नियंत्रण में है और वार्ता एवं चर्चा के जरिए मुद्दों के समाधान के लिए दोनों देशों के पास निर्बाध संपर्क माध्यम हैं.

भारत-चीन तनाव के बीच प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का 2013 का एक पुराना ट्वीट अचानक सोशल मीडिया में वायरल होनो शुरू हो गया है. उस पुराने ट्वीट को लेकर सोशल मीडिया पर प्रधानमंत्री मोदी से चीन के साथ जारी विवाद को लेकर सवाल भी पूछ रहे हैं.

क्‍या है मोदी का 2013 वाला ट्वीट और क्‍यों सवाल कर रहे हैं लोग ?

दरअसल लोग चीन के साथ विवाद को लेकर पीएम मोदी से बयान देने की मांग कर रहे हैं. ट्विटर पर #ModiSpeaksOnChina ट्रेंड कर रहा है. लोग मोदी का 2013 वाला ट्वीट भी शेयर कर रहे हैं और उनसे चीन के साथ विवाद पर देश को खुल कर बताने की मांग कर रहे हैं कि आखिर सीमा पर क्‍या चल रहा है. दरअसल प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जब गुजरात के मुख्‍यमंत्री हुआ करते थे उस समय 2013 में उन्‍होंने यूपीए सरकार पर हमला करते हुए लिखा था, चीन की घुसपैठ से लेकर पाकिस्तान की घात तक यूपीए सरकार भारतीय सीमाओं को हासिल करने में बिल्कुल ढीली रही है. केंद्र कब जागेगा ?

भारत-चीन विवाद के बीच पीएम मोदी का 2013 वाला ट्वीट क्‍यों हो रहा वायरल? 2

अब उसी ट्वीट को वायरल कर लोग मोदी सरकार पर हमला कर रहे हैं. लोग पूछ रहे हैं कि जब मोदी प्रधानमंत्री नहीं थे, तो वे यूपीए सरकार से पाकिस्‍तान और चीन को लेकर सामने आने की मांग कर रहे थे, अब जब वो खुद प्रधानमंत्री हैं, तो फिर क्‍यों सामने नहीं आ रहे हैं. सोशल मीडिया में लोग पीएम मोदी से सामने आकर कुछ बोलने की मांग कर रहे हैं.

रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा, भारत सीमा मुद्दे पर अपने ‘गौरव पर आंच’ नहीं आने देगा

दोनों देशों की सेनाओं के बीच वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर जारी गतिरोध के बीच रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने एक समाचार चैनल को दिए साक्षात्कार में कहा था कि भारत सीमा मुद्दे पर अपने ‘गौरव पर आंच’ नहीं आने देगा, लेकिन वह दो बड़े पड़ोसियों के बीच विवाद का समाधान वार्ता के जरिए करने को प्रतिबद्ध है. उन्होंने कहा था, मैं देश को आश्वस्त करना चाहता हूं कि हम किसी भी स्थिति में भारत के गौरव पर आंच नहीं आने देंगे. भारत पड़ोसी देशों के साथ अच्छे संबंध बनाए रखने की स्पष्ट नीति का पालन कर रहा है और यह नया रुख नहीं है. हम लंबे अरसे से इसका पालन कर रहे हैं. कभी-कभी चीन के साथ विवाद उत्पन्न हो जाता है. यह पहले भी हुआ है. सिंह ने कहा था, भारत यह सुनिश्चित करने का प्रयास कर रहा है कि तनाव नहीं बढ़े. इसका समाधान सैन्य एवं कूटनीतिक स्तरों पर वार्ता के माध्यम से होना चाहिए. दोनों देशों के बीच सैन्य एवं कूटनीतिक स्तरों पर वार्ता जारी है.

2017 के डोकलाम गतिरोध के बाद दोनों देशों के बीच सबसे बड़ी सैन्य तनातनी

भारत और चीन की सेनाओं के बीच पूर्वी लद्दाख के पैगोंग त्सो, गलवान घाटी, डेमचोक और दौलत बेग ओल्डी में तीन हफ्ते से अधिक समय से तनाव जारी है जो 2017 के डोकलाम गतिरोध के बाद दोनों देशों के बीच सबसे बड़ी सैन्य तनातनी मानी जा रही है. पैगोंग त्सो के आसपास फिंगर इलाके में एक महत्वपूर्ण सड़क निर्माण के अलावा गलवान घाटी में दारबुक-शयोक-दौलत बेग ओल्डी के बीच भारत के सड़क निर्माण पर चीन के कड़े विरोध के बाद गतिरोध शुरू हुआ. तनाव तब भड़का जब पूर्वी लद्दाख में पांच मई की शाम चीन और भारत के करीब 250 सैनिकों के बीच हिंसक झड़प हो गई जो अगले दिन भी जारी रही, जिसके बाद दोनों पक्ष अलग हुए. इसी तरह, उत्तरी सिक्किम में नाकू ला दर्रे के पास नौ मई को भारत और चीन के लगभग 150 सैनिक आपस में भिड़ गए जिसमें दोनों पक्षों के कम से कम 10 सैनिक घायल हुए.

क्‍या है भारत-चीन विवाद का कारण

दोनों देशों के सैनिकों के बीच 2017 में डोकलाम में 73 दिन तक गतिरोध चला था. भारत और चीन के बीच 3,488 किलोमीटर लंबी एलएसी पर विवाद है. चीन अरुणाचल प्रदेश पर दावा करता है और इसे दक्षिणी तिब्बत का हिस्सा बताता है. वहीं, भारत इसे अपना अभिन्न अंग करार देता है. दोनों पक्ष कहते रहे हैं कि सीमा विवाद के अंतिम समाधान तक सीमावर्ती क्षेत्रों में शांति एवं स्थिरता कायम रखना जरूरी है.

Posted By : arbind kumar mishra

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