कोरोना संक्रमण की दूसरी लहर से जूझ रहे लोगों के पास कई ऐसे सवाल है जिनका उन्हें संतोषजनक जवाब नहीं मिल पा रहा है. इन सवालों में एक महत्वपूर्ण सवाल कोरोना टेस्ट से जुड़ा हुआ है. क्योंकि टेस्ट के बाद की रिपोर्ट सामने आती है और पॉजिटिव रिपोर्ट वाले मरीज अपना इलाज शुरू करते हैं. पर आरटीपीसीआर रिपोर्ट मिलने में देरी के कारण कई मरीज देर से इलाज शुरू कर रहे हैं, इसके कारण उन्हें लंबे समय तक आइसोलेशन में रहना पड़ रहा है, साथ ही सामान्य जीवन की तरफ लौटने में परेशानी हो रही है.
इंडियन एक्सप्रेस के अनुसार कल्याण फोर्टिस अस्पताल के चीफ इंटेंसिविस्ट डॉ संदीप पाटिल ने कहा कि कई कोरोना एक्सपर्ट्स ने अब 14 दिनों का कोरेंटिन पीरियड पूरा करने के बाद माइल्ड या उससे कम संक्रमण वालों को कोरोना की निगेटिव रिपोर्ट के लिए दोबारा टेस्ट कराने की आवश्यकता नहीं है.
स्वास्थ्य परिवार कल्याण मंत्रालय की नयी गाइडलाइन
अधिकांश लोगों का तर्क है कि जब से महामारी शुरू हुई है, तब से कोरोना मरीजों को तब तक छुट्टी नहीं दी जाती है जब तक उनके चेस्ट का रेडियोग्राफ साफ नहीं हो गया. साथ ही जब तक आरटीपीसीआर टेस्ट में लगातार उनके जांच दो बार निगेटिव नहीं आये. पर यह परेशानी सिर्फ पिछले साल तक थी. क्योंकि उस वक्त यह वायरस नया था और हमारे महामारी विशेषज्ञ भी उस वक्त इसके प्रभाव को समझने की कोशिश कर रहे थे.पर अब सब कुछ सामने हैं. वायरस भी म्यूटेट हो गया. इसकी संक्रामकता अब अच्छी तरह से स्थापित हो गई है. इसलिए स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय एक नया मानदंड लेकर आया है.
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नये गाइडलाइन में हल्के / बहुत हल्के / पूर्व-लक्षण वाले मामलों के लिए क्या है.
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लक्षण शुरू होने के 10 दिन और लगातार तीन दिन तक बुखार न होने पर मरीज को छुट्टी दी जा सकती है.
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डिस्चार्ज से पहले परीक्षण की कोई आवश्यकता नहीं है.
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रोगी को घर पर आइसोलेट रहने की सलाह दी जाएगी और सात और दिनों के लिए स्वास्थ्य की स्वयं निगरानी करने की सलाह दी जाएगी.
नये गाइडलाइन के मुताबिक मध्यम मामलों के लिए.
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रोगी में तीन दिनों तक कोई लक्षण दिखाई नहीं देने पर और लक्षण शुरू होने के 10 दिनों के बाद छुट्टी दी जा सकती है.
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डिस्चार्ज से पहले परीक्षण की कोई आवश्यकता नहीं है.
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रोगी को घर पर आइसोलेट रहने की सलाह दी जाएगी और सात और दिनों के लिए स्वास्थ्य की स्वयं निगरानी करने की सलाह दी जाएगी
नये गाइडलाइंस के मुताबिक गंभीर मामलों के लिए:
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पूरी तरह से क्लिनिकल रिकवरी के बाद और आरटी-पीसीआर द्वारा एक बार नकारात्मक परीक्षण करने के बाद मरीजों को छुट्टी दी जा सकती है.
डॉक्टर बताते हैं कि ज्यादातर हल्के और बिना लक्षण वाले मामलों में सातवें या आठवें दिन के बाद वायरस मर जाता है. उसके बाद यह फैल नहीं सकता है. लेकिन मृत वायरस, या मृत वायरस के कणों को के कारण आरटी-पीसीआर टेस्ट पॉजिटिव आ जाती है. इसके कारण कोरोना संक्रमण से ठीक होने के बावजूद इसके कारण उसे अधिक दिनों तक आइसोलेशन में रहना पड़ता है, इससे अनावश्यक तनाव होता है.
कैसे तय करें की आप कोरोना से मुक्त हो चुके हैं
डॉ पाटिल के अनुसार, इलाज करने वाले डॉक्टर, वायरोलॉजिस्ट और आम जनता के लिए रिकवरी का अर्थ अलग अलग होता है. डॉक्टर और वायरोलॉजिस्ट के मुताबिक हल्के और मध्यम लक्षण वाले रोगी रोगी के ठीक होने की दर के आधार पर हल्के दिन में ठीक हो जाते पर गंभीर लक्षण वाले रोगियों को थोड़ अधिक समय लग सकता है.
इसके पीछे कारण यह है कि शरीर में वायरस के मृत और अप्रभावी होने के बाद भी, कुछ इसके बाद के प्रभावों का अनुभव कर सकते हैं. लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि ये लोग वायरस संचारित कर सकते हैं. पर इसके बावजूद सोशल डिस्टेंसिंग और कोरोना प्रोटोकॉल का पालन करना जरूरी है.
Posted By: Pawan Singh